It  has produced myriad genius, who have contributed in the sphere of acting, producing, directing, script writing and singing  to add to the glorious past of Bollywood। Today on the completion of 100 years of cinema the inext team is presenting the 100 genius of Bihar, who have not only brougt laurel to the state but to the entire film industry।

1. भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां

पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण के बाद 2001 में भारत रत्न से सम्मानित शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां बिहार के ऐसे हस्ताक्षर हैं, जिनका नाम संगीत की दुनिया में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। डुमरांव में जन्मे बिस्मिल्ला खां ने गूंज उठी शहनाई में नायाब धुन दिया था। स्वदेश में भी एआर रहमान के साथ उन्होंने ये जो देश है तेरा के लिए शहनाई बजाई थी। उन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म जलसागर में अभिनय भी किया था।

2. राजशेखर

मधेपुरा के रहने वाले राजशेखर ने 2011 में आई तनु वेड्स मनु फिल्म का लिरिक्स लिखा था। उन्होंने अनवर मूवी में छोटा रोल भी किया था। जर्नलिज्म में कॅरियर बनाने का सोच रहे कब बॉलीवुड का सपना देखने लगे, पता ही नहीं चला। तनु वेड्स मनु में किए गए उनके काम को बहुत सराहा गया।

3. भगवान सिन्हा

मजबूत कद-काठी के धनी भगवान सिन्हा पटना के मीठापुर के रहने वाले थे। ये लंबे समय तक सदाबहार अभिनेता देवानंद के नवकेतन बैनर से जुड़े रहे। बैनर तले बनी 'नौ दो ग्यारह' समेत कई फिल्मों में काम किया। भगवान सिन्हा ने बॉलीवुड की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक 'शोले' में भी काम किया था।

4. पंकज झा

पटना यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट से बीएफए पढऩे के बाद एक्टिंग में जगह बनाई पंकज झा ने। गुलाल, ब्लैक फ्राइडे, कंपनी, हासिल, मानसून वेडिंग, चमेली जैसी फिल्मों में पंकज झा की एक्टिंग दिखी है।

5. तपन सिन्हा

इंडिपेंडेंस के तुरंत बाद के दौर में तपन सिन्हा एक बड़ा नाम बन चुके थे। 1954 में 'अंकुश' के जरिए बॉलीवुड में एंट्री करने वाले तपन सिन्हा पटना यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के स्टूडेंट थे। 2000 तक तपन सिन्हा फिल्म डायरेक्शन करते रहे।

6. रजनीश राज ठाकुर

भागलपुर के रजनीश राज ठाकुर ने फिल्म डायरेक्शन में वेराइटी से बॉलीवुड को खासा प्रभावित किया है। 'लूट' से लेकर 'डरना मना है' जैसी मूवीज रजनीश ने डायरेक्ट की है।

7. विजय शुक्ला

प्रकाश झा के डायरेक्शन में बनी चक्रव्यूह पिछले दिनों खासी चर्चा में थी। इस बिहारी डायरेक्टर की फिल्म में नाथनगर भागलपुर के विजय शुक्ला ने भी एक्टिंग की है।

8. इकबाल दुर्रानी

एक्टर और डायरेक्टर के साथ बॉलीवुड में बिहारी राइटर्स की भी कमी नहीं है। इसमें इकबाल दुर्रानी एक हिट नाम है जिन्होंने 'फूल और कांटे', 'धरतीपुत्र' जैसी फिल्मों की कहानी लिखी है।

9. दीपाली किशोर

सोनी टीवी के इंडियन आइडल शो में फाइनलिस्ट राउंड में पहुंचकर भी पटना की दीपाली खिताब नहीं जीत सकी। लेकिन बॉलीवुड प्लेबैक सिंगिंग में दीपाली ने एंट्री पा ली। 'गोल', 'डॉन मुत्थुस्वामी' सहित अन्य फिल्मों में दीपाली ने अपनी आवाज दी है।

10. अनुराग सिन्हा

थिएटर और बॉलीवुड, एक्टिंग तो दोनों में होती है लेकिन इस सफर के बीच की दूरी कम ही एक्टर्स तय कर पाते हैं। इनमें से एक है अनुराग सिन्हा, जिन्हें थिएटर में तो पहचान मिली ही, सुभाष घई की 'ब्लैक एंड व्हाइट' में अनिल कपूर के साथ लीड कैरेक्टर मिला।

11.  विनय सिन्हा

सलमान और आमिर खान ने अब तक सिर्फ एक ही फिल्म में साथ-साथ काम किया है। यह फिल्म थी अंदाज अपना-पना। इस फिल्म के निर्माता हैं विनय सिन्हा। विनय सिन्हा लंबे समय तक अमजद खान के प्राइवेट सेक्रेटरी भी रहे। उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों का भी निर्माण किया है।

12. शेखर सुमन

शेखर सुमन ने शत्रुघ्न सिन्हा की तरह ही बिहार की अपनी पहचान के साथ हिंदी सिनेमा में एंट्री की थी। पद्मिनी कोल्हापुरे, डिंपल कपाडिय़ा और रेखा जैसी सशक्त एक्ट्रेस के साथ काम करने के बावजूद वे बड़े पर्दे पर ज्यादा सक्सेसफुल नहीं रहे। बाद के दिनों में वे टीवी एक्टर और एंकर के रूप में बहुत ही सफल रहे।

13. मुक्तिनाथ उपाध्याय

पिछले साल आयोजित किए गए जागरण फिल्म फेस्टिवल में दास कैपिटल को बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिला था। इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं बेतिया के मुक्तिनाथ उपाध्याय। प्रोड्यूसर के रूप में यह उनकी फिल्म है। इस फिल्म की स्क्रीनिंग विदेशों में भी हुई है और इसे सराहा भी गया है।

14. शुभंकर शैवाल

गया के रहने वाले युवा लेखक शुभंकर शैवाल दास कैपिटल के स्क्रीनप्ले के को-राइटर हैं। दास कैपिटल के स्क्रीन प्ले को नोएडा में आयोजित एक फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवार्ड भी मिला है। शुभंकर की अगली फिल्म होगी बेबीलोन।

15. सुशील पांडेय

बिल्लू बारबर, फंस गया रे ओबामा जैसी चर्चित फिल्मों में काम कर चुके सुशील पांडेय सीवान के रहने वाले हैं। एक्टर होने के साथ सुशील पांडे प्रोड्यूसर भी हैं और इन्होंने कई टीवी सीरियल्स प्रोड्यूस किए हैं।

16. पंकज त्रिपाठी

एक्टर पंकज त्रिपाठी हाल के सालों में कई ब्लॉक बस्टर हिंदी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। गोपालगंज के रहने वाले पंकज ने रंगरेज, गैंग्स ऑफ वासेपुर, अग्निपथ, अपहरण, ओंकारा सहित कई फिल्मों में काम किया है।

17. लिलेट दूबे

रंगमंच और फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री लिलेट दुबे पटना की बहू हैं। इन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ बागबान, अक्षय कुमार के साथ हाउसफुल, सन्नी देओल के साथ गदर एक प्रेम कथा, ऋतिक रौशन के साथ लक्ष्य और शाहरुख खान के साथ कल हो न हो जैसी सुपरहिट फिल्मों में एक्ंिटग की है।

18. शिखा पूजा

दरभंगा की शिखा पूजा ने मॉडलिंग से कॅरियर की शुरूआत की। मिस बिहार कंटेस्ट में ये सेकंड रनर-अप रहीं। एक्ट्रेस के रूप में इनकी पहली हिंदी फिल्म मजार लगभग तैयार हो चुकी है।

19. आर माधवन

शुरूआत साउथ की फिल्मों से की लेकिन जब बॉलीवुड में माधवन ने एंट्री ली तो भी सक्सेसफुल रहे। माधवन की पहली फिल्म जब रिलीज हुई। अनडिवाइडेड बिहार के जमशेदपुर में माधवन पैदा हुए थे। उनकी पहली हिंदी फिल्म के रिलीज होने तक बिहार और झारखंड एक ही थे।

20. मनीष तिवारी

प्रकाश झा प्रोडक्शन की फिल्म दिल दोस्ती ईटीसी से अपने डायरेक्शन कॅरियर की शुरुआत करने वाले मनीष तिवारी मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। फीचर फिल्मों के साथ-साथ इन्होंने ढेर सारी डोक्यूमेंट्रीजका प्रोडक्शन किया है।

21. श्रेया नारायण

चार साल में मुजफ्फरपुर की श्रेया नारायण ने कई बड़ी फिल्में की हैं। साहिब, बीवी और गैंगस्टर में श्रेया की एक्टिंग की ना सिर्फ तारीफ हुई बल्कि आगे वह रॉकस्टार जैसी मूवीज का पार्ट भी रही।

22. संजय मिश्रा

दर्जनों फिल्मों में लोगों को हंसाया है संजय मिश्रा ने। पटना से मुंबई पहुंचने तक की इनकी जर्नी जैसी भी रही हो, लेकिन एक्टिंग और इनके कैरेक्टर्स ने जमकर हंसगुल्ले बिखेरे हैं। बॉलीवुड के साथ टीवी पर भी वे कंटीन्यू एक्टिव हैं।

23. लिली पुट

छोटे कद के स्टार लिली पुट का कद सीरियल से लेकर सिनेमा तक काफी बढ़ा हुआ है। लिली पुट ने बंटी-बबली, सागर, आंटी नंबर वन, स्वर्ग जैसी फिल्मों में कॉमेडी और सीरियस रोल कर दर्शकों के दिल में खास जगह बना ली है।

24. शैवाल

प्रकाश झा की दामुल वह पहली फिल्म थी जिसमें बिहार के ग्र्रामीण समाज के वास्तविक समस्याओं को पर्दे पर उतारा गया। यह फिल्म हिंदी के चर्चित कथाकार शैवाल की कहानी कालसूत्र पर बेस्ड थी। शैवाल एक बार फिर से फिल्मों में सक्रिय हुए हैं। उन्होंने फिल्म दास कैपिटल की न सिर्फ कहानी लिखी है बल्कि इसके गीत, डायलॉग, स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले भी उनके ही कलम से निकले हैं।

25. विनीत कुमार

फिल्मों और टीवी में समान रूप से सक्रिय विनीत कुमार ऐसे बिहारी कलाकार हैं जिनका जीवंत रिश्ता बिहार खासकर पटना से बना हुआ है। उन्होंने द्रोहकाल, कच्चे धागे, अक्स, शूल मकड़ी जैसी फिल्मों में जानदार एक्टिंग की है।

26. साधना सिंह

नदिया के पार की एक्ट्रेस गुंजा यानी की साधना सिंह भी बिहार की बहू हैं। नदिया के पार के अलावा उन्होंने 'दोस्त गरीबों का' और 'फलक' जैसी फिल्मों में भी काम किया। अब सिरियल्स में भी एक्टिव हैं। वह भोजपुरी फिल्मों के पितामह विश्वनाथ शाहाबादी की बहू और फिल्म निर्माता राजकुमार शाहाबादी की वाइफ हैं।

27. शीना शाहाबादी

साधना सिंह की बेटी शीना शाहाबादी हिंदी फिल्मों की उभरती हुई एक्ट्रेस हैं। वे सतीश कौशिक जैसे निर्देशन में काम कर चुकी हैं। तेरे संग, फास्ट फॉरवर्ड और 'आई, मी एंड हम' इनकी प्रमुख हिंदी फिल्में हैं। हिंदी के अलावा इन्होंने कई रीजनल फिल्मों में भी काम किया है।

28. मनीष झा

2003 में एक बहुत चर्चित फिल्म आई थी, मातृभूमि - ए लैंड विदाउट वूमन। इस फिल्म के डायरेक्टर हैं मनीष झा। इस फिल्म को वेनिस फिल्म फेस्टिवल में अवार्ड भी मिला था। 2007 में मनीष की दूसरी फीचर फिल्म आई थी अनवर। नरकटियागंज के मनीष झा की अगली प्रपोज्ड फिल्म बिहार के माउंट मैन दशरथ मांझी पर है।

29. संजय सहाय

गया के संजय सहाय ने हिंदी सिनेमा को पंतग जैसी हिंदी फिल्में देखकर एक अलग ही इतिहास रचा है। कहानी, डायलॉग और स्क्रीन प्ले का बेहतरीन नमूना पेश किया है। फिल्म के डायरेक्टर बंगाल के गौतम घोष थे। यह फिल्म नेशनल अवार्ड से भी नवाजी जा चुकी है।

30. गिरीश रंजन

1980 में बनी स्टार कास्ट फिल्म कल हमारा है के डायरेक्टर गिरीश रंजन पटना के थे। इन्होंने हिंदी से लेकर डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में एक माइल स्टोन खड़ा किया है। कल हमारा है फिल्म की खासियत यह थी कि डायरेक्टर से लेकर फिल्म के कई कलाकार बिहार से ही लिए गए थे।

31. राम गोपाल बजाज

उत्सव और गोधूली जैसी हिंदी फिल्मों के असिस्टेंट डायरेक्टर रह चुके राम गोपाल बजाज का जन्म दरभंगा में हुआ था। बचपन सुपौल में बीता लेकिन मन मुंबई में लगना था। एनएसडी के रास्ते ये मुंबई पहुंचे। मिर्च मसाला और मासूम में एक्टिंग भी की। साथ ही कई फिल्मों का निर्देशन भी किया। रंगमंच के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर में एक माने जाते हैं।

32. दीपा नारायण

हिंदी और भोजपुरी फिल्मों की निर्मात्री दीपा नारायण मशहूर पाश्र्व गायक उदित नारायण की पत्नी हैं। गायन से लेकर निर्देशन के फिल्ड में इनका जोड़ नहीं है। इन दिनों भोजपुरी में बनने वाली तमाम बड़ी बजट की फिल्म दीपा के नाम ही रहता है।

33. दलेर मेंहदी

पंजाबी पॉप से लेकर बॉलीवुड के प्लेबैक तक दलेर मेंहदी ने अपना डंका बजाया है। पटना सिटी के दलेर मेहंदी की 'तुनक तुनक तुन' धुन आज भी पार्टी की रॉकिंग थीम होती है। इनके मस्ती भरे गानों को हर कोई पसंद करता है।

34. नीरज पांडेय

एक ट्रेडिशनल बिहारी फैमिली से बॉलीवुड तक नीरज पांडेय का सफर वाया दिल्ली रहा है। नीरज ने पांच साल के कॅरियर में 'ए वेडनेस्डे' जैसी फिल्म के साथ शुरुआत की और रीसेंटली 'स्पेशल 26' बनाई। नीरज अपनी फिल्मों के डायरेक्शन के साथ स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स भी खुद लिखते हैं।

35. नलिन सिंह

पटना के नलिन सिंह के लिए बॉलीवुड की राह दिल्ली होकर गई। 'गांधी टू हिटलर' नलिन की डेब्यू रही जिसमें नलिन की एक्टिंग को क्रिटिक्स ने सराहा। फिल्म अपने अलग जॉनर के कारण कमर्शियली तो पॉपुलर नहीं हुई लेकिन नलिन की बॉलीवुड में धांसू एंट्री हुई।

36. नेहा शर्मा

भागलपुर की नेहा शर्मा की बॉलीवुड में सरप्राइज एंट्री थी। बिना किसी ब्यूटी कांटेस्ट में पार्टिसिपेट किए नेहा रिकग्नाइज हुई और महेश भट्ट कैंप से 'क्रुक' के साथ डेब्यू किया। सफर की शुरूआत हो चुकी थी और आगे नेहा के खाते में 'क्या सुपर कूल हैं हम' जैसी फिल्में भी आई।

37. आदित्य कुमार

डीसेंट लुक लेकिन जबरदस्त एक्टिंग, यह हैं बॉलीवुड में नए बिहारी फेस आदित्य कुमार। गैंग्स ऑफ वासेपुर में 'परपेंडिकुलर' के कैरेक्टर ने आदित्य को वो जगह दिला दी, जिसके लिए सालों स्ट्रगल करना पड़ता है। मुंह में ब्लेड रखने वाले परपेंडिकुलर कैरेक्टर के कारण आदित्य के पास बॉलीवुड में कई रास्ते खुल चुके हैं।

38. आदित्य नारायण

प्योर फिल्मी बैकग्राउंड वाले इस बिहारी छोरे ने बॉलीवुड के लिए अपना प्यार बचपन में जाहिर कर दिया था। 'रंगीला', 'परदेस' और 'जब प्यार किसी से होता है' में चाइल्ड एक्टर के तौर पर की शुरुआत की तो तीन साल पहले 'शापित' में बतौर लीड एक्टर डेब्यू किया। पिता उदित नारायण की तरह आदित्य प्ले बैक सिंगिंग भी करते हैं।

39. रवि भूषण भारतीय

पू्रर्णिया के रवि भूषण भारतीय के लिए एक्टिंग फस्र्ट लव रही। लेकिन ट्रेडिशनल फैमिली से बीलांग करने के कारण उन्हें अपने सपने को जमीन पर उतारने के लिए उन्हें जर्नलिज्म का सहारा लेना पड़ा। भोपाल में थिएटर एक्टिंग करते करते उन्हें एफटीआईआई में एडमिशन मिल गया और फिर 'पान सिंह तोमर' में सेकेंड लीड। रवि की एक्टिंग के सफर की शानदार शुरूआत हो चुकी है।

40. राकेश रंजन

कांट्रोवर्सियल फिल्मों के डायरेक्टर के तौर पर राकेश रंजन का नाम पहले ही उछल चुका है। उनकी पहली फिल्म 'गांधी टू हिटलर' के साथ भी कांट्रोवर्सी रही और उनकी नेक्स्ट एनाउंस्ड मूवी 'मार्कशीट' पर भी कांट्रोवर्सी कम नहीं है। राकेश प्योर कमर्शियल फिल्मों की भीड़ से दूर अलग तरह की फिल्मों के डायरेक्टर हैं।

41. सोनाक्षी सिन्हा

बॉलीवुड में बिहारी ब्लड का सबसे हिट नाम हैं सोनाक्षी सिन्हा। फैशन डिजाइनिंग करते हुए सोनाक्षी ने बॉलीवुड में एंट्री ली और 'रज्जो' के कैरेक्टर ने उन्हें 'दबंग' बना दिया। सलमान के साथ दबंग तो अक्षय के साथ 'राउडी राठौर' और 'जोकर' से सोनाक्षी बॉलीवुड की नई सेंसेशन बन चुकी है।

42. लव सिन्हा

पिता शत्रुघ्न सिन्हा की तरह बॉलीवुड में छाने का ख्वाब रखने वाले लव सिन्हा को अब तक खास सफलता नहीं मिली है। 2010 में लव सिन्हा की एंट्री 'सदियां' से हुई लेकिन फिल्म को सक्सेस नहीं मिली। हालांकि इस फिल्म ने उन्हें एक प्रॉमिसिंग एक्टर के तौर पर उभारा जरूर लेकिन पिता से कंपैरिजन ने एक्सपेक्टेशन हाई कर दी है।

43. अध्ययन सुमन

शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन के लिए बॉलीवुड में एंट्री मुश्किल नहीं रही। अध्ययन ने 2008 में 'हाल-ए-दिल' से बॉलीवुड में एंट्री की और इसके लिए उन्हें कई अवार्ड सेरेमनी में बेस्ट डेब्यू के लिए नॉमिनेट हुए। अध्ययन ने इसके बाद राज, जश्न, हिम्मतवाला में भी काम किया और अभी भी उनके हाथ में कई फिल्में हैं।

44. चिराग पासवान

बिहार में पॉलिटिकल बैकग्राउंड के साथ बॉलीवुड में एंट्री रेयर कांबीनेशन है। राज्यसभा एमपी और एक्स यूनियन मिनिस्टर रामविलास पासवान के बेटे चिराग की बॉलीवुड में जाने की ख्वाहिश रही। उनकी पहली फिल्म 'मिले ना मिले हम' रही। कंगना राणावत और कबीर बेदी जैसे एक्टर्स के साथ चिराग की यह फिल्म उन्हें रिकग्नाइज कराने में सफल रही।

45. आकाश सिंह

भोजपुरी सुपरस्टार कुणाल सिंह के बेटे हैं आकाश सिंह। फिल्म और एक्टिंग ब्लड में रही तो आकाश ने इस पर फोकस भी किया। पिता ने भले ही भोजपुरी फिल्मों के लिए बॉलीवुड का ऑफर छोड़ा हो लेकिन आकाश की शुरूआत बॉलीवुड से हुई। ब्लडी इश्क उनकी पहली फिल्म है।

46. शारदा सिन्हा

मेनली भोजपुरी फोक सिंगर हैं शारदा सिन्हा। लेकिन बॉलीवुड में उनके गाए गीतों की गूंज तब भी थी और अब भी है। 'मैंने प्यार किया' का 'कहे तोसे सजना' गीत एक अमर गीत है। हालांकि इसके बाद शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड में कम ही गानों में आवाज दी लेकिन पिछले साल रिलीज हुई गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 के 'इलेक्ट्रीक पिया' गाने में उनकी जबरदस्त रीएंट्री हुई।

47. सुशांत सिंह राजपूत

एक्टर, सुशांत सिंह राजपूत 2013 में बॉलीवुड में एक प्रॉमिसिंग फेस बन चुके हैं। पटना के सुशांत की एंट्री बॉलीवुड में भले ही 'काय पो चे' के लीड से हुई लेकिन इससे पहले ही वे टीवी सीरियल्स के जरिए घर घर में राज कर रहे थे। 'काय पो चे' ने सुशांत को बॉलीवुड में राह ही नहीं दिलाई बड़े स्टार्स की लाइन के थोड़ा करीब भी पहुंचा दिया है।

48. प्रीतीश नंदी

बॉलीवुड के बड़े प्रोड्यूसर्स में से एक हैं प्रीतीश नंदी। पोएट, जर्नलिस्ट और पॉलिटिशियन के साथ 'बॉलीवुड मुगल' बन चुके प्रीतीश नंदी की प्रोडक्शन कंपनी 'प्रीतीश नंदी कम्यूनिकेशन' दर्जनों हिट फिल्म्स दे चुकी हैं। फिल्मों में डायरेक्ट पार्ट प्ले ना करते हुए भी बॉलीवुड में प्रीतीश नंदी का बड़ा योगदान है।

49. इम्तियाज अली

आरा से पटना, जमशेदपुर फिर दिल्ली और अब मुंबई, इम्तियाज अली बॉलीवुड के उन चुनिंदा डायरेक्टर्स में से हैं जिनकी फिल्मों की संख्या भले ही अधिक ना हो लेकिन जो हैं उन्होंने इतिहास बनाया। इम्तियाज की हालिया फिल्म 'कॉकटेल' और 'रॉकस्टार' भी सुपरहिट रही। 2007 में इम्तियाज ने 'ब्लैक फ्राइडे' में एक्टिंग भी की थी।

50. सत्या आनंद

बॉलीवुड में बिहारियों की फौज में बड़ा नाम बन चुके हैं सत्या आनंद। गैंग्स ऑफ वासेपुर में जेपी सिंह के कैरेक्टर के जरिए सत्या ने अपनी पहचान बना ली है। आरा से मायानगरी तक सफर सत्या के लिए कई मोड़ से गुजरा है। अपनी इस कहानी को सत्या ने अपने ब्लॉग पर भी शेयर किया है। लेकिन गैंग्स ऑफ वासेपुर ने सत्या को बॉलीवुड में जगह दिला दी।

51. शालिनी वत्स

एकेडमिशियन बैकग्राउंड की शालिनी वत्स के लिए थिएटर पैशन है। बॉलीवुड में उनकी अभी तक सिर्फ एक फिल्म आई है लेकिन इस फिल्म ने उन चुनिंदा फिल्मों में जगह बनाई है जो बॉलीवुड में माइलस्टोन हैं। पटना की शालिनी वत्स का 'पीपली लाइव' में नत्था की बीवी का कैरेक्टर सबके जेहन में है।

52. पीयूष झा

पर्दे के पीछे की बारीकियों को पीयूष झा ने बखूबी समझा है। सिकंदर, किंग ऑफ बॉलीवुड, चलो अमेरिका जैसी फिल्मों के राइटर और डायरेक्टर पीयूष, यूथ ओरिएंटेड मूवीज बनाते हैं।

53. ऐश्वर्य निगम

मुजफ्फरपुर के ऐश्वर्य निगम जी टीवी के रियलिटी सिंगिंग शो सारेगामापा की खोज हैं। छोटे पर्दे पर तो ऐश्वर्य शो के दौरान ही बन गए, बॉलीवुड में 'मुन्नी बदनाम' गाने ने उन्हें प्लेबैक सिंगिंग सेंसेशन बना दिया। ऐश्वर्य के कई गाने हिट हैं और यूथ प्लेबैक सिंगर्स में वे काफी आगे हैं।

54. मनोज वाजपेई

पश्चिमी चंपारण के छोटे गांव से बॉलीवुड में मनोज वाजपेई ने तब जगह बनाई, जब वहां चुनिंदा बिहारियों के ही नाम जाने जाते थे। सत्या के भीखू म्हात्रे की एंट्री दमदार थी जिसे शूल, अक्स, राजनीति, आरक्षण और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों ने मजबूती दी। मनोज ने एक्टिंग की बदौलत वो सबकुछ हासिल किया जिससे बिहारियों को बॉलीवुड में पहचान मिली।

55. उदित नारायण

प्लेबैक सिंगिंग में अब तक का सबसे बड़ा बिहारी नाम हैं उदित नारायण। बॉलीवुड में भी उनके कद तक पहुंचने वाले चुनिंदा हैं। 'पापा कहते हैं' जैसे गानों सहित उदित नारायण 15,000 से अधिक गाने गाए हैं। शायद हो कोई स्टार हो जिसके लिए उदित नारायण ने अपनी आवाज नहीं दी हो।

56. नीतू चंद्रा

बॉलीवुड में पहली बिहारी एक्ट्रेस के तौर पर जगह बनाई नीतू चंद्रा ने। पहली ही फिल्म 'गरम मसाला' में अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम के साथ काम किया और इसके बाद कभी रुकी नहीं। नीतू ने तमिल फिल्में भी की और भोजपुरी फिल्म देसवा प्रोड्यूस भी की लेकिन बॉलीवुड में उनका सफर कंटीन्यू है।

57. विनय पाठक

भोजपुर के विनय पाठक बॉलीवुड स्टैब्लिश्ड एक्टर और कॉमेडियन हैं। दर्जनों मूवीज में काम कर चुके विनय किसी खास क्लास के लिए नहीं बल्कि सभी को पसंद आने वाली फिल्में करते हैं। बॉलीवुड में मल्टीप्लेक्स कल्चर की शुरूआत हुई तो विनय के भेजा फ्राई जैसे लो बजट मूवीज ने बड़ी सफलता प्राप्त की।

58. नीलिमा अजीम

जर्नलिस्ट अनवर अजीम की बेटी नीलिमा अजीम बॉलीवुड और टेलीविजन में प्रॉमिनेंट फेस हैं। कई फिल्मों में एक्टिंग कर चुकी नीलिमा एक्टर पंकज कपूर की वाइफ हैं और शाहिद कपूर की मां हैं। नीलिमा ने शाहिद की डेब्यू फिल्म 'इश्क विश्क' में उनकी मां का ही कैरेक्टर प्ले किया था।

59. कावेरी झा

दरभंगा की कावेरी झा धीरे धीरे बॉलीवुड में जगह बना रही हैं। 2007 में प्रियदर्शन की 'भुलभुलैया' से एंट्री करने के बाद कावेरी ने जेल, ए फ्लैट जैसी फिल्में की है। कावेरी ने हाई जैक में शाइनी आहूजा के ऑपोजिट भी काम किया है।

60. शिल्पा शुक्ला

बहुत कम दिनों में मुजफ्फरपुर की शिल्पा शुक्ला ने बॉलीवुड में कई यादगार भूमिकाएं दे दी हैं। चक दे में हॉकी प्लेयर बिंदिया नायक के कैरेक्टर को प्ले करने वाली शिल्पा ने हजारों ख्वाहिशें ऐसी, खामोश पानी, भिंडी बाजार जैसी मूवीज में भी इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया है।

61. संदली सिन्हा

एयरफोर्स बैकग्राउंड से बॉलीवुड तक आने वाली संदली सिन्हा की बॉलीवुड में शुरूआत धमाकेदार रही। मुजफ्फरपुर की संदली ने दिल्ली से पढ़ाई के बाद बॉलीवुड की राह ली तो पहली ही फिल्म 'तुम बिन' हिट रही। इसके गाने आज भी सबकी जुबां पर हैं।

62. भगवान साहू

पटना रेडियो के मंजे हुए कलाकार भगवान साहू पटना के महेंद्रू इलाके के रहले वाले थे। इन्होंने शिवेंद्र सिन्हा की बहुचर्चित फिल्म 'फिर भी' सहित कई फिल्मों में काम किया।

63. कुणाल

भोजपुरी के जितेंद्र कहे जाने वाले कुणाल ने 'माशूका' और 'कल हमारा है' जैसी हिंदी फिल्मों में भी काम किया। 'कल हमारा है' फिल्म के निर्देशक भी बिहार निवासी गिरीश रंजन हैं। कुणाल पटना के पास मनेर इलाके के रहने वाले हैं।

64. विजय खरे

मुजफ्फरपुर के विजय खरे ने 'साहबजादा' और 'लोहा' जैसी फिल्मों में बहुत सी छोटी भूमिकाएं निभाकर अपनी फिल्मी करियर की शुरूआत की। वर्तमान में भोजपुरी फिल्मों के स्थापित खलनायक हैं।

65. रामायण तिवारी

बॉलीवुड के दबंग अभिनेताओं में रामायण तिवारी का नाम शुमार है। इन्होंने मूलत: पर्दे पर कैरेक्टर रोल प्ले किए हैं। 'नीलकमल, धरती कहे पुकार के, रामपुर का लक्ष्मण, आंदोलन' जैसी दर्जनों फिल्मों में इन्होंने अभिनय किया। मनेर के रहने वाले रामायण तिवारी की इच्छा थी कि वे कुवर सिंह पर एक फिल्म बनाएं लेकिन यह पूरी नहीं हो सकी।

66. भूषण तिवारी

रामायण तिवारी के पुत्र भूषण तिवारी ऐतिहासिक फिल्म 'शोले' में गब्बर सिंह के गैंग के एक डाकू बने थे। शोले के अलावा इन्होंने 'गोला-बारूद' सहित कई हिंदी फिल्मों में काम किया। बाद में सत्तर के दशक में जब भोजपुरी फिल्मों का जब दूसरा दौर शुरू हुआ तो भूषण उसमें मेन विलेन और कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में स्थापित हुए।

67.  ललितेश चंद्र

पूर्णिया के आने वाले ललितेश ने भी हिंदी फिल्मों से ही अपने अभिनय करियर की शुरूआत की। लेकिन इन्हें भी पहचान मिली भोजपुरी फिल्मों से। गंगा ज्वाला, नैहर की चुनरी, आंगन की लक्ष्मी इनकी प्रमुख भोजपुरी फिल्में हैं।

68. उदय श्रीवास्तव

शत्रुघ्न सिन्हा की होम प्रोडक्शन की फिल्म कालका से उदय श्रीवास्तव ने अपने एक्ंिटग कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद छोटकी बहू जैसी कई हिंदी फिल्मों में भी इन्होंने काम किया। उदय बाद में भोजपुरी फिल्मों में विलेन और कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में स्थापित हुए।

69. सतीश आनंद

सतीश आनंद ने बॉलीवुड में बिहार को स्थापित करने वाले दो बड़े लोगों, शत्रुघ्न सिन्हा और प्रकाश झा की फिल्मों में काम किया। उन्होंने 'बिहारी बाबू, हिप-हिप हुर्रे' सहित कई फिल्मों में अभिनय किया। साठ के दशक में पटना के रंगमंच में भी इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी।

70. अखिलेंद्र मिश्रा

चंद्रकांता के क्रूर सिंह आपको याद होंगे। गया के अखिलेंद्र मिश्रा ने यह किरदार निभाया था। अखिलेंद्र मिश्रा ने ढेर सारे हिंदी फिल्मों में भी काम किया है। इनमें गंगाजल और रेडी जैसी फिल्में भी शामिल हैं।

71. अशोक कुमार, एक्टर

275 फिल्मों की एक विरासत आज भी बॉलीवुड के लिए माइल स्टोन बनी हुई है। भागलपुर के आदमपुर मुहल्ले में जन्मे अशोक कुमार उर्फ दादामुनि का फिल्मी करियर अछूत कन्या से शुरु हुआ। दादा साहेब पुरस्कार से सम्मानित अशोक कुमार का जादू आज भी हर जुबां पर है। आशीर्वाद फिल्म में गाया गाना रेलगाड़ी रेलगाड़ी आज भी पॉपुलर है।

72. कुमकुम, एक्ट्रेस

गुरुदत्त की फिल्म 'आर-पार' का यह गाना 'कभी आर, कभी पार मारा तीरे नजर' पर डांस कर कुमकुम ने बॉलीवुड के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। शेखपुरा के हुसैनाबाद गांव में जन्मी कुमकुम का फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म मिर्जा गालिब से हुई थी। फिल्म सफर में गुरुदत्त की मिस्टर एंड मिसेज 55, कागज के फूल, प्यासा सहित 125 फिल्में की।

73. गणेश प्रसाद सिन्हा

जब सत्यजीत राय कोलकाता के अरोड़ा स्टूडियों में पाथेर पांचाली शूट कर रहे थे। उस समय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से पहली फीचर फिल्म आदर्श ग्राम का निर्माण उसी स्टूडियो में चल रहा था। इसमें बतौर अभिनेता के तौर पर गणेश प्रसाद सिन्हा, एक्स्ट्रेस कुमुद चुगानी थी। नवादा में जन्मे सिन्हा भोजपुरी, मैथिली, मगही एवं हिंदी में सैकड़ों नाटकों का निर्देशन किया।

74. गोपाल सिंह नेपाली

'आरती करो हरिहर की, करो नटवर की' ए नाग कही जा बसियो रे मेरे पिया को न डसियो रे जैसे गीतों ने बॉलीवुड में उर्दू शब्दों की सल्तनत को उखाड़ दिया। उस समय में नेपाली के लिखे गाने हर घर, मंदिर और दिलों में गुनगुनाए जाने लगे थे। गीतों के राजकुमार, एक फौजी पिता के फौजी संतान को पेकिंग रेडियो ने उनकी वन मैन आर्मी के रूप में महत्ता को स्वीकार की।

75. चित्रगुप्त

लता की रूमानियत, रफी की शरारत, गीता की शराफत, किशोर की चुलबुलाहट, मन्ना डे का शास्त्रीय सरगम, महेंद्र का सुर तरंग, मुकेश के दर्द, आशा, उषा, सुमन की मखमली आवाज को पिरोने वाले चित्रगुप्त थे। गोपालगंज के करमैनी गांव मं जन्मे चित्रगुप्त का सफर 1946 में रोबिनहुड से लेकर 1988 में शिवगंगा तक रहा।

76. सुहासिनी मुले

सुहासिनी मुले रिनाउंड एक्ट्रेस हैं। पटना में पैदा हुई सुहासिनी 1969 से बॉलीवुड में एक्टिव हैं। 2007 में इनको फिल्म 'हु तू तू' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। सुहासिनी ने ऑस्कर नॉमिनेटेड 'लगान' में भी इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया है।

77. हरीशरण प्रसाद

कुणाल-शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कलाकारों के साथ मिलकर अपनी अभिनय की अमिट छाप छोडऩे वाले हरीशरण प्रसाद ने हिंदी सहित भोजपुरी के कई फिल्मों में काम कर दर्शकों का दिल जीत लिया। पूर्वी लोहानीपुर के रहने वाले हरीशरण प्रसाद न लाल चुनरिया वाली, हमार घरवाली में में बेहतरीन अभिनय किया है।

78. अनीस रंजन

बॉलीवुड में बिहार से प्रोड्यूसर्स में बहुत कम ही नाम सामने आए हैं। इन चुनिंदा नामों में अनीस रंजन भी एक नाम है। अनीस ने टॉकिंग पिक्चर्स के बैनर तले मनोज वाजपेई स्टारर 'दिल पे मत ले यार' बनाई। इसके बाद भी कई दूसरी फिल्म पाइप लाइन में हैं।

79. इमरान जाहिद

एंट्री से पहले से महेश भट्ट कैंप का हिस्सा बन चुके इमरान जाहिद आने वाले दिनों में कई दूसरे कैंप में भी दिखने वाले हैं। जिस्म 2 से एंट्री के बाद इमरान दूसरे प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं। जिसमें रंजीत डॉन पर बनने वाली फिल्म मार्कशीट और एक फिल्म यूथ लीडर चंद्रशेखर के मर्डर पर बेस्ड है।

80. कमल एस सिन्हा

उर्दू शायरी में बड़ा नाम रहे कमल एस सिन्हा का बॉलीवुड में भी बड़ा नाम रहे हैं। पटना कमल सिन्हा ने म्यूजिक डायरेक्शन में हाथ आजमाया और तब के कई फिल्मों से जुड़े। इनमें आग, जागते रहो, आवारा जैसी फिल्में शामिल रही।

81. संजय झा

एक एक सीढ़ी चढ़ कर उंचाई तक पहुंचने वाले हैं संजय झा। 'जमीन आसमान' में असिस्टेंट डायरेक्टर से बॉलीवुड कॅरियर से शुरुआत की। बाद में खामोशी द म्यूजिकल में असिस्टेंट डायरेक्टर, कच्चे धागे में चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर, मिशन कश्मीर में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करने के बाद 'प्राण जाए पर शान ना जाए' फिल्म डायरेक्ट की।  

82. विंध्यवासिनी देवी

मुजफ्फरपुर में जन्मी विंध्यवासिनी देवी को बिहार कोकिला कहा जाता है। मगही फिल्म भैया में संगीत निर्देशन चित्रगुप्त का था, जबकि गीत विंध्यवासिनी देवी के थे। इसके अतिरिक्त मैथिली फिल्म कन्यादान में भी संगीत निर्देशन और गीत लेखन किया। छठ के इनके दो गीतों को भूपेन हजारिका ने स्वरबद्ध किया था। फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास मैला आंचल पर बनने वाली फिल्म डागडर बाबू के लिए आरडी बर्मन के निर्देशन में इन्होंने ही दो गीत लिखे थे।

83. शत्रुघ्न सिन्हा

बॉलीवुड का पहला खलनायक, जिसके आते ही लोग खामोश हो जाते थे। खलनायक हो या नायक, जिस रंग में बिहारी बाबू आए दर्शकों ने दिल से लगा लिया। प्रेम पुजारी से लेकर साजन, खिलौना, असली-नकली, गैम्बलर, मेरे अपने सहित कालीचरण में दोहरा अभिनय कर एक्टिंग की एक अलग मिसाल कायम किया। 200 से अधिक फिल्मों में काम करने बिहरी बाबू ने बिहार की पृष्ठभूमि पर कालका और बिहारी बाबू का भी निर्माण किया।

84. विजय वर्मा

12 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद छपरा के रहने वाले विजय वर्मा इन दिनों प्रकाश झा, सुधीर मिश्रा, सुनील दर्शन जैसे निर्देशकों की फिल्मों के लिए संगीत तैयार कर रहे हैं। पनाह, फिर दिल ने कुछ कहा सीरियल्स से एंट्री मारने वाले विजय ने जिमी, चेज व चक्रव्यूह में भी संगीत दिया। चक्रव्यूह का महंगाई वाला गीत काफी विवादित रहा था। अभी सत्याग्रह, जीना है तो ठोक डाल, चोर, भइया जी सुपरहिट, दशहरा और दिस वीकेंड में अपना संगीत दे रहे हैं।

85. नूर फातिमा

रिचर्ड ऐटनबरो की हिस्टोरिकल फिल्म गांधी में एक सीन है, जिसमें महात्मा गांधी नहाती हुई गरीब महिला को अपना कपड़े दे देते हैं। पर्दे पर इस गरीब महिला का किरदार पटना की नूर फामिता ने निभाया था। इसके अलावे उन्होंने हक की लड़ाई जैसी कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया है।

86. रेखा सहाय

पटना के मंदिरी इलाके में पली-बढ़ी रेखा सहाय ने कालका सहित कई हिंदी फिल्मों में एक्ंिटग की है। इन्होंने शाहरुख खान के साथ सर्कस में भी काम किया, साथ ही कई भोजपुरी फिल्मों में भी उन्होंने हीरोइन का किरदार निभाया है। सांसद और फॉर्मर मिनिस्टर सुबोध कांत सहाय रेखा सहाय के हसबेंड हैं।

87. मनोज तिवारी 'मृदुल'

हाल के दिनों में गैंग्स ऑफ वासेपुर का एक सांग 'जिय हो बिहार के लाला' की धूम रही थी। यह सांग भोजपुरी के स्टार सिंगर और एक्टर मनोज तिवारी ने गाया था। बिहार के भभुआ जिले से आने वाले मनोज तिवारी ने देशद्रोह सहित कुछ हिंदी फिल्मों में काम भी किया है।

88. शैलेंद्र

बिहार की ग्रामीण पृष्ठभूमि पर एक बहुत चर्चित फिल्म बनी थी तीसरी कसम। इस फिल्म के निर्माता और गीतकार थे कवि शैलेंद्र। शैलेंद्र के बिहार लगाव की एक वजह यह थी कि उनके पूर्वज बिहार के भोजपुर इलाके के थे। हिंदी गीतकारों के कुछ महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों में से एक थे शैलेंद्र।

89. ब्रजकिशोर दूबे

सासाराम के कुछ उत्साही लोगों ने एक हिंदी फिल्म बनाने की ठानी और चिमनी का धुंआ फिल्म का निर्माण शुरू हुआ। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे ब्रजकिशोर। बाद में दूसरे अभिनेताओं की तरह ब्रजकिशोर ने भी भोजपुरी और मैथिली फिल्मों में सफल पारी खेली।

90. रत्ना अरुण

पटना की गायिका रत्ना अरूण ने फिल्म माशूका में गीत गाए थे। इस फिल्म के म्यूजिशियन थे उनके पति आरके अरुण। रत्ना हिंदी फिल्मों में बतौर प्लेबैक सिंगर ज्यादा सक्सेसफुल नहीं रहीं, लेकिन बतौर स्टेज परफॉर्मर वो बहुत सफल रहीं।

91. श्याम सागर

खगौल के श्याम सागर ने डाकबंगला, पल दो पल का साथ, तीसरा किनारा, कल हमारा है जैसी हिंदी फिल्मों में संगीत दिया। हिंदी के अलावा वे भोजपुरी फिल्मों के सफल म्यूजिशियन के रूप में भी जाने जाते हैं।

92. लक्ष्मण शाहाबादी

हिंदी फिल्म कल हमारा है के गीतकार थे लक्ष्मण शाहाबादी। इसके अलावा उन्होंने अनगिनत भोजपुरी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे।

93. अभि भट्टाचार्य

गया के अभि भट्टाचार्य का शुमार हिंदी सिनेमा के प्रमुख कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में किया जाता है। यात्रिक, जागृति, अनुराधा और अमानुष उनकी प्रमुख फिल्में हैं। उन्हें 1956 में जागृति के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड भी दिया गया था।

94. मोहन जी प्रसाद

छपरा जिले के मूल निवासी मोहन जी प्रसाद हिंदी फिल्मों के प्रमुख निर्माता-निर्देशकों में से एक हैं। मीनाक्षी शेषाद्री ने इनकी कई फिल्मों में काम किया। घर-द्वार, औरत खड़ी बाजार में और मां-बेटी इनकी प्रमुख फिल्मों में से एक हैं।

95. जमील शाह

दरभंगा के तीस वर्षीय जमील शाह को बहुत कम लोग जानते होंगे। रितिक रोशन, रणवीर कपूर, बिपासा बसु, प्रियंका चोपड़ा सहित बॉलीवुड के कई स्टार्स जमील के बनाए बूट (शूज) ही पहनते हैं। बालीवुड के बाद जमील अब हालीवुड में भी डिमांड पर हैं। किंग खान हों या युवा दिल की धड़कन कैटरीन कैफ, इनके बनाए बूट पर ही डांस-धमाल मचाते हैं।

96. प्यारे मोहन सहाय

प्रकाश झा की 'दामुल और रमेश सिप्पी की 'भ्रष्टाचार' जैसी फिल्मों के बाद 'मुंगेरी लाल के हसीन सपने' जैसी फिल्मों में करने वाले एक्टर प्यारे मोहन सहाय का बॉलीवुड सफर काफी सुहाना रहा था। एनएसडी के फस्र्ट बैच के फस्र्ट बिहारी थे, जिन्होने रंगमंच से लेकर फिल्मों तक में अभिनय की नई मंजिल प्राप्त की। मुजफ्फरपुर के प्यारे मोहन सहाय का पूरा सफर पटना, दिल्ली, मुंबई के इर्द-गिर्द घूमा है।

97. प्रकाश झा

बॉलीवुड में पर्दे के पीछे के नामों में प्रकाश झा एक स्टैब्लिश्ड नाम है। दामुल से प्रकाश झा ने बॉलीवुड सफर की शुरूआत की जो मृत्युदंड, गंगाजल, अपहरण, राजनीति, आरक्षण, चक्रव्यूह जैसी फिल्में बॉलीवुड को दी। हर फिल्म एक खास फिल्म साबित हुई और इन फिल्मों ने बॉलीवुड को नई पहचान भी दिलाई।

98. फणीश्वर नाथ रेणु

राजकपूर की फिल्म तीसरी कसम में जिस अदा से राजकपूर ने अपने डायलॉग बोले है। उसमें रेणु की सधी कलम और कैरेक्टर को लेकर संजोए उनके सपने दिखता है। तीन कसम के जरिए एक गाड़ीवान के दिल की कहानी को रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' से लिया गया है। पूर्णियां डिस्ट्रिक के फणीश्वर नाथ रेणु ने साहित्य के साथ फिल्मों में भी अपना अलग पहचान बनाने में सफल रहे थे।

99. मनीष वात्सल्य

पहले मेडिकल स्टडीज में एंट्री ली थी मनीष वात्सल्य ने। लेकिन बॉलीवुड की चाह ने मनीष इस राह पर चलने को मजबूर किया। पूर्णिया के मनीष की बॉलीवुड में एंट्री आसान नहीं रही। कैलाश खेर के वीडियो 'तेरी दीवानी' के बाद मकबूल में एक्टिंग का चांस मिला। मनीष ने 'जीना है तो ठोक डाल' फिल्म में एक्टिंग के साथ इसका डायरेक्शन भी किया है।

100. अभिमन्यु सिंह

पटना के अभिमन्यु सिंह बॉलीवुड में अब नया नाम नहीं है। अक्स के साथ बॉलीवुड में एंट्री और गुलाल, रक्तचरित्र जैसी मूवीज हैं अभिमन्यु सिंह के खाते में। सीरियल्स से फिल्मों तक का सफर, अभिमन्यु ने बिना किसी गॉड फादर के पूरा किया है और उनका सफर अभी भी कंटीन्यू है।