- सीनियर आइएएस केके पाठक के बनाए कानून की देश में चर्चा

- दिन रात एक कर बनाया कानून, अब विभाग के नहीं आएंगे नजदीक

PATNA: बिहार में शराबबंदी की चर्चा पूरे देश में है। कानून ही ऐसा है जो प्रदेश को चर्चा में लाया। देश विदेश में शराबबंदी की असफलता के बाद बनाए गए कड़े कानून के दम पर ही सीएम नीतीश कुमार पूरे देश में शराबबंदी की मांग कर रहे हैं। शायद आपको नहीं मालूम होगा कि इस कानून को तैयार करने वाला असली हीरो अब विभाग को अलविदा कह चुका है। वसूलों को लेकर चर्चित इस सीनियर आइएएस अफसर अब दोबारा उत्पाद विभाग के नजदीक नहीं आएगा। प्रदेश सरकार ने जिम्मेदारी तो बदली है लेकिन अब शराबबंदी कानून का क्या होगा? ये चर्चा आम है। आइए हम आपको बताते हैं शराबबंदी के असली नायक से लेकर कानून की नीव पड़ने की कहानी।

- ये हैं केके पाठक

उत्तर प्रदेश के मूल निवासी केके पाठक क्990 बैच के आइएएस अफसर हैं। प्रदेश में एसडीओ के पद पर पहली तैनाती के बाद से ही वह चर्चा में आ गए। प्रदेश के कई जिलों में काम से चर्चा में रहने वाले इस अफसर ने पांच साल तक एमएचए में काम से नाम कमाया है। बिहार में शराबबंदी की जिम्मेदारी उनके कंधों पर दी गई। दिल्ली से वापस आते ही प्रधान सचिव उत्पाद बनाए गए केके पाठक ने शराबबंदी के लिए रात दिन एक कर दिया और ऐसा कानून तैयार किया जो नजीर बन गई

- एक साल में पांच बार ट्रांसफर

केके पाठक की कार्य प्रणाली ही ऐसी है कि वह खुद ब खुद चर्चा में आ जाते हैं। कानून का पालन कराने में उन्हें कदम कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन वह हारे नहीं और न ही झुके। यही कारण है कि नौकरी के पहले साल में ही उनका पांच बार ट्रांसफर किया गया। वे जहां भी पोस्ट किए गए कानून से खेलने वालों को सबक सिखाया। उनके साथी अफसर तो आज भी उनके कार्यो को भूल नहीं पाते हैं। शेखपुरा में राजो सिंह और अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप को जेल भेजने से लेकर कई विधायकों को उन्होंने नतमस्तक कर दिया है।

- शराबबंदी पर कर डाला रिसर्च, फिर बनाया कानून

शराबबंदी के लिए कानून बनाने की जिम्मेदारी मिलने के बाद केके पाठक ने एक छात्र की तरह पूरा रिसर्च कर लिया। ऑफिस से जब भी छुट्टी मिली देश विदेश में शराबबंदी का कानून पढ़ने बैठ गए। रात दिन एक कर अमेरिया, यूनाइटेड स्टेट, स्वीडन, आस्ट्रेलिया, रसिया का एक्साइज एक्ट पढ़ा। इसके अलावा उन्होंने देश के दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश के साथ कई प्रदेशों का कानून पढ़ा। इसके बाद अकेले दम पर शराबबंदी कानून का ब्लू प्रिंट तैयार कर दिया। दो तीन महीना तक वह इस पर काम करते रहे और फिर अपने रिसर्च को सरकार के सामने रखा।

- आसान नहीं था अंग्रेजों के कानून को रिवाइज करना

शराब के लिए अंग्रेजों ने भी कानून बनाया था लेकिन वह इतना लचीला था जिससे लोगों में डर नहीं था। उन्होंने पहले जुर्माना के सहारे नकेल कसे, लेकिन ख्0 हजार तक जुर्माना भी लोग देकर कानून तोड़ते रहे। उन्होंने क्9क्भ् में अंग्रेजों के बनाए एक्ट को रिअपील कर कर दिया और शराबबंदी के लिए कड़ा कानून तैयार कर दिया। दिल्ली गुजरात के बाद बिहार में ऐसा कानून बना दिया जो बड़ी बात है।

- म्0 दिन की मेहनत का प्रदेश ने माना लोहा

केके पाठक ने म्0 दिन में शराबबंदी का कानून बनाकर प्रदेश में लोहा मनवा दिया। कानून के लिए फ्0-फ्ख् पेज में क्00 सेक्शन को उन्होंने ऐसे पिरोया कि तोड़ने वाला घबड़ा जाए। इतना ही नही इस कानून में जो कमियां रह गई उसे उन्होंने फिर रिवाइज कर दिया और प्रदेश को ऐसा शराबबंदी कानून दिया जो इतिहास बन गया है। फ्फ् पेज का नया विधेयक प्रदेश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा कानून है।

- वसूल पर आई तो विभाग से हो गए दूर

केके पाठक के करीबी अफसरों का कहना है कि वे वसूल के काफी पक्के हैं। जब भी इस पर आंच आती है वह बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ शराबबंदी कानून को लेकर जिसपर उन्होंने सरकार से उत्पाद विभाग से दूर होने की इच्छा जातई। कानून बनाने वाले केके पाठक अब कभी इस विभाग में वापस नहीं आना चाहते हैं।

-अफार की इच्छा कानून का होता रहे पालन

उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव पद से दूर होने के बाद केके पाठक का बस यही कहना है कि कड़ी मेहनत कर शराबबंदी का कानून बनाया है। उनकी इच्छा है कि इसका प्रदेश में कड़ाई के साथ पालन होता रहे।