165 टन भारी, कंक्रीट, धातु और टायरों से बना ये डॉक आठ हज़ार किलोमीटर दूर बहता हुआ अमरीका के पश्चिम में स्थित ओरेगॉन प्रांत के पोर्टलैंड तट पर जा लगा। जाँच में इसमें किसी तरह का विकिरण नहीं पाया गया मगर वैज्ञानिकों का कहना है कि इसपर कई समुद्री जीवों ने डेरा डाल लिया होगा।

पुलिस अभी इस डॉक की सुरक्षा कर रही है ताकि लोग इसपर चढ़ने ना लगें। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों के आने से रास्ता जाम हो गया है। साथ ही अधिकारी तय कर रहे हैं कि इसके साथ क्या किया जाए।

20 मीटर लंबे इस डॉक पर लगी एक पट्टिका से पता चलता है कि ये उत्तरी जापान के मिसावा बंदरगाह से आया है। डॉक को प्रशांत महासागर को पार करने में 15 महीने लगे। भूकंप और सूनामी के दौरान बंदरगाह से दो और डॉक टूट गए थे जिनका अभी तक पता नहीं चला है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आनेवाले महीनों में जापान से और भी मलबा उत्तरी अमरीका के तटों पर आ सकता है जिनमें सबसे अधिक मलबा जाड़े में आएगा।

ख़तरा

ओरेगोन को वरिष्ठ सेनेटर रॉन वाइडेन ने मलबों का ध्यान रखनेवाली संस्था से ये कहते हुए मलबों की जानकारी हासिल करने के लिए दोगुना प्रयास करने के लिए कहा है कि इतने बड़े डॉक से समुद्र में जहाज़ों को ख़तरा हो सकता है।

इस साल अप्रैल में जापान का एक लावारिस जहाज भटकता हुआ अमरीका के अलास्का राज्य के पास चला आया था जिसे अमरीकी तटरक्षक बल ने तोप के गोले चलाकर डुबा दिया। इसके एक महीने बाद एक हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल का मालिक तब हैरान रह गया जब उसे पता चला कि उसकी मोटरसाइकिल एक कंटेनर में बहते-बहते कनाडा पहुँच गई है।

जापानी वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सूनामी के समय हुई तोड़-फोड़ से लगभग दो करोड़ टन के बराबर मलबा बना होगा। अधिकतर मलबा ज़मीन पर रह गया होगा और फिर समुद्र में गया अच्छा खासा मलबा डूब गया होगा। मगर हो सकता है कि अभी भी 10 लाख टन मलबा पानी में बह रहा है।

ओरेगोन स्टेट युनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक जॉन चैपमैन ने मलबे से समुद्री जीव-जंतुओं को खतरा होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा,"ये ऐसा ही है मानो चीनी मिट्टी के सामानों की दूकान में एक बड़ी गेंद फेंक दी गई हो, तो कुछ ना कुछ तो टूटेगा ही, मगर महँगी वस्तु टूटेगी या सस्ती, ये बताना मुश्किल है."

डॉक का भविष्य

अधिकारियों के अनुसार इब इस डॉक को लेकर दो तरह की बातें हो सकती हैं। एक विकल्प तो ये है कि इसे खींचकर कहीं और ले जाया जाए और फिर इसे तोड़ा जाए। दूसरा विकल्प है कि इसे वहीं तट पर तोड़कर ले जाया जाए। मिसावा बंदरगाह के मालिकों ने कह दिया है कि वो इसे वापस नहीं चाहते हैं।

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