PATNA: एक ओर शिक्षक दिवस पर हर जगह शिक्षकों का सम्मान हो रहा है दूसरी ओर शिक्षक दयनीय हालत में जीने को मजबूर है। प्रदेश भर के ख्ब्0 डिग्री कालेजों और भ्क्भ् इंटर कालेजों के लगभग चालीस हजार शिक्षकों ने बीते पांच साल से लंबित अनुदान देने की मांग को लेकर अनशन किया। क्98ख् में जिस वित्त रहित शिक्षा नीति की शुरूआत पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र ने की थी, वह कोढ़ में खाज की स्थिति बन गई है। ऐसे शिक्षक एक ओर भूखमरी के शिकार हो रहे हैं तो दूसरी ओर बिना वेतन के ही रिटायर हो रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब मोर्चा के बैनर तले शिक्षकों ने न्याय की गुहार लगायी है, लेकिन हर बार यह अनसुना किया गया है।

भिक्षाटन कर किया विरोध

सरकारी उपेक्षा को लेकर वित्त रहित शिक्षकों ने सांकेतिक रूप से भिक्षाटन किया। वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले गर्दनीबाग धरनास्थल पर जय नारायण सिंह 'मधु' ने कहा कि सरकारी उपेक्षा के कारण ही शिक्षा का स्तर गिरता चला गया है। जब तक सरकार शिक्षकों को सम्मानजनक तरीके से जीने का मौका नहीं देगी, इसका स्तर गिरता ही जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष ख्008 में अनुदान देने का निर्णय लिया गया था। लेकिन तीन साल के बाद इसे बंद कर दिया गया। वर्ष ख्0क्क् में अनुदान दिया गया लेकिन वह भी आधा-अधूरा। इसलिए मांग है कि ख्0क्क् के अनुदान का भुगतान के साथ ही पिछले पांच वर्षो के बकाये अनुदान का शीध्र भुगतान किया जाए।

क्या है वित्त रहित शिक्षा नीति

क्98ख् में वित्त रहित शिक्षा नीति तत्कालीन सीएम जगन्नाथ मिश्र के द्वारा शुरू किया गया था। इसमें शिक्षा स्वैच्छिक रूप से पढ़ाते थे, वेतन नहीं मिलता था। ख्008 में काफी मांग के बाद अनुदान देना शुरू किया गया। यह अनुदान डिग्री एवं इंटर कालेज के प्रिंसिपल के द्वारा शिक्षकों में वितरित किया जाता था.अनुदान का आधार छात्रों का रिजल्ट को बनाया गया। इसमें डिग्री कालेजों के लिए फ‌र्स्ट डिवीजन, सेकेंड डिवीजन और थर्ड डिवीजन के पास छात्रों की संख्या के आधार पर अनुदान का हिस्सा शिक्षकों में दिया जाता था।

आमदनी के लिए अन्य साधनों पर हैं निर्भर

कोचिंग चलाने, खेती करने, रेंट से मिले पैसे और बच्चों की आय जैसे साधनों से वित्त रहित शिक्षकों का गुजारा चलता है। ऐसे ही एक शिक्षक राम विनेश्वर सिंह ने बताया कि वो बच्चों को कैमेस्ट्री की ट्यूशन पढ़ाते हैं, कुछ पैसे बच्चे भी देते है। इसी से घर का खर्च चलता है।

अधिकांश शिक्षक भ्0 पार

वित्त रहित शिक्षा के अंतर्गत शामिल शिक्षक अधिकांश भ्0 वर्ष से अधिक हो गए हैं। इसमें अधिकांश की आर्थिक स्थिति दयनीय है। मोर्चा की मांग है कि डिग्री कालेजों एवं इंटर कालेजों में कार्यरत शिक्षकों तथा शिक्षकेतर कर्मचारियों की सेवा नियमित की जाए।

इनके छात्र इंजीनियर, खुद की स्थिति खराब

वित्त रहित शिक्षक राम विनेश्वर सिंह पटना के अनीसाबाद स्थित राम लखन सिंह यादव, डिग्री कालेज में पढ़ाते हैं। उन्होंने अपने छोटे भाई को पढ़ाया। वह अभी अमेरिका के एक निजी कंपनी में काम कर रहे हैं। इसी प्रकार, उन्होंने अपने बेटे विनीत कुमार रंजन को पढ़ाया। वह वर्तमान समय में भारत सरकार की एक पीएसयू में काम कर रहे हैं। लेकिन स्वंय राम विनेश्वर की स्थिति नहीं बदली। आज भी वे ट्यूशन पढ़ाते है।

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बाक्स में

- मामला ब्0,000 वित्त रहित शिक्षकों का

- ख्ब्0 डिग्री कालेजों और भ्क्भ् इंटर कालेजों में हैं शिक्षक

- पांच साल से बिना अनुदान, वेतन के ही पढ़ाने को शिक्षक हैं मजबूर

- उर्तीण छात्रों की संख्या के आधार पर मिलना है कालेजों को अनुदान

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सालों से अनुदान लंबित है। इसके लिए सरकार दोषी है। वर्ष ख्0क्0 का अनुदान भी आधा ही मिला। सरकार से मांग है जल्द अनुदान दिया जाए।

- जयनारायण सिंह मधु, महासचिव वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा