मिशन एडमिशन : पारंपरिक विषयों की बजाए प्रोफेशनल सब्जेक्ट पर है स्टूडेंट्स का जोर

PATNA :

बिहार बोर्ड सहित विभिन्न बोर्ड के रिजल्ट घोषित हो चुके हैं और अब मिशन एडमिशन की तैयारी चल रही है। समय के साथ स्टूडेंट्स कैरियर के हिसाब से पढ़ाई करना चाहते हैं। वे अब परंपरागत सब्जेक्ट की बजाए प्रोफेशनल कोर्सेज की पढ़ाई करना चाहते हैं। उनका रुझान करियर ओरिएंटेड विषय की ओर है। फिलहाल पटना यूनिवíसटी और पाटलिपुत्र यूनिवíसटी समेत अन्य कई यूनिवíसटीज में प्रोफेशनल कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। ट्रेडिशनल कोर्सेज में बेटर करियर ओरियंटेशन को देखते हुए इसकी जानकारी लेकर स्टूडेंट अपनी तैयारी कर रहे हैं। विषेषज्ञों की मानें तो अंग्रेजी, जियोलॉजी, साइकोलॉजी समेत कई सब्जेक्ट में बेहतर करियर की उम्मीद पहले की तुलना में बढ़ी है। कोरोना काल के दौरान कुछ नए सब्जेक्ट भी डिमांड में आ गए हैं जैसे बीएससी आईटी, बीएससी बायोटेक, बीएससी स्टैटिक्स आदि।

पटना यूनिवíसटी में खाली रह गई सीटें

बीते साल पटना यूनिवíसटी में पढ़ाए जाने वाले कई परंपरागत कोर्सेज में सीट रहने के बावजूद स्टूडेंट्स ने रुचि नहीं दिखाई और सीटें खाली रह गई थीं। इसमें मानविकी संकाय के सब्जेक्ट शामिल रहे। संस्कृत, हिंदी, मैथिली, बांग्ला आदि जैसे सब्जेक्ट में सीटें खाली रह गई। पटना कॉलेज में एडमिशन इंचार्ज रहे डॉ रणधीर कुमार सिंह ने बताया कि मानविकी के सब्जेक्ट में अंग्रेजी को छोड़कर करीब-करीब अधिकांश सब्जेक्ट में स्थिति खराब है अरबी में 2 स्टूडेंट, पर्शीयन में 10 स्टूडेंट, संस्कृत में 3 स्टूडेंट और इसी प्रकार मैथिली आदि में भी दहाई संख्या के बराबर ही स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया था जबकि दूसरी ओर अंग्रेजी में ओवरक्राउडेड स्थिति थी।

नॉलेज वही जो नौकरी दिलाएं

डॉ रणधीर कुमार सिंह बताया कि अब समय बहुत आगे निकल चुका है। विश्व को पढ़ने के लिए धर्म कोई डिसाइडिंग फैक्टर भी नहीं है। आज मुस्लिम स्टूडेंट्स अंग्रेजी विषय पढ़ना चाहते हैं। हिंदू स्टूडेंट भी यही विषय लेना चाहते हैं। वे संस्कृत नहीं पढ़ना चाहते। हालांकि पटना यूनिवíसटी में संस्कृत की पढ़ाई होती है और करियर की भी संभावना है। फिलहाल मात्र तीन स्टूडेंट संस्कृत पढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट से सब्जेक्ट चॉइस आदि के बारे में बात होती है तो वह गिने-चुने विषय तक सीमित हो जाते हैं। वह खुद यह कहते हैं कि कोर्स कंप्लीट करके आगे जॉब करना चाहते हैं जबकि कम से कम एक दशक पहले स्टूडेंट्स सिविल सíवसेज और अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि के हिसाब से भी पारंपरिक विषयों का पढ़ने के लिए चुनाव करते थे।

फीस बढ़ने के बाद भी रुझान बढ़ा

पटना यूनिवíसटी के अंतर्गत चलने वाले सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्सेज की फीस इस नए सत्र से बहुत बढ़ा दी गई है। इसके बावजूद इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए काफी क्राउड है। बीबीए, एमसीए, बीएससी बायोटेक, बीएससी बायो केमिस्ट्री, बीजेएमसी, डिप्लोमा इन क्लिनिकल साइकोलॉजी कोर्स में एडमिशन के लिए इस बार भी स्टूडेंट्स एक्टिव हैं। डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ एन के झा ने बताया कि समय के साथ डिमांड को पूरा करने के लिए पटना यूनिवíसटी में नए-नए प्रोफेशनल कोर्सेज शामिल किए गए हैं और अभी भी अन प्राइवेट संस्थानों की तुलना में यहां स्टूडेंट पढ़ाई करने में रूचि ले रहे हैं।