महिलाओं ने की नारेबाजी

तृप्ति देसाई के मंदिर परिसर में पहुंचने के बाद अफरा-तफरी का माहौल रहा। बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं नारेबाजी भी कर रही थीं। प्रतिबंध के मुद्दे पर त्र्यंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कैलास घुले का कहना है कि यह एक पुरानी परंपरा है। ऐसा नहीं है कि हाल के दिनों में कोई रोक लगाई गई हो। हालांकि, महिलाओं को कुछ दूर से दर्शन की इजाजत है। संजय शिखरे का परिवार लंबे समय से त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा-पाठ और अन्य कर्मकांडों को निभाता आ रहा है। उनका कहना है कि गर्भगृह में महिलाओं द्वारा पूजा-पाठ पर प्रतिबंध पेशवाओं के समय में लगाया गया था। हालांकि, कुंभ के समय में साध्वियों को गर्भगृह से बाहर रहकर पूजा करने की इजाजत दे दी जाती है।

शिंगणापुर में छेड़ा था आंदोलन

कई अन्य पुरोहितों की मानें, तो खुद महिलाएं भी इस परंपरा को तोड़ना नहीं चाहती हैं। पुरुषों को भी प्रतिदिन सुबह छह से सात बजे तक गर्भगृह के मुख्य हिस्से में, जहां शिवलिंग स्थापित है, प्रवेश करने नहीं दिया जाता है। इससे पहले भी 7 मार्च को पुलिस ने तृप्ति देसाई को एहतियातन हिरासत में ले लिया था। भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति का कहना है कि वह त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जाकर सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना चाहती है। जबकि मंदिर प्रशासन इसकी इजाजत नहीं दे रहा। गौरतलब है कि इससे पहले भी तृप्ति ने शनि शिंगणापुर में भी महिलाओं के प्रवेश को लेकर आंदोलन छेड़ा था।

inextlive from India News Desk

National News inextlive from India News Desk