- व‌र्ल्ड मेंटल डे स्पेशल

- हर 6वें व्यक्ति की याददाश्त हो रही है कमजोर, 30 से 49 की उम्र में भी हो जा रहे हैं शिकार

- गोरखपुर में नेशनल कैंपेन शुरू होने के बाद मिले 23 हजार से ज्यादा मरीज

<- व‌र्ल्ड मेंटल डे स्पेशल

- हर म्वें व्यक्ति की याददाश्त हो रही है कमजोर, फ्0 से ब्9 की उम्र में भी हो जा रहे हैं शिकार

- गोरखपुर में नेशनल कैंपेन शुरू होने के बाद मिले ख्फ् हजार से ज्यादा मरीज

GORAKHPUR: GORAKHPUR: पहले फेल होने का डर, फिर बेहतर डिवीजन लाने की जद्दोजहद, इसके बाद कॅरियर बनाने की चाहत। यंगस्टर्स की जिदंगी इन दिनों काफी भागदौड़ भरी हुई है। पेरेंट्स, रिलेटिव्स के साथ अपना सोशल स्टेटस मेनटेन रखने और सबकी ख्वाहिश पूरा करने के लिए टेंशन लेना मजबूरी नहीं, बल्कि जरूरी भी है। अब जिंदगी की यही जद्दोजहद यंग जनरेशन को बीमार बना रही है। उनकी यादें अब भूली-विसरी हो गई हैं, जिसे बैकअप करने के लिए उनके पास वक्त भी नहीं है। गोरखपुर की बात करें तो यहां हर छठवें व्यक्ति की यादें धूमिल हो रही हैं। एक्स्ट्रीम लेवल पर पहुंचने वाले पेशेंट्स की तादाद भी ऊपर पहुंच रही है, जिसमें फ्0 से ब्9 साल के पेशेंट्स की भरमार है। गोरखपुर में चल रहे नेशनल मेंटल डिजीज प्रोग्राम में यह बातें सामने आई हैं।

ख्फ् हजार से ज्यादा चिन्हित

गोरखपुर में मेंटली इल लोगों को ढूंढने के लिए सितंबर ख्0क्7 में सरकार ने नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू किया था। इसको लेकर लोगों के बीच टीम्स पहुंचीं और उनकी मेंटल कंडीशन पर स्टडी किया। जून ख्0क्9 तक चले इस सर्वे में ख्फ् हजार म्भ्भ् मरीजों को प्वॉइंट आउट किया गया और उनको इलाज के लिए ऑथराइज सेंटर तक पहुंचाया गया। इसमें से करीब 9ख्ब्9 परसेंट मरीजों की दिमागी हालत बेहतर हो चुकी है और लगातार फॉलोअप के जरिए इन लोगों को मेंटली फिट करने की कोशिश की जा रही है।

मेमोरी में नहीं होती स्टोर

अल्जाइमर की बात की जाए तो यह दो तरह की होती है। साइकोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार की मानें तो रिट्रोगे्रड अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है कि जिसमें सर्टेन प्वॉइंट के पीछे की मेमोरी खत्म हो जाती है। इसे एपिसोडिक मेमोरी भी कह सकते हैं। ज्यादातर यह उम्रदराज लोगों में पाई जाती है, जिसमें पिछली सभी यादें गुम होती चली जाती हैं। वहीं एंटेरोग्रेड डिमेंशिया एक अलग तरह की बीमारी है। इसमें नई इंफॉर्मेशन जो वर्किंग मेमोरी में होती है, वह लॉन्ग टर्म मेमोरी में स्टोर नहीं हो पाती है, जिससे वह याद एक सर्टेन टाइम के बाद मेमोरी से वॉश आउट हो जाती हैं।

यह भी मानसिक बीमारी के लक्षण

कम नींद आना

ज्यादा सोना

उलझन

घबराहट

हीन भावना

जिंदगी के प्रति निगेटिव सोच

एक ही विचार मन में बार-बार आना

एक ही काम को बार-बार करने की इच्छा होना

डर लगना

शक होना

कानों में आवाज आना

स्टैटिस्टिक

- इंडिया में हर म्वें व्यक्ति की याददाश्त हो रही गुम

- फ्0 से ब्9 उम्र के भी हो रहे हैं शिकार

- गोरखपुर में नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम सर्वे में मिले हैं ख्फ्म्भ्भ् मरीज

- 9ख्ब्9 व्यक्तियों की याददाश्त हो चुकी है बेहतर

वर्जन

अब तक अल्जाइमर का शिकार सिर्फ उम्रदराज लोग ही हुआ करते थे, लेकिन इन दिनों यंग जनरेशन भी इसका शिकार हो रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह टेंशन है। स्टडी में यह बातें सामने आई हैं कि जो लोग टेंशन में ज्यादा रहते हैं, उनमें यह बीमारी काफी तेजी से बढ़ती है। इतना ही नहीं अगर वायरल इंफेक्शन हुआ है, तो इसका असर भी दिमाग पर पड़ सकता है। एचआईवी, शूगर भी अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार हैं।

- डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट