RANCHI : गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पायं, बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय। जब भी शिक्षकों को याद किया जाता है तो ये दोहा हर किसी की जुबान पर आ जाता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी बच्चे के फ्यूचर को बनाने में उसके घर के बाद अगर किसी का अहम रोल होता है तो वह शिक्षक ही है। शिक्षक दिवस के मौके पर हमने बात की रांची में पदस्थापित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से। उनके इस सफल जीवन में गुरुओं का कितना योगदान रहा, आइये जानते हैं उनसे।

मेरे माता-पिता हैं मेरे टीचर : राय महिमापत रे

रांची डीसी राय महिमापत रे भी गुरुवार को टीचर्स डे होने की याद दिलाते ही भावुक हो गए। कहा, हमारे जीवन में टीचर का बड़ा महत्व है। कई टीचर्स का सहयोग मुझे मिला कि मै आज इस काबिल हूं। लेकिन मेरे टीचर मेरे माता-पिता रहे हैं। बचपन से लेकर यूपीएससी क्वालीफाई करने तक में मेरे माता-पिता का गाइडेंस मुझे हमेशा मिलता रहा। मैंने अपने पिताजी राय उमापत रे के नोट्स को ही अपना सब्जेक्ट बनाकर यूपीएससी क्वालीफाई किया है।

प्रेम सर ने बदल दी मेरी जिंदगी : मंजूनाथ भजंत्री

एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट सेक्रेट्री मंजूनाथ भजंत्री भी टीचर्स डे पर अपने टीचर को याद करते हैं। मंजूनाथ बताते हैं कि मैं आज जो भी हूं अपने टीचर की बदौलत हूं। बेलगम नवोदय स्कूल जहां से मैंने पढ़ाई की है वहां प्रेम कुमार सर थे जो हमारे इंगलिश के टीचर थे। वो हमेशा मुझे एप्रिसिएट करते थे कि तुम देश के सभी टॉप एग्जाम्स को क्वालीफाई कर सकते हो। उनके प्रोत्साहन की वजह से हौसला बढ़ा और मैंने आईआईटी और यूपीएससी दोनों एग्जाम क्वालीफाई किया।

सफलता पर टीचर ज्यादा खुशं: अमित

सूडा डायरेक्टर अमित कुमार अपनी सफलता का श्रेय अपने टीचर मो। खालिद आलम भुट्टो को देते हैं। अमित कुमार बताते हैं कि मैंने अपनी पूरी स्कूली पढ़ाई खालिद सर के दिशा निर्देशन में किया। स्कूल में टीचरों द्वारा मुझे जो गाइडेंस और एप्रिसिएशन मिला उसने मेरे कॅरियर की राह को आसान बना दिया। संजय कुमार सर और चौधरी सर ने मुझे बड़ा हौसला दिया कि तुम किसी भी परीक्षा को क्वालिफाई कर सकते हो। हर कदम पर उनका साथ मुझे मिला। मेरी सफलता पर मुझसे अधिक खुश मेरे टीचर हैं।

केके खंडेलवाल खुद हैं बेहतरीन टीचर

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और राज्य में वित्त एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल एक शिक्षक के रूप में कई स्टूडेंट्स के फ्यूचर को संवार रहे हैं। आज देश के कई टॉप आईआईटी कॉलेज में उनके मार्गदर्शन में पढ़ाई करने वाले छात्र पढ़ रहे हैं। केके खंडेलवाल ने इसकी शुरुआत अपने घर से ही की है। अपने दो बेटों और एक भांजे को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी खुद कराई। पहले बड़े बेटे अंकुर ने 2011 में सफ लता पायी और आईआईटी दिल्ली में एडमिशन मिला। फिर 2013 में छोटे बेटे अनुपम ने देशभर में 9वां रैंक लाकर आईआईटी दिल्ली में प्रवेश पाया। भांजा अंकित को ऑल इंडिया में 56वां रैंक मिला उसने भी आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा भी कई और बच्चे आईआईटी क्वालीफाई कर चुके हैं। केके खंडेलवाल ने 1981 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक ऑनर्स किया। आईआईटी प्रवेश परीक्षा में उनका खुद का ऑल इंडिया में 52वां रैंक था। इसके वह 1987 में आईएएस एग्जाम में आठवां रैंक लाकर आईएएस बने।