- एक क्यूबिक हवा में पीएम 2.5 की मात्रा का सालाना औसत 40 माइक्रोग्राम होना चाहिए लेकिन पटना में साढ़े तीन गुणा अधिक है

PATNA : हम और आप देश के दूसरे सबसे पॉल्यूटेड टाउन में रह रहे हैं। चौंकिए मत। यह सच जान लीजिए कि भारतीय प्रदूषण मानकों के मुताबिक एक क्यूबिक हवा में पीएम ख्.भ् की मात्रा का सालाना औसत ब्0 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन पटना में ये साढ़े तीन गुणा ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि देश में सबसे पॉल्यूटेड टाउन दिल्ली है। जहां एक क्यूबिक हवा में पीएम ख्.भ् की मौजूदगी का सालाना औसत क्भ्फ् माइक्रोग्राम है। डब्ल्यूएचओ ने ये स्वीकार किया है कि इसी वजह से चेस्ट से जुड़ी बीमारियां बढ़ गई हैं। चेस्ट कैंसर भी इस वजह से ज्यादा हो रहे हैं। आईएआरसी ने माना है कि एयर पॉल्यूशन का संबंध यूरिन नली और थैली के कैंसर से भी है।

किन कारणों से ज्यादा पॉल्यूशन

-डीजल से चलने वाली गाडि़यां

-वैसी गाडि़यां जो मानकों के पालन को इग्नोर कर रही हैं।

-जेनरेटरों से निकलने वाले धुंए

-कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से

सबसे खरतनाक हैं ये कण

पीएम जो हवा में मौजूद सबसे महीन कण होते हैं बॉडी में पहुंच कर बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। सबसे खतरनाक कण वे होते हैं जो ख्.भ् माइक्रोन से छोटे होते हैं। ये कण सांस के रास्ते ब्लड तक पहुंच जाते हैं और फिर लंग्स, लीवर और किडनी तक को डैमेज कर देते हैं। पटना एम्स की मानें तो पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट में जितने मरीज आते हैं उनमें भ्0 परसेंट एक्यूट ब्रोंकाइटिस व एलर्जिक ब्रोंकाइटिस से परेशान रहते हैं।

धूल कण की वजह से सांस की बीमारियां पटना में बढ़ी हैं। पीएमसीएच में आने वाले मरीजों में बड़ी संख्या दम फूलने वालों की होती है। धूल से ही पटना की बड़ी आबादी की सांस नली सिकुड़ रही है।

- डॉ। सुभाष झा, चेस्ट सर्जन, पीएमसीएच