shambhukant.sinha@inext.co.in

PATNA : इतिहास इस बात के गवाह रहे हैं कि नालंदा, विक्रमशिला जैसे शैक्षणिक संस्थान बिहार के लिए गौरव रहे हैं। लेकिन वर्तमान इसके उलट है। सूबे का एक भी संस्थान इस योग्य नहीं है कि उसकी रैकिंग की जा सके। भारत सरकार की एक संस्था नेशनल इंस्टीट्यूटशनल रैंकिंग फेमवर्क (एनआईआरएफ) द्वारा कराये गए तकनीकी संस्थानों के सर्वे में यह बात सामने आई है कि आईआईटी, पटना को अलावा कोई भी संस्थान ऐसा नहीं है, जिसे रैंकिंग में कोई स्थान दी जा सके। वहीं, यूनिवर्सिटी के मामले में स्थिति और चिंताजनक है.यानी कुल मिलाकर बिहार में हॉयर एजुकेशन की हालत बेहद खराब है।

एनआईटी की स्थिति भी दयनीय

एनआइटी, पटना जो पहले बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता था, की रैंकिंग 89 आंकी गई है। कभी इस कॉलेज में सीएम नीतीश कुमार पढ़ते थे, लेकिन आज यहां कई शिक्षकों की बहाली के बाद भी इसकी रैंकिंग में सुधार नहीं हुआ है। जबकि यहां कई नए शिक्षकों की ज्वाइनिंग हुई है।

तकनीकी संस्थानों की बदहाली

भूतपूर्व और वर्तमान सरकार ने हमेशा ही इन संस्थानों की सुविधा हर जिले में मुहैया कराने और संसाधनों का विस्तार करने की बात की है। लेकिन कभी भी शिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता पर ध्यान ही नहीं दिया गया है। आधारभूत सुविधा में टीचिंग -लर्निग में ही यहां के संस्थान कमजोर साबित हो जाते है।

निराशा नहीं क्षोभ है

इस पूरे मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए पटना कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और शिक्षाविद प्रो। एनके चौधरी का कहना है कि बिहार में पीएमसीएच को बंद करने, एमआई मुजफ्फरपुर और ऐसे कई संस्थानों की बदहाली इसे बंद करने की बात समय- समय पर उठती रही है। मैं कहता हूं कि सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज को बंद कर देना चाहिए। उनकी बदहाली को सरकार चुपचाप देखती रहेगी। यह सब कहते हुए मुझे निराशा नहीं, क्षोभ होता है। उन्होंने इस बात को मखौल बताया कि हर जिले में तकनीकी शिक्षण संस्थान खोला जाएगा।

बिना आत्मा के आखिर क्या

बकौल प्रो। चौधरी नए-नए कॉलेजों एवं तकनीकी संस्थान की स्थापना से क्या होगा जब उसमें पर्याप्त शिक्षक ही नहीं होंगे। यह तो बिना आत्मा के मृत शरीर जैसा है। जहां कोई ज्ञान देने वाला ही नहीं उसे कैसे ज्ञान का मंदिर कहा जा सकता है। राज्य सरकार कई मदों पर पानी की तरह पैसा खर्च करती है। लेकिन शैक्षणिक संस्थान को बेहतर और कामयाब बनाने पर ध्यान ही नहीं है।

शताब्दी समारोह के लिए पैसा नहीं

बिहार में पटना यूनिवर्सिटी को देश के सबसे प्रतिष्ठित और पुराने विश्वविद्यालय में शुमार होने का गौरव है। लेकिन बात जब इसके गौरव को सेलिब्रेट करने के लिए शताब्दी समारोह मनाने की हुई, तो सरकार ही पीछे हट गई। प्रो। चौधरी ने कहा कि जब सरकार ही हॉयर एजुकेशन के संस्थान की अनदेखी करे तो क्या होगी रैंकिंग। उन्होंने कहा कि कि शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी कमी है। इसके बाद यहां के कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति खराब है। उन्होंने राज्य सरकार को असफल बताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार कुलरिज्म के नाम पर संस्थानों को बर्बाद करने में लगी है। शिक्षकों की गुणवत्ता और संख्या दोनों को ही दरकिनार कर दिया गया है।

कोट

राज्य सरकार खुद हॉयर एजुकेशन का भला करने के नाम पर प्राइवेट संस्थानों को खड़ा कर रही है। लेकिन जब संस्थान की गुणवत्ता ही नहीं, शिक्षको की कमी है, ऐसे में कैसी रैंकिंग से हो सकती है।

- प्रो। एनके चौधरी, एक्स प्रिंसिपल पटना कॉलेज एवं शिक्षाविद्

एनआईआरएफ की टॉप टेन रैंकिंग (यूनिवर्सिटी)

रैंक क्- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरू

रैंक ख्- इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई

रैंक- फ् जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी

रैंक ब्- तेजपुर यूनिवर्सिटी, तेजपुर

रैंक भ्- यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली

रैंक म्- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, बनारस

रैंक 7- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरूवनंतपुरम

रैंक 8- बीआईटी, पिलानी

रैंक 9- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़

रैंक क्0- विश्व भारती, कोलकाता

इन पांच पारामीटर पर की गई रैंकिंग

एनआईआरएफ द्वारा पांच पारामीटर पर रैंकिंग की गई है। प्रत्येक पारामीटर के लिए क्00 अंक निर्धारित था। जो इस प्रकार हैं-

क् टीचिंग- लर्निग एंड रीसोर्स

ख् रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस

फ् ग्रेजुएशन आउटकम

ब् आउटरीच एंड इनक्लूसिविटी

भ् परसेप्शन