पटना (ब्यूरो)। ड्रोन टेक्नोलाजी की मदद से सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में संचालित अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता सुधारने की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल का सोमवार को सफल परीक्षण किया गया। अपराह्न करीब तीन बजे फुलवारीशरीफ स्थित एम्स पटना परिसर से निदेशक सह सीईओ डा। गोपाल कृष्ण पाल, डीडीए नीलोत्पल बल, ड्रोन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा। संजय पांडे और निदेशक के ओएसडी डा। अनिल कुमार की उपस्थिति में साढ़े तीन किलोग्राम दवाएं, वैक्सीन लोड कर ड्रोन को रवाना किया गया। मात्र चार मिनट में करीब 12 किलोमीटर हवाई दूरी तय कर ड्रोन ने एम्स पटना के स्पोक सेंटर रेफरल अस्पताल नौबतपुर तक दवाएं पहुंचा दीं। यहां अस्पताल प्रभारी डा। रीना कुमारी, चिकित्साकर्मियों समेत दर्जनों ग्रामीण इस नवोन्मेषी तकनीक के गवाह बने। दवा निकालने की सूचना देने के बाद अगले चार मिनट में यह ड्रोन सफलतापूर्वक एम्स पटना पहुंच गया। बताते चलें कि ड्रोन का यह तीसरा एवं दवाओं के साथ पहला सफल परीक्षण था। 30 दिसंबर व 20 जनवरी को किए गए पहले दो परीक्षण खराब मौसम के कारण एम्स परिसर तक ही सीमित थे।

15 दिनों में प्रधानमंत्री कर सकते हैं सेवा का शुभारंभ

निदेशक डा। जीके पाल ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के निर्देशन में चिकित्सा क्षेत्र में नवोन्मेषी ड्रोन तकनीक का प्रयोग स्वास्थ्य देखभाल में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों के रोगियों की न केवल त्वरित व उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखरेख हो सकेगी, बल्कि महामारियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। आज जिस ड्रोन से सफलतापूर्वक दवाएं पहुंचाई गईं वह 3.5 किलोग्राम भार उठा सकता है और एक बार में 100 किलोमीटर तक हवाई दूरी तय कर सकता है। इस पूर्ण आटोमैटिक ड्रोन में सिर्फ रूट मैप फीड करने की जरूरत होती है। पक्षियों से बचाव के लिए ड्रोन में सेंसर लगे हैं। सफल परीक्षण के बाद अब टेंडर निकाल कर ऐसा ड्रोन खरीदा जाएगा, जो 4.5 किलोग्राम वजन वहन क्षमता के साथ दो सौ किलोमीटर की हवार्द दूरी तय कर सके। 15 दिन में प्रधानमंत्री या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा इस सेवा का उद्घाटन करेंगे। ड्रोन सेवा शुरू होने के बाद प्रदेश के सुदूर जिलों के अस्पताल में इलाजरत मरीजों तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए केंद्रीय नोडल सह मानीटङ्क्षरग सेंटर व पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी।

सुदूर क्षेत्र में प्राण बचाने में होगी सहायक

- 30 मिनट से ज्यादा लगते हैं एंबुलेंस द्वारा एम्स पटना से नौबतपुर रेफरल अस्पताल पहुंचने में।

- गंभीर रोगियों की जान बचाने में समय की महत्ता को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने की पहल।

-ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में इलाज सुविधा सुधारने को विभिन्न मेडिकल कालेजों व अन्य उच्च संस्थानों से किया जाएगा सम्बद्ध।

-टेलिमेडिसिन में उपचार के बाद किसी मरीज को तुरंत जीवनरक्षक दवाओं की जरूरत होगी तो उन्हें इन केंद्रों से मिनटों में पहुंचाया जा सकेगा।

-सुदूर क्षेत्रों में कोरोना जैसी किसी महामारी के दस्तक देने पर तुरंत वहां से सैंपल मंगवाकर अत्याधुनिक प्रयोगशाला-वायरोलाजी, मालीक्यूलर जेनेटिक लैब में जांच कर रोग की पहचान व उसका त्वरित निदान किया जा सकेगा।