बेली रोड पर गलियां ही गलियां

डाकबंगला से लेकर जगदेव पथ पर दोनों तरफ पांच दर्जन से अधिक गलियां हैं, जो शाम होते ही अंधेरे में डूब जाती हैं। सात बजे के बाद हर दिन एक दर्जन से अधिक एक्सीडेंट की घटना होती है। राजाबाजार के प्रभात चंद्रा ने बताया कि सड़क पर अंधेरा रहता है। बेली रोड पर रफ्तार पर रोक नहीं है। ऐसे में जो भी गाडिय़ां आती हैं वो एक दूसरे से टकरा जाती हैं। जान बच गयी तो मामला दर्ज नहीं होता है।

 अशोक राजपथ और खराब

अशोक राजपथ पर गांधी मैदान से एनआईटी तक दोनों तरफ जाम के साथ-साथ एक्सीडेंट आम बात है। पीएमसीएच के डॉ। राकेश ने बताया कि आए दिन बाइक एक्सीडेंट का मामला आता है। इसमें सिर और हाथ टूटना और घुटने में चोट जैसी चीजें सामने आती रहती हैं। ट्रैफिक डिपार्टमेंट की ओर से इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही कहीं भी गलियों और टर्निंग प्वाइंट पर इसका जिक्र तक नहीं है। यही हाल कंकड़बाग मलाही पकड़ी से एनएच पर जाने के दौरान होती है।

 गलियों से निकलते ही खतरा

बेली रोड जैसी व्यस्त सड़क पर कहीं भी नहीं लिखा है कि सामने गली है, अपना स्पीड कंट्रोल में रखें, इस संबंध में ट्रैफिक डीएसपी ने बताया कि शहर का स्पीड लिमिट है। लोगों को उस हिसाब से चलनी चाहिए। एनएच पर भी बेतरतीब तरीके से ड्राइविंग की जाती है। अंधेरा वहां भी रहता है इस वजह से एक्सीडेंट की घटना आए दिन होती है।

 कैट आई देखने को भी नहीं मिलता

शाम से ही इको पार्क से एंट्री करते ही कैट आई की रोशनी कम होने लगती है। यह धीरे-धीरे कम ही दिखाई देती है। इस एरिया में जू तक एक से दो स्ट्रीट लाइट ही जलती है। इस वजह से अंधेरे से होकर ही लोगों को आना जाना पड़ता है, जबकि निगम का दावा है कि उसने लाइट का अरेंजमेंट करने के लिए करोड़ों की राशि खर्च कर दी है।