- पीएमसीएच में माइक्रो बायोलॉजी के विभागाध्यक्ष ने अध्ययन का हवाला देकर पीएम व सीएम को लिखा पत्र

- 10 मिनट में सौ परसेंट संक्रमण की जानकारी के लिए एंटीजन व एंटीबॉडी किट दोनों से जांच पर दिया जोर

PATNA : कोरोना से पीडि़त मरीज की जल्द से जल्द पहचान कर उसे आइसोलेशन में भेजकर कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए एंटीजन और एंटीबॉडी किट का एक साथ इस्तेमाल करना होगा। इनके द्वारा सभी संक्रमितों की पहचान कर अधिकत 20 दिनों में कोरोना को नियंत्रित किया जा सकता है। जिन देशों में कोरोना नियंत्रण में आ चुका है, वहां यही मॉडल अपनाया जा रहा है। वहीं, 40 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के सभी लोगों को वैक्सीन की एक-एक डोज देकर मौतों की संख्या काफी कम की जा सकती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैंसेट, अमेरिकी मेडिकल जर्नल के साथ कोरोना के हराने के चीन और दक्षिण कोरिया मॉडल के आधार पर पीएमसीएच में माइक्रो बॉयोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ। सत्येंद्र नारायण सिंह ने प्रधानमंत्री, नीति आयोग के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस बाबत पत्र लिखे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनके पत्र स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों के बीच प्रेषित भी कराया है। वहीं प्रधानमंत्री ने उनके मॉडल को प्रोटोकॉल में शामिल कराने का आश्वासन देते हुए उनकी प्रशंसा की है। उन्होंने एंटीजन किट की रिपोर्ट को और प्रभावी बनाने के लिए नाक के साथ मुंह से भी स्वॉब लेने पर जोर दिया ताकि पर्याप्त मात्रा में वायरस लोड मिल सके। कई बार छींक आदि आने से नाक से पर्याप्त मात्रा में वायरस लोड नहीं मिलता है।

तुरंत और सटीक जांच में दोनों किट की महत्ता

डॉ। सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि एंटीजन रैपिड किट और एंटीबॉडी रैपिड किट से जांच कर ही सबसे पहले चीन और दक्षिण कोरिया ने कोरोना से मुक्ति पाई है। यह मॉडल आजकल ब्रिटेन और अमेरिका में चल रहा है। इसमें पहले व्यक्ति की नाक व मुंह से स्वॉब लेकर एंटीजन जांच की जाती है। यदि व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव आती है तो अंगुली में प्रिक कर खून की एक बूंद लेकर एंटीबॉडी किट से जांच की जाती है। ऐसे में व्यक्ति पॉजिटिव है या निगेटिव इसकी सौ फीसद सही रिपोर्ट 10 मिनट में मिल जाती है। दोनों जांच करने पर भी इसमें अधिकतम खर्च डेढ़ से दो सौ रुपये का आता है। ये दोनों जांच आम आदमी खुद भी कर सकते हैं।

सैकड़ों पर आजमा चुके हैं दोनों किट की रिपोर्ट को

डॉ। सत्येंद्र नारायण के अनुसार पहली लहर में जब प्रदेश में कोरोना चरम पर था, उस समय एंटीजन रैपिड किट से जांच को दो लाख तक कर स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण की रफ्तार कम कर दी थी। खुद, पत्नी, मित्रों के अलावा अब तक वह पीएमसीएच के सौ से अधिक चिकित्साकíमयों पर इस जांच विधि का परीक्षण कर चुके हैं। हर बार बिल्कुल सही रिपोर्ट मिली है। जिन लोगों की एंटीजन रैपिड किट व आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव थी, उनमें भी संक्रमण की पुष्टि एंटीबॉडी टेस्ट से हुई है।

40 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले को टीका में मिले प्राथमिकता

डॉ। सत्येंद्र नारायण के अनुसार कोरोना वैक्सीन दूसरे दिन से ही शरीर में एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देती है। 14 दिन में 80 फीसद और तीन माह में यह अपने चरम पर पहुंच जाती है। ऐसे में कोरोना संक्रमण से मौतों की संख्या कम करने के लिए 40 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को वैक्सीन की पहली डोज दी जानी चाहिए। इससे न केवल मृत्युदर कम होगी बल्कि अस्पताल भी कम लोग पहुंचेंगे।

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एंटीजन और एंटीबॉडी किट से जांच के फायदे

- एंटीजन और एंटीबॉडी रैपिड किट से एक साथ जांच करने पर 90 से सौ फीसद तक सही रिपोर्ट।

- एंटीजन रैपिड किट की रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही एंटीबॉडी रैपिड किट से जांच की जरूरत।

- कोई भी स्वास्थ्यकर्मी दो मिनट के प्रशिक्षण के बाद बिना लैब के ये जांचें कहीं भी कर सकता है।

- तुरंत जांच रिपोर्ट मिलने पर संक्रमित को आइसोलेट कर कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोका जा सकेगा।

- दोनों किट से जांच की लागत आरटी-पीसीआर से 100 से 150 गुना तक कम है।