क्कन्ञ्जहृन् (3 स्नद्गढ्ड) : बीएसएससी पेपर लीक का मामला पिछले साल हुए इंटरमीडिएट टॉपर्स घोटाले से भी बड़ा होने की संभावना है। क्योंकि बिहार से शुरू हुए इस मामले के तार अब यूपी और वेस्ट बंगाल से जुड़ते जा रहे हैं। हालांकि अंदर ही अंदर पटना पुलिस की टीम इस पूरे मामले को खंगालने में जुटी हुई है। इस बीच सोर्स के अनुसार पुलिस की जांच में एक बड़ी बात सामने आ रही है। वो यह है कि बीएसएससी का पेपर लीक करने की डील कोलकाता में की गई थी। जबकि पेपर को लीक लखनऊ से किया गया था। पुलिस अधिकारी भी अब इस बात को पुष्ट करने में लगे हुए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में पटना पुलिस बड़ा खुलासा कर सकती है।

- जांच के दायरे में लखनऊ प्रिंटिंग प्रेस

पुलिस की कई टीमें अलग-अलग जगहों पर इस मामले में छापेमारी कर रही हैं और जांच में भी जुटी है। सोर्स की मानें तो बीएसएससी का पेपर लखनऊ प्रिंटिंग प्रेस से लीक किया गया है। इस बात के सामने आने के बाद से पुलिस टीम जांच के लिए लखनऊ भी जा सकती है।

- कोचिंग संचालक है गुरुजी

इधर, फरार चल रहा गुरुजी उर्फ अमिताभ के बारे में हर कोई जानना चाहता है। आई नेक्स्ट को जानकारी मिली हैं, उसके अनुसार गुरु जी कंकड़बाग के एक कोचिंग का संचालक है। इसका बड़े लोगों के साथ उठना-बैठना भी है। इसे पकड़ने में जुटी पुलिस को जांच के दौरान उसका मोबाइल का टावर लोकेशन वेस्ट बंगाल में मिला है। जिसे ट्रेस करने में टीम लगी है।

- एक बड़ा कोचिंग संचालक भी शामिल

गुरुजी के साथ इस रैकेट में पटना का एक बड़ा कोचिंग संचालक भी शामिल है। जिसका नाम पुलिस को पता चल चुका है। जिसके बारे में कुछ और ठोस सबूत जुटा रही है। पुख्ता आधार मिलते ही इस बड़े कोचिंग संचालक को अपने कब्जे में ले सकती है।

सबूत को झुठला नहीं सकती है सेना

इधर फर्जी सेना बहाली मामले में दानापुर कैंट के अफसरों के रवैये से पटना पुलिस परेशान है। क्योंकि सीआरपीसी सेक्शन 45 का हवाला देकर अधिकारियों ने दानापुर कैंट में पोस्टेड हवलदार शेखर और देवले को गिरफ्तार करने से एसआईटी को रोक दिया गया था। जबकि पुलिस के पास इनके खिलाफ ठोस सबूत है, जिसे सेना मुख्यालय और न ही दानापुर कैंट में पोस्टेड अधिकारी झुठला सकते हैं। और फिर हवलदारों के खिलाफ ठोस सबूत होने के कारण ही कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। वो भी अपील दायर करने के महज दो घंटे में। जबकि आम तौर पर किसी केस में ऐसा देखने को नहीं मिलता है।

- फेक सीम यूज कर रहे थे हवलदार

मुन्ना सिंह और उसके गैंग में शामिल लोगों से सेना के दोनों हवलदार लगातार मोबाइल से बात करते थे। इस बात के सबूत कॉल डिटेल्स में मिल चुके हैं। इस बीच जांच में एक नई बात सामने आई है। वो ये है कि शेखर और देवले जिन मोबाइल नंबर से मुन्ना और उसके गैंग से बात करते थे, वो सीम गलत नाम और पते पर लिया गया था।

- कानून के साथ खिलवाड़

इस पूरे मामले में कानून के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कानून कहता है कि सेना के लोगों को बगैर वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। लेकिन कानून में ये भी है कि कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार करने से रोका भी नहीं जा सकता है। ऐसे में सेना के अधिकारियों की ओर से सीआरपीसी सेक्शन 45 का हवाला दिया जाना कहीं से भी सही नहीं है।

सेना को उनके लेटर का जवाब भेजा गया है। लेटर के जरिए हवलदारों को हैंडओवर करने को कहा गया है। ठोस सबूत होने के बाद ही कोर्ट ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था।

मनु महाराज, एसएसपी, पटना