-हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेट्री के साथ वार्ता विफल

-कांट्रैक्ट नर्सो ने इंटरव्यू व ऑनलाइन प्रक्रिया को कहा 'ना'

PATNA: पीएमसीएच में नर्सो की स्ट्राइक दसवें दिन भी बदस्तूर जारी रही। स्ट्राइक को तोड़ने का उपाय भी बेकार हो गया। शनिवार को राजभवन में कांट्रैक्ट नर्सो की हेल्थ के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के साथ बातचीत में कोई रास्ता नहीं निकल सका। प्रधान सचिव का कहना था कि सभी कांट्रैक्ट नर्सो को इंटरव्यू और ऑनलाइन प्रक्रिया से गुजरना होगा, तभी उनकी नियुक्ति होगी। इस बात पर कान्ट्रेक्ट नर्सेस एसोसिएशन व अन्य समर्थक पक्षों का कड़ा विरोध था। बिहार कांट्रैक्ट नर्सेस एसोसिएशन की महासचिव प्रमिला कुमारी ने बताया कि वे इस बात के लिए कतई तैयार नहीं है कि इंटरव्यू हो। उन्होंने कहा कि हमारी सिर्फ एक ही मांग है जो एक्सपीरिएंस्ड हैं उन्हें जॉब दिया जाए। इसमें इंटरव्यू या अन्य चीजों की बात का अडंगा न लगाया जाए। हमलोग सर्टिफिकेशन वैरिफिकेशन के लिए तैयार हैं।

समर्थन के साल अब आंदोलन भी

भासा के सेक्रेटरी जेनरल डॉ अजय कुमार ने कहा कि हमलोग कांट्रैक्ट नर्सो की मांगों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह बात हर कोई जानता है कि जितने पद नर्सो के रिक्त पड़े हैं उस पर अगर सभी डिग्री होल्डर नर्सो को जॉब दे दी जाए, तो भी नर्सो के कई पद खाली रह जाएंगे। ऐसे में यह बात लाजमी है कि जो एक्सपीरिएंस्ड हैं उन्हें अविलंब जॉब दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हमलोग भी उनके लिए आंदोलन करेंगे।

पीएमसीएच में ही म्फ्म् नर्सो की है कमी

पीएमसीएच में वर्तमान समय में नर्सो की क्ख्भ्8 पद स्वीकृत है। यानी इतने नर्स कायदे से बहाल किया जाना हर हाल में, लेकिन यह गवर्नमेंट की लचर व्यवस्था का एक और शर्मनाक उदाहरण है कि यहां इसके मुकाबले मात्र म्फ्म् पद पर ही नर्से कार्यरत हैं। ऐसे में कुल म्ख्ख् पद सालों से खाली पड़े हैं, लेकिन जब इस बारे में जानकारी लेने की बात आती है तो एडमिनिस्ट्रेशन मुंह छिपा लेता है। दूसरी ओर, बिहार के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल का यह हाल है तो दूसरे जिले के गवर्नमेंट हॉस्पीटल में नर्सो की कमी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

किस काम का है पीएमसीएच इमरजेंसी

पीएमसीएच इमरजेंसी में हर मिनट कम से कम दस पेशेंट रजिस्ट्रेशन कराते हैं। यहां हर दिन पूरे स्टेट से पेशेंट आते रहते हैं, लेकिन यहां सिर्फ नर्सिग व्यवस्था के बारे में जानकारी ली जाए तो इसकी दयनीय हालत का पता चल जाता है। यहां क्00 से क्ख्भ् बेड का स्ट्रेंथ हैं, लेकिन नर्स किसी भी शिफ्ट में क्ख् से अधिक नहीं होती हैं। पीएमसीएच की मेट्रन मीना कुमारी का कहना है कि यहां हर शिफ्ट में कम से कम ख्0 नर्सो की ड्यूटी होनी चाहिए, लेकिन यह नर्सो की बेहद कमी है तो अधिक से अधिक क्फ् नर्से ही किसी भी शिफ्ट में ड्यूटी के लिए लगाया जा सकता है। इस बारे में सालों से यही स्थिति है।

बड़ा सवाल ये भी तो है

पीएमसीएच में फिलहाल करीब म्ख् कांट्रैक्ट की नर्सो का रिजल्ट अभी लंबित हैं। ये नर्से ही यहां कैंपस में पिछले क्0 दिनों से धरने पर बैठी है। लोग आते हैं चले जाते हैं। यहां तक कि एमसीआई की टीम भी बस इन्हें एक नजर देख कर चलती बनी। लेकिन यह सवाल दीगर है कि स्टेट भर के पेशेंट का क्या कसूर है जो कि गवर्नमेंट हास्पिटल में आकर एक इंजेक्शन तक के लिए देर तक नर्से के लिए टकटकी लगाए देखते रहते हैं।