पटना (ब्यूरो)। लगभग दो साल के बाद जेईई की परीक्षा ऐसे समय में हो रही है जब कोरोना का प्रभाव लगभग नहीं के बराबर है और तैयारी भी जमकर हो रही है। इसका बड़ा कारण स्टूडेंट्स की तैयारी हाइब्रिड मॉडल से किया जाना है। यानि इंजीनियरिंग की तैयारी ऑनलाइन और ऑफलाइन- दोनों मोड में की जा रही है। कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन की पढ़ाई में इंफ्रास्ट्रक्चर बढऩे और छह फरवरी से पूरी तरह से कोचिंग संस्थानों के खुल जाने से स्टूडेंट्स बेहतर ढंग से तैयारी कर पा रहे हैं। अधिकांश स्टूडेंट्स की पढ़ाई लगभग हो चुकी है। पूरे दो साल में यह पहला मौका है जब स्टूडेंट्स के बीच उत्साह का वातावरण है। अप्रैल माह में स्टूडेंट्स जेईई मेन की परीक्षा में बैठेंगे।

दोनों मोड की अपनी खासियत
जेईई के स्टूडेंट्स को बहुत पढऩा पड़ता है ताकि वे इसमें क्वालिफाई कर सके। लंबी तैयारी और शुरुआती दौर में कोरोना के असर के कारण ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी। लेकिन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों की अच्छाई और सीमाएं हैं। इसे ध्यान में रखकर ही इसकी तैयारी कराने वालों ने दोनों मोड़ को संतुलित तरीके से रखते हुए स्टूडेंट्स को मोटिवेट किया है। लंबे अर्से से बच्चों को दोनों मोड़ में पढ़ा रहे शिक्षक सुधीर कुमार का कहना है कि ऑनलाइन में अटेशन एक सीमित समय तक की पढ़ाई के लिए ही उपयुक्त है, इसके बाद यह बोरिंग होने लगता है। इसलिए ऑफलाइन में क्लास शुरू होने से स्टूडेंट्स लंबे समय तक टीचर के गाइडेंस में हैं। जबकि ऑनलाइन में यह अच्छाई है कि किसी को देर रात भी कुछ डाउट सामने रहे तो वे व्हाट्सअप या टेलीग्राम पर मैसेज डालकर इसका समाधान जल्द प्राप्त कर पाते हैं।

ऑफलाइन पर ज्यादा समय दे रहे
अब अधिकांश स्टूडेंट्स ऑफलाइन मोड में ज्यादा समय दे रहे हैं। क्योंकि ऑनलाइन की पढ़ाई में डायरेक्ट इनटरैक्शन नहीं हो पाता है। ऑफलाइन में सामने ही डॉउट को तुरंत क्लीयर करने का मौका रहता है। एलीट इंस्टीट्यूट के निदेशक अमरदीप झा गौतम ने कहा कि ऑफ लाइन में बच्चे अधिक से अधिक सवालों को सामने पूछ पाते हैं। बच्चे प्रैक्टिस कर रहे है। अप्रैल मंथ में मेंस की परीक्षा को देखते हुए पूरी तैयारी है।

सबसे जरूरी प्रैक्टिस
इस बार कैसी तैयारी जेईई में सफलता दिला सकती है। इस बारे में अमरदीप झा गौतम ने कहा कि बच्चों को अधिक से अधिक प्रैक्टिस करने की जरूरत है। इससे उन्हें पता चलेगा कि साल दर साल क्वेशचन का पैटर्न किस प्रकार का रहता है। स्टैंडर्ड क्वेश्चन बैंक से प्रैक्टिस करें। तीन बातों का ध्यान रखें सभी जेईई के कैंडिडेट - प्रैक्टिस, सेल्फ टेस्ट और डिस्कश पर ध्यान दें। वहीं, शिक्षक सुधीर सिंह का कहना है कि तैयारी में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए पढ़ाई के घंटे भी बढ़ा दिए गए हैं। जिन तकनीकों का प्रयोग ऑनलाइन में किया गया, वह ऑफलाइन को गति देने में अच्छा रहा।