करीना के साथ काम के एक्सपीरियंस को अगर रेट करना हो तो?


बेहतरीन. अभी तक तीन बार काम कर चुके हैं हम. मुझे लगता है वह बेहद टैलेंटेड है. बस एक प्रॉब्लम है, मैं उसे तब से जानता हूं जब वह बच्ची थी. हां वह अपने 30ह्य में पहुंच चुकी है लेकिन मैं उसे एक फुली ग्रोन वुमन की तौर पर नहीं एक्सेप्ट कर पाता था. कैमरे के सामने वह जिस खूबसूरत लेडी में कंवर्ट हो जाती है वह मुझे शुरू में एक्सेप्ट करना मुश्किल था. अब कम से कम मैं उसे एक मैच्योर लेडी के तौर पर एक्सेप्ट कर पाता हूं.


मैं श्योर नहीं हूं अगर आपने ये कम्पेरिजन कभी किया होगा, फिर भी, अगर करीना को इंडस्ट्री की बाकी एक्ट्रेसेज के साथ कम्पेयर करना हो तो आपके व्यूज क्या होंगे?


सी द फिल्म्स शी हैज डन! क्योंकि का इंटेंस रोल हो या किसी और फिल्म की बबली करीना, सी द डिफरेंस इन रोल. करीना उन कुछ एक्ट्रेसेज में से है जो कैमरे के सामने किसी भी रोल में ट्रांसफॉर्म हो जाती है. कम्पेरिजन तो कोई चीज ही नहीं है. मुझे लगता है इस वक्त इंडस्ट्री की एक्ट्रेसेज के बीच करीना एक बिल्कुल अलग प्लेटफॉर्म पर है.


सक्सेस और एक्सेप्टेंस के लिहाज से बीता एक, सवा एक साल आपके लिए काफी अलग रहा है. क्या ये कोई डिफरेंट थॉट देता है?


ओह! मैंने बहुत लम्बे समय तक और बहुत कुछ देखा है. आज-कल की फिल्में क्या बिजनेस करती हैं, अंदाज अपना अपना, मैंने प्यार किया जैसी फिल्मों ने उस दौर में जो बिजनेस किया है, तब से अब का अंतर देखिए. उस टाइम टिकट 5, 10 रुपए के होते थे. अब 100, 150 रुपए भी नॉर्मल है. इतने सारे उतार-चढ़ाव देखने के बाद किसी फेज का आना या जाना, अब मुझे इसका फर्क नहीं पड़ता. इट हैज टु बी अ राइट फिल्म. दैट इज वॉट मैटर्स. बाकी सब अपने आप हो जाता है.


एग्जैक्टली क्या डेफिनिशन है इस राइट फिल्म की?


उसे आपको अपील करना चाहिए. स्क्रिप्ट, अपील, सब्सटेंस, सब मैटर करता है. बड़ी बात ये है कि आपका गट फील क्या है. क्या फिल्म आपको बांध रही है. क्या वो स्टोरी ऐसी है कि आप खुद हॉल की पीछे की सीट पर बैठकर उसे तीन-चार घंटा देखना चाहेंगे. अगर मैं खुद ही उस फिल्म के लिए स्क्रिप्ट सुनते वक्त अटैच्ड फील कर रहा हूं तो फिर वो मेरे लिए एक राइट फिल्म है.


...पर क्या एक स्क्रिप्ट साइन करने से पहले आप सच में इस सारे थॉट प्रोसेस से गुजरते हैं?


ये बस मन को छूने वाली बात है. मैं बहुत वियर्ड ऑवर्स पर स्क्रिप्ट सुनता हूं. लेट नाइट, कभी भी किसी भी ऑड टाइम पर, सो जाहिर सी बात है अगर मेरा स्क्रिप्ट सुनने में मन नहीं लग रहा तो वो मुझे अपील नहीं करेगी. स्क्रिप्ट नरेशन के मेरे सबसे बेहतरीन एक्सपीरियंस में से एक है अंदाज अपना अपना. कितनी देर सुनी थी वो स्क्रिप्ट मैंने... शायद साढ़े पांच घंटे. अगर आपको स्क्रिप्ट नहीं पसंद आ रही तो आप उसे उतना सुन ही नहीं पाएंगे.


कोई ऐसी फिल्म है जिसे आपने सबसे ज्यादा इंज्वॉय किया हो, वो सेट्स पर होने वाला एटमॉस्फियर हो या किसी और रीजन की वजह से?


मेरी हर फिल्म. देखिए, मैं फिल्म बनाने के बिजनेस में हूं. ये मेरा काम है. अगर मैं अपनी फिल्म को इंज्वॉय नहीं कर रहा तो मैं उससे जुड़ कैसे सकता हूं. हां, ये सच है कि कभी-कभी शॉट शुरू होने वाला होता है तो मैं सोचता हूं ‘आह, फिर से...’ मगर एक बार मैं शॉट दे रहा हूं तो मैं वह कैरेक्टर हूं. मैं उसमें डूबा हुआ हूं. आखिर मेरी फिल्म मेरा डिसीजन है.


तो आज तक का ऐसा कोई डिसीजन जिसे आपने रिग्रेट किया हो?


नहीं. डिसीजन आप एक खास वक्त लेते हैं. बहुत सी चीजें सोच-समझकर. बाद में वो कोई सा भी टर्न ले सकता है. डिसीजन लेते वक्त तो आप उसमें इंवॉल्व ही होते हैं ना. रिग्रेट की गुंजाइश कहां है.