PATNA : टॉपर घोटाला और बीएसएससी पेपर लीक मामले के बाद अब एक और नया मामला सामने आया है। जिसमें बड़े पैमाने पर भारी गड़बडी हुई है। नया मामला बिहार सरकार की योजना स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड में हुए बड़े फर्जीवाड़ा का है। कहना गलत नहीं होगा कि ये मामला बिहार सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

दरअसल, शिक्षा विभाग ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स की जांच कर पहचान करने का जिम्मा एक कंपनी को दिया था। लेकिन यह कंपनी फर्जी निकल गई है। हैरत की बात यह है कि इस फर्जी कंपनी के प्रमाणित किए गए करीब ख्00 से अधिक स्टूडेंट्स को उच्च शिक्षा के लिए लोन भी दे दिया गया है। सवाल ये है कि जब प्रमाणित करने वाली कंपनी ही फर्जी निकली तो जिन स्टूडेंट्स को लाखों रुपए के लोन दिए गए हैं, वो कौन हैं?

- बगैर जांच दे दी अथॉरिटी

महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार सरकार ने उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना लागू किया था। वित्तीय वर्ष ख्0क्म्-क्7 के तहत भ् लाख स्टूडेंट्स को इसका लाभ दिया जाना था। नियम ये बनाया गया कि अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स के आवासीय पते की जांच की जाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने संक्षि्प्त टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को हायर किया। सितंबर ख्0क्म् में बगैर किसी जांच के विभाग के अधिकारियों ने कंपनी को लेटर ऑफ ऑथराइजेशन यानी की एलओए दे दिया।

- इस तरह हुआ खुलासा

एलओए देने से पहले विभाग ने कंपनी से ख्.8 करोड़ रुपए की सिक्योरिटी मांगी थी। कंपनी की ओर से बैंक अकाउंट में जमा कुल फ्.फ्0 करोड़ की सिक्योरिटी पेपर विभाग में जमा कराया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यहां पर लापरवाही बरती। सिक्योरिटी मनी के पेपर की उसी वक्त जांच नहीं कराई। दूसरी ओर एलओए मिलते ही कंपनी ने अपना काम शुरू कर दिया था। विभाग के एक अधिकारी की नींद हाल के दिनों में खुली। उन्होंने पेपर की जांच कराई तो वो फर्जी मिला।

- तीन बैंक लेकिन खाता नहीं

फर्जी पेपर के जरिए कोलकाता के स्टैंडर्ड चार्टड बैंक के अपने अकाउंट में ख् करोड़ रुपए होने का शो किया। जबकि हैदराबाद के आंध्रा बैंक में 80 लाख और पटना में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मेन ब्रांच में भ्0 लाख रुपए जमा दिखाया। जब अधिकारियों की नींद खुली और सिक्योरिटी मनी के पेपर की पड़ताल की तो सभी फर्जी निकले। तीनों ही बैंकों में कंपनी के नाम से कोई अकाउंट ही नहीं था।

- पता भी फर्जी निकला

जब तीनों बैंकों का अकाउंट फर्जी निकला तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों के होश ही उड़ गए। विभाग में जमा कराए डॉक्यूमेंट्स पर कंपनी ने अपना एड्रेस रामनगरी, सेक्टर-फ्, आशियाना नगर पटना बताया था। आनन-फानन में विभाग के अधिकारी कंपनी के दिए पते पर पहुंचे। जांच में कंपनी की ओर से दिया गया पता भी फर्जी निकला।

-सीईओ समेत कई एफआईआर

हर तरफ से कंपनी और उसके लोग फर्जी निकले। लिहाजा विभाग के अधिकारियों ने पुलिस का सहारा लेना मुनासिब समझा। आनन-फानन में स्टूडेंट कार्ड योजना के प्रभारी पदाधिकारी प्रभात कुमार पंकज सचिवालय थाना पहुंचे। जहां उन्होंने कंपनी के सीईओ पी.राम गोपाल सहित कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया है।

- फर्जी पते पर कैसे हुआ रजिस्ट्रेशन

सरकार के अधिकारियों ने भी हर तरफ से लापरवाही बरती है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एक ओर जहां बगैर जांच के फर्जी कंपनी को स्टूडेंट्स की पहचान कर प्रमाणित करने का जिम्मा दे दिया। वहीं निबंधन विभाग के अधिकारियों ने भी लापरवाही बरती। सवाल ये उठता है कि कंपनी के दिए पते की जांच किए बगैर निबंधन विभाग ने आखिर कैसे फर्जी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कर दिया?

मामले की जांच शुरू कर दी गई है। किस आधार पर कंपनी को एलओए मिला और फर्जी पते पर कैसे उसका रजिस्ट्रेशन हुआ। इस खेल में कौन-कौन लोग शामिल है? इसका पता लगाया जा रहा है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

चंदन कुशवाहा, सिटी एसपी, पटना सेंट्रल