सूबे के स्वास्थ्य मंत्री पेशेंट की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ विधायकों के इलाज के लिए शहर के बीचो-बीच बने विधायक अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है। लैब टेक्नीशियन नहीं होने के चलते अस्पताल में आने वाले पेशेंट का पैथोलॉजिकल जांच 1 सितंबर 2023 से बंद है। डेंगू के बचाव के लिए प्रमंडलीय आयुक्त कुमार रवि ने शहर के सभी अस्पताल और पीएचसी सेंटरों में डेंगू किट व जांच की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे, मगर विधायक अस्पताल में जांच दूर की बात है डेंगू किट तक उपलब्ध नहीं है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम अस्पताल मांगे इलाज के तहत रिपोर्टर ने अस्पताल जाकर जांच-पड़ताल की तो पता चला कि अगलगी की घटना होने पर आग बुझाने की व्यवस्था तक इस अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, आज पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट

बिना इलाज लौट रहे पेशेंट
इलाज के लिए आए एक पेशेंट ने बताया कि विधायक अस्पताल की नाम सुनकर यहां इलाज के लिए आए, यहां आने के बाद पता चला कि पर्याप्त दवा तक उपलब्ध नहीं है। यहां पेशेंट को नहीं अस्पताल को इलाज की जरूरत है। स्थानीय लोगों ने बताया ट्रॉजिट हॉस्टल के चार कमरे में संचालित इस अस्पताल के पास अपना भवन भी नहीं है। कहने को चार डॉक्टर हैं लेकिन दिखते सिर्फ एक डॉक्टर।

25 दिन से जांच की व्यवस्था बंद
विधायक अस्पताल में डायबिटीज, टीसी, डीसी, बीपी व अन्य बीमारियों की जांच की व्यवस्था पेशेंट के लिए की गई है। लेकिन 31 अगस्त 2023 को लैब टेक्नीशियन के सेवानिवृत्त होने के बाद जांच की व्यवस्था पूरी तरह से बंद है। अस्पताल की हालत पीएचसी सेंटर से भी बदतर है।

आग से अस्पताल हो जाएगा राख
विधायक अस्पताल के प्रति राज्य सरकार किस तरह सजग है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। अस्पताल में आग से बचाव के लिए अस्पताल में लगाए गए साल 2018 में एक्सपायर हो गया। पांच साल गुजरने के बाद भी न तो इस पर अस्पताल प्रशासन की नजर गई, नहीं स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की। ऐसे में अगर आगजनी जैसी अनहानी घटना हो जाए तो धू-धू कर अस्पताल जल जाएगा और अग्निशम यंत्र काम नहीं करेगा।

कफ सीरप व विटामिन उपलब्ध नहीं
शहर में लगातार बढ़ रहे डेंगू, टाइफाइड, मलेरिया व वायरल फीवर से बचाव के लिए उपयुक्त दवाइयां उपलब्ध नहीं है। रिपोर्टर द्वारा पूछने पर कर्मचारियों ने बताया कि कफ सीरप व विटामिन की दवा उपलब्ध नहीं। जो दवा उपलब्ध है वहीं पेशेंट को दी जाती है बाकी बाहर से खरीदारी करनी पड़ती है।

डेंगू किट व एंटी रैविज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं
डेंगू से बचाव के लिए प्रमंडलीय आयुक्त कुमार रवि ने निर्देश दिया था कि शहर के सभी सरकारी अस्पताल, पीएसी सेंटरों पर डेंगू किट रखना सुनिश्चित करें। ताकि डेंगू जांच कर पेशेंट की जांच हो सके। लेकिन विधायकों के लिए बने अस्पताल में डेंगू जांच किट तो छोडि़ए अगर कुत्ता काट ले तो उसके लिए एंटी रैबिज इंजेक्शन तक उपलब्ध नहीं है।

विधायक नहीं आते अस्पताल
विधायकों के इलाज के लिए स्थापित विधायक अस्पताल में पिछले 25 दिन में 2 विधायक भी अस्पताल आकर इलाज नहीं कराए हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर अस्पताल के कर्मचारी ने बताया कि कॉल पर विधायकों व उनके कर्मचारियों के इलाज के लिए डॉक्टर उनके घर जाते हैं। अस्पताल के ओपीडी में आने वाले पेशेंट की संख्या के बारे पूछने पर कर्मचारी ने बताया कि दिन भर में 15 से 20 पेशेंट ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं।

फैक्ट फाइल
1.एंटी रैबिज इंजेक्शन
- उपलब्ध नहीं
2.डेंगू किट
- उपलब्ध नहीं
3.जांच की व्यवस्था
- जांच की कोई व्यवस्था नहीं
4.अगजनी से बचाव के लिए
- कोई व्यवस्था नहीं
5.सभी प्रकार की दवा उपलब्धता
- कुछ दवा उपलब्ध नहीं
6. पेशेंट के बैठने के लिए व्यवस्था
- कोई व्यवस्था नहीं
7. अस्पताल को अपना भवन है?
- किराए के भवन में संचालित है अस्पताल
8. इंडोर व्यवस्था
- सुविधा के अभाव में इंडोर सेवा उपलब्ध नहीं
9. कहने को 12 कर्मचारी दिखते हैं
- दिखते हैं सिर्फ चार
10. पेशेंट के पीने के लिए पानी की व्यवस्था
- उपलब्ध नहीं

वर्जन
मैं मानता हूं कि अस्पताल के पास अपना भवन नहीं है। लेकिन डॉक्टर पूरी जिम्मेदारी के साथ ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। डेंगू किट और कफ सीरप उपलब्ध नहीं है। रही बात अग्निशमन यंत्र की तो जल्द ही चेंज करवा लिया जाएगा।
- डॉ। समीर सिन्हा, सुपरिटेंडेंट, विधायक अस्पताल