पटना (ब्यूरो)। ठंड में बाहर का कम तापमान शरीर के मेटाबालिज्म सिस्टम को प्रभावित कर वात-पित्त व कफ तीनों बायोएनर्जेटिक शक्तियों को असंतुलित कर सकता है। इनमें जो भी चीज असंतुलित होती है वह अलग-अलग शारीरिक-मानसिक रोगों का कारण बनती है। इस मौसम में सर्दी-खांसी, जुकाम, बुखार या ऐसे ही लक्षण वाले कोरोना, निमोनिया, जोड़ों का दर्द व श्वांस रोग ज्यादा परेशान करते हैं। कोरोना या सर्दी-खांसी, बुखार जैसे संक्रमणों से बचाव के लिए शारीरिक दूरी, मास्क, बिना साबुन से हाथ धोए या सैनिटाइज किए नाक-मुंह व आंख नहीं छूने के साथ आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन कर स्वस्थ रहा जा सकता है। इसके लिए सद्वृत्त, आचार-व्यवहार, रसायन का सेवन, दिन-रात्रि व ऋतुचर्या का पालन बहुत जरूरी है। ये बातें राजकीय आयुर्वेद कालेज पटना, बेगूसराय, दरभंगा के पूर्व प्राचार्य डा। दिनेश्वर प्रसाद, पटना आयुर्वेदिक कालेज के प्राचार्य डा। संपूर्णानंद तिवारी, डा। अमरेंद्र कुमार ङ्क्षसह व डा। सुशील कुमार झा ने ये बातें कहीं।

सुबह से रात तक आयुर्वेदिक दिनचर्या :

सूर्योदय से पहले उठ कर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर आधे लीटर गर्म-गुनगुने जल के साथ संभव हो तो पाचनतंत्र ठीक रख जुकाम-खांसी से बचाव के लिए त्रिकटु या पंचकोल पाउडर का चौथाई चम्मच लेना बेहतर होता है। नींबू रस के साथ भी गुनगुना जल लिया जा सकता है। इसके बाद टूथब्रश की जगह हल्दी पाउडर-सेंधा नमक में सरसों तेल मिलाकर मसूढ़ों की मालिश करना बेहतर होता है। इसके बाद पूरे शरीर में सरसों तेल की मालिश के साथ दोनों नासाछिद्र में चार-चार बूंद अणु या षडङ्क्षबदु तेल या सरसों तेल डालना चाहिए। स्नान के बाद पूजा के दौरान गुग्गल, अगर, राई, नीम, करंज के पत्ते, चंदन, अजवायन आदि का धूप जलाएं। इससे घर की हवा में फैले वायरस-बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। पूजा के बाद आधे घंटे योगासन-प्राणायाम कर काली मिर्च, अदरक, तुलसी पत्ता व दालचीनी युक्त काढ़ा जिसमें मिठास के लिए गुड़ मिला सकते हैं लें। नाश्ते या खाने में गर्म, कड़वा-तीता व्यंजन लेना फायदेमंद रहता है। नाश्ता-खाना दिन में दो बार लेना ही बेहतर है, बीच में भूख लगने पर एक चम्मच घी-मक्खन युक्त सब्जियों-मांस का सूप ले सकते हैं। रात में सोते समय एक चम्मच च्यवनप्राश खाकर हल्दी डालकर एक बार उबाला गर्म दूध लेना चाहिए।

ये दवाएं व खानपान हैं लाभदायी :

सितोपलादि चूर्ण, त्रिकटु चूर्ण, पंचकोल चूर्ण में से किसी एक के पाउडर में नीम, गिलोय, अश्वगंधा, मुलेठी, आंवला आदि मिलाकर प्रकृति एवं बल के अनुसार वैद्य द्वारा परामर्शित मात्रा में लेने से सामान्य संक्रमण दूर रहते हैं। इसके अतिरिक्त बादाम, अखरोट, किशमिश आदि ड्राई फ्रूट, मौसमी फल, हरे साग-सब्जियों की अधिक मात्रा के साथ दलिया, खिचड़ी, पोहा, तिल के व्यंजन, गोंद-हल्दी के लड्डू आदि का सेवन ठंड में स्वास्थ्यप्रद होता है।

पंचकर्म व भाप कोरोना समेत कई संक्रमण को रखेगा दूर :

ठंड में होने वाले श्वांस, जोड़ दर्द समेत कई रोगों में पंचकर्म चिकित्सा काफी उपयोगी होती है। गरारा, गंडुस एवं अंजन के अलावा नाक व मुंह से भाप लेने से सर्दी-खांसी व एलर्जी की समस्या में काफी आराम होता है। कोरोना या उसके लक्षण वाले फ्लू में इनका उपयोग किया जाता है। इन उपायों का प्रयोग किसी अन्य चिकित्सा पद्धतियों की दवाओं के साथ किया जा सकता है।

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मौसमी रोगों का संपूर्ण उपचार यहां उपलब्ध है। पंचकर्म की तमाम सुविधाएं हैं, कुछ सामान जो उपलब्ध नहीं है, उसका इंतजाम रोगियों को करना पड़ता है। जल्द ही वह सामान भी मंगवा लिया जाएगा।

डा। अरुण कुमार ङ्क्षसह, प्रभारी अधीक्षक राजकीय आयुर्वेदिक कालेज पटना