- मत्स्य पालन विभाग नीली क्रांति में फेल

- 20 करोड़ से अधिक का बजट नहीं कर पाए खर्च

- कैबिनेट में प्रस्ताव के बाद मिला धन, विभाग ने कर दिया वापस

PATNA : सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट पर प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग ने पलीता लगा दिया है। मुयमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के सहारे प्रदेश में नीली क्रांति लाने का सपना चकनाचूर हो गया है। विभाग योजना पर काम ही नहीं कर सका जिससे वर्ष ख्0क्भ्-क्म् के लिए आया लगभग ढाई करोड़ का बजट वापस चला गया। सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम किया गया होता तो प्रदेश में मछली उत्पादन का स्वरुप ही बदल गया होता।

- एक नजर योजना पर

सरकार के उप सचिव कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने ख्म् नवंबर ख्0क्भ् को महालेखाकार को सहित अन्य अफसरों को भेजे गए पत्र में योजना की धनराशि स्वीकृति करते हुए कहा था कि वित्तीय वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में कुल ख्0 करोड़ ब्भ् लाखा भ्ब् हजार भ्00 रुपए की लागत पर राज्य योजना अन्तर्गत मुयमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के तहत मत्स्य पालन की दिशा में नई क्रांति लाना है। इस योजना के तहत अनुदानित दर पर मत्स्य बीज हैचरी, नया तालाब का निर्माण, टयूबवेल एवं पप का अधिष्ठापन और जलाूमि का विकास करने के साथ सरकारी तालाबों के पट्टेदारों को नाव और अन्य सामाग्री वितरण करने की योजना बनाई गई है।

- योजना पर नहीं हो सका एक काम

मुयमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के लिए स्वीकृत लगाग ढाई करोड़ की धनराशि पर प्रदेश में एक ाी काम नहीं किया जा सका और फिर मजबूर होकर इस धनराशि को वापस कर दिया गया। एक बार धन वापस होने के बाद अब इस फिर इतना बड़ा बजट आना मुश्किल हो जाएगा। विाग ने ऐसी योजना में लापरवाही की है जिसमें सीधे मुयमंत्री की सोच जुड़ी थी।

- योजना पर काम होने से ये होता फायदा

प्रदेश में सीएम की नीली क्रांति की मंशा होती पूरी

प्रदेश में तालाबों पर बढ़ते अतिक्रमण से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से मिलती मुक्ति

मछुआरों के आर्थिक सामाजिक स्थिति में होता व्यापक सुधार

मछली के लिए आंध्र प्रदेश पर र्निार रहने वाले बिहार में होता बड़ा उत्पादन

लोगों को प्रदेश की ताजी मछली ाने को मिलता

मछुआरों का प्रदेश से तेजी से होता पलायन रुक जाता

- विाग की निष्क्रियता से प्रावित हुआ प्रदेश

बिहार प्रान्तीय मत्स्यजीवी स्वाबलबी सहकारी परिसंघ लिमिटेड (कोफेड) के अध्यक्ष श्रृषिकेश कश्यप निषाद 8 अफसरों की मनमानी से बड़ी धनराशि वापस हो गई है। इस बड़े बजट पर योजनाओं के लिए काम होता तो मछुआरों की स्थिति बेहतर होती।

- श्रृषिकेश कश्यप, निदेशक फिस्कोफेड, नई दिल्ली

कृषि मंत्रालय, ारत सरकार

सरकार से मिली धनराशि वापस हो गई है क्योंकि उस योजना पर काम नहीं हो पाया है। फिर कोई धनराशि आती है तो उसका ला पात्रों को दिया जाएगा।

- आास मण्डल, जिला मत्स्य पदाधिकारी वैशाली