दाहिने पैर में लगी थी गोली

27 दिसंबर को 17 साल की होने वाली देविका रोतावन को 'कसाब गर्ल' के नाम से जाना जाता है। देविका मुंबई हमले की यंगेस्ट विटनेस थी, पुलिस के सामने उसने ही कसाब की पहचान की थी। बांद्रा के एक छोटे से घर में रहने वाली देविका अभी स्कूल में पढ़ती है। देविका के पिता नटवरलाल बताते हैं कि, 26 नवंबर उनके लिए सबसे बुरा दिन था। सीएसटी में हुए आतंकी हमले में उनकी बेटी देविका को भी गोली लगी थी। दाहिने पैर में लगी गोली ने उसे बैसाखी पर चलने को मजबूर कर दिया था। हालांकि अभी 2 साल से वह नॉर्मल चल सकती है।

स्कूलों में एडमिशन नहीं मिल पाया

देविका के पिता शॉप वर्कर हैं और वह अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देने के भरसक प्रयास करते हैं। उन्होंने देविका के एडमिशन के लिए कई स्कूलों का चक्कर काटा लेकिन सभी ने यह कहकर मना कर दिया था वह आतंकी हमले का शिकार 'कसाब गर्ल' थी। हालांकि बाद में देविका ने किसी तरह बांद्रा के एक स्कूल में एडमिशन करवा लिया। और अब वह अपने 10 क्लॉस के एग्जॉम की तैयारी कर रही है। देविका बताती है कि शुरआत में स्कूल के बच्चे उसे काफी चिढ़ाते थे। कोई उसे कसाब की बेटी तो कोई लंगडी कहकर बुलाता था। लेकिन यह उसे कभी हर्ट नहीं करता था।

वो एक भयानक रात

नटरवरलाल बताते हैं कि, वो एक डरावनी रात थी। जब वह देविका और उसके भाई को लेकर पुणे जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। तभी अचानक उन्हें गोलियों की आवाजें सुनाईं देने लगीं। जब तक हम कुछ समझ पाते देविका को एक गोली पैर पर लग चुकी थी। देविका को तुरंत ही सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल लेकर भागा लेकिन गोली को अगले दिन ही निकाला जा सका। 6 सर्जरी और कई फिजियोथेरेपी के बाद आखिरकार वह अपने पैरों पर खड़ी हो पाई। देविका कहती है कि, इस हमले के बाद उसके अंदर और हिम्मत आ गई। और वह अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाकर एक आईपीएस ऑफिसर बनेगी।

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