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PATNA : यूं तो बांसघाट का नाम आते ही शवदाह का जिक्र आता है। लेकिन केंद्र प्रायोजित नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत इस स्थान पर वाटर प्यूरिफिकेशन सेंटर बनाने की योजना शुरू होगी। इस योजना के धरातल पर उतरते ही निर्मल गंगा की सोच को हकीकत में बदल दिया जाएगा। गंगा में दिनो-दिन बढ़ रहे प्रदूषण की समस्या ने निजात दिलाने में यह योजना मील का पत्थर साबित होगी। फिलहाल गंगा में गिरने वाले नालों के मुहाने पर जाली लगाया जा रहा है। इसके पानी को साफ करने के लिए केमिकल का यूज कर इसे साफ भी किया जाएगा। इसके उपरांत नाले का पानी प्यूरिफाई हो जाएगा और उसे गंगा में छोड़ा जाएगा।

बांस घाट से दीघा तक

नालों का पानी साफ करने के लिए वाटर प्यूरिफिकेशन सेंटर की स्थापना बांस घाट से दीघा तक तक का एरिया चयनित किया गया है। इस प्रोजेक्ट की योजना के अनुसार पहले नालियों के पानी को बांस घाट इलाके तक सफाई की जाएगी। इसके बाद वहां से उसे प्यूरिफाई कर गंगा में छोड़ा जाएगा।

सभी बड़े नाले होंगे कनेक्ट

निगम के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि यह योजना पक्की नली-गली के बाद शुरू की जाएगी। छोटी नालियों को जहां एक जगह जोड़ा जाएगा वहीं, बड़ी नालियों का पानी मंदिरी नाले तक आएगा। नालों को पूरी तरह से ढका होने के कारण उनमें बाहर का कचरा नहीं जा पाएगा। अगर फिर भी किसी तरह कोई कचरा आता है तो वह जाली तक ही रहेगा, गंगा में नहीं जाएगा।