- भर आई आंखें, चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया

- सरकारी नाव चालक से विशेष बातचीत

PATNA: मकर संक्रांति में लोगों की खुशी में मैं भी शामिल था। बच्चों के साथ लोग खूब इंज्वॉय कर रहे थे। सभी की खुशी देख कुछ अलग ही अहसास हो रहा था। लेकिन शाम को अचानक आंखों के सामने लोगों को गंगा में डूबते देख कलेजा कांप गया। ऐसा लग रहा था जैसे डूबने वाला अपने परिवार का है। चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। पूरी तरह बेबस था और आत्मा रो रही थी। ये कहना है कि एनआईटी घाट पर सरकारी स्टीमर चालक तेज नरायण का। आई नेक्स्ट से विशेष बातचीत में तेज नारायण ने दिल की पीड़ा व्यक्त की जो ख्0 साल की नौकरी में पहले कभी महसूस नहीं किया।

सुबह से कर रहे थे डयूटी

तेज नरायण ने बताया कि पिछले ख्0 साल से सरकारी नाव चला रहे हैं। जीवन में पहली बार दिल में ऐसी पीड़ा हुई है जिससे आंखें भर आई। इसके पहले कभी आंखों के सामने ऐसी घटना नहीं देखी। तेज नरायण का कहना है कि क्ब् जनवरी को सुबह से डयूटी कर रहे थे। सुबह साढ़े 8 बजे से स्टीमर से सामान ढो रहे थे। क्0 बजे से लोगों को इस पार से उस पार पहुंचाना शुरू किए।

स्टीमर में फ्भ् लोगों की क्षमता

तेज नरायण की मानें तो उनके स्टीमर की क्षमता फ्भ् लोगों की है लेकिन भीड़ इतनी थी कि लोग जबरदस्ती सवारी हो रहे थे। ऐसे में स्टीमर तेजी से चलाना पड़ता था। जैसे ही फ्भ् लोग सवार होते थे कोशिश करते थे कि घाट छोड़ दिया जाए। कई बार लोगों से सहायक की बहस भी हुई लेकिन समझा-बुझाकर मामला शांत कराते रहे।

चीख-पुकार सुन पहुंचा बचाने

तेज नरायण ने बताया कि दियारा से लोगों को बैठाकर वापस एनआईटी घाट के लिए निकले थे। कुछ देर पहले प्राइवेट नाव भी निकली थी। कुछ दूर पहुंचते ही चीख-पुकार सुन घबड़ा गए। तेजी से उस ओर भागे जहां नाव डूब रही थी। मौके पर पहुंच सहायकों के माध्यम से लाइफ जैकेट और रिंग बाया फेंकने लगे। अन्य लोगों की जान का ख्याल कर अधिक रिस्क भी नहीं ले पा रहे थे। अगर अधिक बोझ नहीं होता तो जान पर खलेकर लोगों को बचाने का प्रयास करते। आंखों के सामने लोगों को डूबते देख कलेजा फट रहा था लेकिन हाथ बेबस था।