सीपीआई नेता एबी वर्द्धन रविवार दिन में चेन्नई में मौजूद थे जहां उन्होंने एआईडीएमके प्रमुख जे.जयललिता से मुलाकात की. जयललिता सोमवार को सीपीआई(एम) के नेताओं से भी मुलाकात करेंगी.

पार्टी की हाल की गतिविधयों के मद्देनज़र पहले से माना जा रहा था कि वो  सीपीआई के साथ गठबंधन की घोषणा कर सकती है.

तमिलनाडु में साफतौर पर ये कोशिश की जा रही है कि एआईएडीएमके और वाम मोर्चा तथा कुछ दूसरे राजनीतिक दल एक ऐसा मोर्चा बनाएं जिसमें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी शामिल न हों.

पिछले कुछ दिनों से एआईएडीएमके के भीतर लोग वाम मोर्चा के साथ गठबंधन के मसले पर साफ थे.

पिछले एक साल से पार्टी के भीतर चर्चा चल रही थी कि यदि एआईएडीएमके को वाम मोर्चा का समर्थन मिल जाए तो जयललिता को शायद प्रधानमंत्री बनने का मौका मिल सकता है.

राष्ट्रीय स्तर

इस मुद्दे पर एक साल से  एआईएडीएमके के अंदर नेताओं के बीच जगह जगह पर बातचीत चल रही थी.

पिछले कुछ महीनों को दौरान देखा जाए तो कोई भी बड़ी पार्टी मीटिंग हो या कोई समारोह, वहां जयललिता के कटआउट जरूर लगाए जाते रहें. इसके साथ ही वहां साफ लिखा होता है- "भावी प्रधानमंत्री".

ऐसे में कहा जा सकता है कि पिछले एक साल से एआईएडीएमके के लोगों का स्पष्ट रुख रहा कि अब पार्टी राज्य स्तर से आगे बढ़े और इसकी शुरूआत वे आगामी लोकसभा चुनाव में एक कदम आगे बढ़ा कर कर रहे हैं.

वाम दल के साथ गठबंधन तय थाः जयललिता

सवाल है कि तमिलनाडु के राजनीतिक समीकरणों का खासतौर पर लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ने वाला है?

लोकसभा चुनाव में इस समीकरण से भाजपा को काफी नुकसान पहुंच सकता है. पहले कहा जा रहा था कि जयललिता बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को पसंद करती हैं और इसलिए वो बीजेपी के साथ जाएंगी.

लेकिन अब उनका रुख साफ हो गया है. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी कोई समझौता नहीं करने वाली हैं.

सत्ता संघर्ष

दूसरी ओर डीएमके सुप्रीमो एम करुणानिधि के बड़े बेटे एमके अड़ागिरी और दूसरे बेटे एम के स्टालिन संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है.  तमिलनाडु के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में चल रहा सत्ता संघर्ष अब खुलकर बाहर भी आ गया है.

डीएमके में चल रहे इस उथल-पुथल से उसकी स्थिति फिलहाल कमजोर पड़ गई है. कांग्रेस के साथ उनके गठबंधन की स्थिति भी साफ नहीं है.

ऐसे माहौल में एआईएडीएमके आगे बढ़ने के स्पष्ट संकेत दे रही है. उनका ये रुख इस चुनाव को आगे लेकर जाने में काफी मजबूत साबित हो सकता है.

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