राजधानी पटना की सबसे बड़ी समस्या बन गया है जाम, सुबह से शाम लोग होते हैं परेशान

- कुछ जगहों से गुजरने में डर लगता है, लोगों में सिविक सेंस है ही नहीं

- जाम हटाने को लेकर अधिकारी भी नहीं रहते अलर्ट, कर्मी की कमी का रोना

राजधानी में रहना, मतलब हर आम-ओ-खास फैसिलिटीज के साथ गुजर-बसर करना। राजधानी में रहने वाले लोगों को लगता है कि उन्हें बाकी शहरों के मुकाबले ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मिले, पर अफसोस पटनाइट्स के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है। कॉमन मैन इलेक्शन में अपने प्रतिनिधि को ठोक-बजाकर चुनता है, ताकि उसकी हर परेशानी दूर हो, पर ऐसा होता नहीं है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाला है और इसे लेकर अनऑफिशियली चुनावी बिगुल भी बज चुका है। राजधानी की ऐसी कई समस्याएं हैं, जो अब भी वैसे ही मुंह बाए खड़ी हैं। आज से हम आपको बताएंगे कि पटना में रहने वालों का सपना क्या है? आखिर क्या चाहते हैं राजधानी में रहने वाले

PATNA: राजधानी पटना की सबसे बड़ी समस्या है जाम। इसके निजात के लिए सरकार के साथ-साथ प्रशासन तंत्र के बेहतरीन को-ऑर्डिनेशन की जरूरत है, पर पटना में इसका अभाव देखने को मिलता रहा है। आज शहर के लगभग हर चौक-चौराहों पर आपको जाम दिख जाएगा। इस भयंकर जाम में फंसकर कई पेशेंट की मौत तक हो चुकी है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि ट्रैफिक जाम से पटनाइट्स को मुक्ति नहीं मिल रही है।

इधर जाने में डर लगता है

शहर के कई ऐसे इलाके हैं, जहां जाम सुबह से ही शुरू हो जाता है। बच्चे हों या बड़े, सभी इससे जूझते रहते हैं। कोई स्कूल को लेट होता है, तो कोई ऑफिस के लिए। अगर हम उदाहरण के तौर पर शहर के एक छोर को देखें, तो पाते हैं कि पाटलिपुत्रा स्थित वीर कुंअर सिंह पथ से गुजरने में लोगो को डर लगता है। अगर इस सड़क से किसी तरह गुजर भी जाएं, तो फिर उनका बोरिंग रोड में घंटों जाम में फंसा रहना तय है। हालांकि समस्या यहीं खत्म नहीं होती और यही स्थिति इंकम टैक्स चौराहा से लेकर पटना जंक्शन तक रहता है।

जंक्शन के पास भयावह स्थिति

शहर के बीचों-बीच स्थित है पटना जंक्शन, जहां पर हर दिन हजारों लोगों का आना-जाना रहता है। इस जगह पर सुबह से ही जाम का सिलसिला शुरू हो जाता है और देर रात तक यही स्थिति रहती है। लोग जंक्शन का रास्ता तब ही चुनते है जब उनके पास कोई विकल्प नहीं रहता साथ ही अपने तय समय से लगभग एक घंटे पहले घरों से निकलते हैं।

जब जाम में फंस जाती है एम्बुलेंस

जाम की वजह से अगर किसी की जान चली जाए, तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है, लेकिन क्या हम ऐसी मौत को रोक नहीं सकते। अगर लोग जागरूक हों और उनके अंदर सिविक सेंस हो, तो शायद किसी की जान बचायी जा सकती है। जाम के वक्त सबसे भयावह स्थिति तब होती है, जब एक एंबुलेंस लाचार अवस्था में जाम में फंसता है, लेकिन किसी को उस मरीज की पीड़ा नहीं सुनाई देती और अगर किसी को सुनायी भी देती है, तो मुंह फेर लेते हैं लोग। एंबुलेंस कर्मचारी संघ ने भी माना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी एंबुलेंस के सामने वाली गाडि़यां रास्ता नहीं देती, जिससे मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में समस्या होती है। संघ की मानें, तो एम्बुलेंस को सबसे ज्यादा ट्रैफिक जीपीओ गोलंबर, इनकम टैक्स गोलंबर, अशोक राजपथ, गांधी सेतु जैसे इलाकों में मिलता है।

कार है, पर चलते हैं स्कूटी से

पटना में जाम का सिलसिला ऐसा है कि बहुत सारे पटनाइट्स जाम से बचने के लिए फोर व्हीलर के बजाय टू वीलर चलाना पसंद करते हैं। इनलोगों का कहना है कि भले कार की एसी वाली सुविधा ना मिले, पर जाम से थोड़ा आराम जरूर मिलता है। सुबह बच्चे को स्कूल छोड़ना हो या फिर ऑफिस जाना हो, टू वीलर से समय पर पहुंचा जा सकता है। पाटलिपुत्रा कॉलोनी में रहने वाली सोशल वर्कर मिली सरकार कहती हैं कि बेटी को स्कूल छोड़ने जाना हो या मार्केटिंग करने, मैं स्कूटी ही प्रेफर करती हूं। फोर व्हीलर से निकलने का मतलब है पूरा दिन इधर-उधर में बिता दो।

अगर ऐसा हो, तो मिल सकती है निजात

शहर में जाम लगने की कुछ ऐसे कारण हैं, जिनका समाधान हो गया तो जाम से बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है।

-नो पार्किंग जोन में कोई गाडि़यां ना खड़ी हों।

- फूटपाथ से अतिक्रमण हटाया जाए।

- ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त की जाए।

- बस स्टॉप से ही उठाए जाएं पैसेंजर्स।

ऑफिसर्स देते हैं सिर्फ आश्वासन

जाम को लेकर अधिकारी बताते हैं कि अतिक्रमण ही जाम का मुख्य कारण है और इसे हटाने के लिए लगातार ड्राइव चलाया जा रहा है, पर लोगों में सिविक सेंस डेवलप नहीं हो पा रहा है। नगर आयुक्त जय सिंह कहते हैं कि अतिक्रमण हटाया जा रहा है और लोगों से फाइन भी लिया जा रहा है।

जाम से मुक्ति दिलाने के लिए अतिक्रमण हटाया जा रहा है, अब वैसे लोगों की दादागीरी नहीं चलेगी, जो बार-बार अतिक्रमण करते हैं। नहीं मानने पर अब उन पर एफआईआर होगी। पुलिस फोर्स की उपलब्धता में भी थोड़ी कमी होने की वजह से परेशानी होती रही है।

जय सिंह, नगर आयुक्त, पटना

मेरे पास कार है, पर जाम के कारण मैं शहर में जाने के लिए अपनी स्कूटी का इस्तमाल करती हूं। मुझे सबसे ज्यादा जाम डाकबंगला चौक और आर ब्लॉक पर मिलता है, जिससे काफी परेशानी होती है।

पिंकी कुमारी, बोरिंग रोड

क्0 से ख्0 प्रतिशत मामलों में हॉस्पीटल पहुंचने से पहले ही ट्रैफिक जाम की वजह से मरीज की मौत हो जाती है। पटना के लोगों में सिविक सेंस का अभाव है।

विजय बहादुर तिवारी, प्रवक्ता, क्0ख् एंबुलेंस कर्मचारी संघ

जाम लगने वाले फेमस इलाके

एरिया समय

डाक बंगला चौक- दिनभर

आर ब्लाक- दिनभर

बोरिंग रोड चौराहा - सुबह और शाम

पटना जंक्शन - दिनभर

हड़ताली मोड़ - सुबह और शाम

बोरिंग रोड - दिन के एक बजे से

वीर कुंअर सिंह पथ-सुबहक्0 बजे से

कारगिल चौक - सुबह से दोपहर तक

इनकम टैक्स चौराहा- देर शाम में