PATNA : बीएसएससी पेपर लीक मामले में मंगलवार को पॉलीटिकल पैरवी का सच सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हुआ है जिसमें बिहार विधानसभा अध्यक्ष के पीएस ने आवेदक के लिए बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष से पैरवी की है। हालांक मैसेज की अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

- दो अलग-अलग दिन का है मैसेज

राजनीतिक दलों द्वारा जारी किया गया मैसेज दो तिथियों का का है। एक 9 जनवरी और दूसरा

ख्0 जनवरी का है। मैसेज मे दो कैंडिडेट की पैरवी की गई है। मैसेज करने वाले ने खुद को बिहार विधानसभा का पीएस बताते हुए एएनएम पद के लिए पैरवी की है। इसमें तीन कैंडिडेट हैं। उनके रोल नंबर, एडमिट कार्ड नंबर के साथ अन्य डिटेल दिया गया है।

- मैसेज सही तो क्यों बोल रहे झूठ

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने वायरल हुए मैसेज से संबंधित नंबर पर कॉल किया तो संबंधित व्यक्ति ने अपना नाम सुल्तान बताया। उसका कहना है कि वह कटिहार प्रखंड के बरारी का निवासी है और वह भला कैसे किसी की पैरवी करेगा। उसका कहना है कि वह गरीब है और मजदूरी करता है। लेकिन इस बात में सच्चाई नहीं दिख रही है क्योंकि जब टू्र कॉलर पर संबंधित नंबर की पड़ताल की गई तो नंबर नवीन नाम से ही आया। ऐसे में सवाल ये है कि वायरल मैसेज गलत है या फिर संबंधित व्यक्ति झूठ बोल रहा है। मैसेज भी जांच का विषय है।

मैसेज से राजनीतिक हमला

एक

हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने सरकार पर हमला बोलते हुए मैसेज को सोशल मीडिया के जरिए वायरल करते हुए सवाल खड़ा किया है कि क्या मुख्यमंत्री स्पीकर पर कार्रवाई करेंगे। एसआईटी को हिम्मत है विधानसभा अध्यक्ष से पूछताछ करने की। इसके साथ ही उन्होंने पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

दो

एक्स सीएम सुशील कुमार मोदी ने विधानसभाअध्यक्ष के पीएस नवीन द्वारा बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार को एसएमएस भेजकर परीक्षार्थियों के पक्ष में पैरवी करने व पटना के प्रमंडलीय आयुक्त पर आयोग की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष के पीएस नवीन ने स्नातक स्तर की परीक्षा के एक परीक्षार्थी व एएनएम पद के लिए दो महिला उम्मीदवारों के रोल नंबर का उल्लेख करते हुए एसएमएस भेजा था। उनका कहना है कि सरकार को खुलासा करना चाहिए कि आयोग के अध्यक्ष को इस प्रकार के कितने एसएमएस भेजे गए हैं?

तीन

नेता प्रतिपक्ष डॉ प्रेम कुमार का कहना है कि इससे सरकार पर सवाल खड़ा होता है। सीएम यदि किसी को बचाने और न ही किसी को फंसाने की बात कर रहे हैं तो उन्हें इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करानी चाहिए। क्योंकि एक डीएसपी, सचिव स्तर के अधिकारियों की कैसे जांच कर सकता है। उन्होंने कहा कि वह आईएएस एसोसिएशन के साथ हैं और इस मामले में सीबीआई की जांच होनी चाहिए तभी मास्टर माइंड सामने आएगा। अगर सरकार इसमें आनाकानी करती है तो वह अपने लोगों को बचाने का काम कर रही है। खुद नीतीश कुमार भी ऐसे मामलों में सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं और जब पावर है तो क्यों नहीं इस पर मुहर लगा रहे हैं। ये बड़ा सवाल है।