अमेठी (आईएएनएस)। Amethi Assembly Elections 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कई सीटों पर मुकाबला बड़ा दिलचस्प हो रहा है। किसी सीट पर प्रतिष्ठा की जंग तो किसी पर भावनात्मक लड़ाई देखने को मिल रही है। रोमांचक मुकाबलों वाली सीटों में इन दिनों अमेठी की विधानसभा सीट काफी चर्चा में है। अमेठी में मैदान में उतरे उम्मीदवारों में इमोशंस का जबरदस्त मिक्सप देखने को मिल रहा है। इन दिनों यहां एक पत्नी जो जेल में बंद पति के लिए सहानुभूति पर निर्भर है तो एक पूर्व राजा अपने पारिवारिक झगड़े में फंस गया है जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।

गरिमा का दावा वह संजय सिंह की कानूनी पत्नी हैं

अमेठी से भाजपा उम्मीदवार अमेठी के पूर्व राजा और पूर्व सांसद संजय सिंह हैं। वह तीन दशक से अधिक समय के बाद राज्य की राजनीति में लौट रहे हैं और उनके प्रवेश से उनकी दो पत्नियों के बीच एक और लड़ाई शुरू हो गई है। गरिमा सिंह ने संजय सिंह के हलफनामे में अपना नाम न होने पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि उनके 'कथित तलाक' को अदालत ने खारिज कर दिया था क्योंकि उनके हस्ताक्षर जाली थे। गरिमा ने कहा कि वह उनकी कानूनी पत्नी बनी हुई है। आपत्ति खारिज कर दी गई थी। 2017 में अमेठी में संजय सिंह की पत्नियों के बीच आमना-सामना हुआ था - गरिमा सिंह, जो भाजपा उम्मीदवार थीं और अमीता सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था।

संजय सिंह जो अपनी विरासत को पुनः संभालने लाैटे

हालांकि गरिमा ने चुनाव में जीत हासिल की थी। संजय सिंह जो अपनी विरासत को पुनः प्राप्त करने के लिए अमेठी लौट आए हैं, लेकिन उनकी पहली पत्नी गरिमा के लिए सहानुभूति अभी भी अमेठी में है जो उन्हें 'रानी' मानते हैं। संजय सिंह का दावा है कि यह उनके पिता रणंजय सिंह थे जिन्होंने गांधी परिवार को अमेठी सीट की पेशकश की थी। रणंजय सिंह ने आजादी के बाद पहला चुनाव अमेठी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था। बाद में उन्होंने 1969 में जनसंघ के टिकट और 1974 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। संजय सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1980 में अमेठी से की थी और लोगों ने उनका खुले दिल से स्वागत किया था।

संजय सिंह की पत्नी ने 2004 का विधानसभा उपचुनाव जीता

इसके बाद 1985 में संजय सिंह ने रिकॉर्ड 98 प्रतिशत वोट प्राप्त करके फिर से जीत हासिल की। 1989 में, वह जनता दल के उम्मीदवार के रूप में हार गए। संजय सिंह बाद में भाजपा में शामिल हो गए। 1998 के लोकसभा चुनाव में, उन्होंने कांग्रेस के सतीश शर्मा को हराया। वे 1999 के आम चुनावों में सोनिया गांधी से हार गए। पत्नी अमीता ने 2002 में बीजेपी के टिकट पर अमेठी विधानसभा सीट जीती थी। 2004 में, युगल कांग्रेस में लौट आए। अमीता ने 2004 का विधानसभा उपचुनाव जीता और बाद में 2007 का अमेठी से चुनाव जीता। 2012 में, अमीता समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रसाद प्रजापति से करीबी अंतर से और फिर 2017 में गरिमा सिंह से हार गईं।

जेल में बंद गायत्री प्रजापति की पत्नी मैदान में

इसके बाद यह जोड़ी फिर भाजपा में शामिल हो गई। वहीं इस बाद संजय सिंह की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति हैं। गायत्री प्रजापति दुष्कर्म और भ्रष्टाचार के आरोप में 2017 से जेल में हैं। महाराजी को समाजवादी पार्टी ने मैदान में उतारा है और वह मूल रूप से एक गृहिणी हैं। अपनी दो बेटियों के साथ वह अक्सर रोती हुई और अपने पति के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए, गांव-गांव जा रही है। इस दाैरान वह लोगों को याद दिला रही हैं कि मेरे पति जो आप सबको कंबल बांटते लेकिन आज ठंड में फर्श पर सो रहे हैं। इस दाैरान वह यह भी कहती हैं कि मैं यहां अपने पति को न्याय दिलाने आई हूं।

बसपा ने रागिनी तिवारी को मैदान में उतारा

महाराजी प्रजापति के आंसू देख विशेष रूप से महिलाएं गले लगाकर उन्हें वोट देने का वादा कर रही हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार आशीष शुक्ला हैं, जो कांग्रेस से बसपा में चले गए, फिर भाजपा में और एक बार फिर से कांग्रेस में आ गए। वहीं बसपा ने रागिनी तिवारी को मैदान में उतारा है और उन्हें दलितों के साथ ब्राह्मण समर्थन मिलने की उम्मीद है। उत्त्र प्रदेश विधानसभा चुनाव के शेष पांच चरणों में 20, 23, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा। मतों की गिनती 10 मार्च को होगी।

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