- पटना में लगातार मिल रहे ब्लैक फंगस के मामले

PATNA :

ब्लैक फंगस के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। पटना में बीते दस दिनों में लगभग 150 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 10 की इस बीमारी से डेथ भी हो चुकी है। राजधानी पटना में रविवार को एम्स में 2 नए पेशेंट की भर्ती हुई है। आईआईएमएस में 65 पेशेंट का इलाज चल रहा है। इसमें से 20 कोरोना और ब्लैक फंगस दोनों से पीडि़त है जबकि 45 ब्लैक फंगस के पेशेंट हैं। विशेषज्ञों की मानें तो केस मिलने की यदि यही रफ्तार रही तो आने वाले दिनों में विशेष तैयारी करने की जरूरत होगी। क्योंकि आइजीआईएमएस में 40 और एम्स में इसके लिए 30 बेड सुरक्षित रखा गया है। एनएमसीएच में 12 बेड की व्यवस्था की गई है। पेशेंट यदि ऐसे ही बढ़ते रहे तो इस जटिल बीमारी का इलाज अन्य अस्पतालों में कराना भी अनिवार्य हो जाएगा। डॉक्टरों के मुताबिक ब्लैक फंगस का इलाज और एहतियात इतना अधिक है कि कोरोना से बहुत अधिक समय लग जाता है। विशेष तौर पर कोरोना में सर्जरी का रोल नहीं है जबकि इसमें है।

दवा से ज्यादा सर्जरी का रोल

वरीय नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुभाष प्रसाद ने बताया कि यह फंगस खून की नली में प्रवाह को बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में ही टिसू डेड हो जाता है। इसमें दवा से ज्यादा सर्जरी का रोल होता है। क्योंकि दवा सिर्फ सर्पोटिव है। दरअसल, ब्लैक फंगस के असर के कारण जहां -जहां डेड टिसू होते हैं वहां-वहां यह फंगस ग्रोथ करता है। डेड टिसू यदि थोड़ा भी रह गया तो यह फिर बढ़ सकता है। इसके लिए सर्जरी ही एकमात्र उपाय रह जाता है। यह नाक के रास्ते होते हुए साइनस और आंख के बाहरी ऑरबिट पर असर करता है। जल्द इलाज न मिले तो आंख की रोशनी भी छीन जाती है।

जटिल और लंबा इलाज

इसका ट्रीटमेंट जटिल और लंबा होता है। जटिल होने का कारण इसके ट्रीटमेंट का मल्टी डिसिप्लनरी होना है। सर्जरी का काम ईएनटी सर्जन करते हैं लेकिन आंखों और साइनस के आस-पास के नसों पर इसका असर जानने के लिए न्यूरो सर्जन और आई सर्जन का साथ होना अनिवार्य हो जाता है। डॉ सुभाष प्रसाद बताते हैं कि दवा एम्फोसोरटेन बी का प्रयोग भी बहुत सावधानी से करना होता है। जो कि तीन से चार हफ्ते तक बहुत ऐहतियात के साथ चलाई जाती है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ की भूमिका

यूं तो इसके सर्जरी में ईएनटी सर्जन की अहम भूमिका होती है। लेकिन अब तक के अधिकांश मामलों में बीमार को रेफर करने में आई सर्जन की भूमिका रही है। क्योंकि आंखों के विजन पर असर, पलक लटकना, आंखों के मूवमेंट में परेशानी आदि पता चलते ही रेफर किया जा रहा है।

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इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन भी हो सकता है कारण

पीएमसीएच के माइक्रोबायलाजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ सत्येन्द्र नारायण सिंह ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में भी कोरोना के गंभीर पेशेंट थे और पोस्ट कोविड पेशेंट में कुछ काम्प्लीकेश्न आ रहा था। लेकिन दूसरी लहर में ही ब्लैक फंगस मिलने के कारणों की विस्तृत पड़ताल होनी चाहिए। उन्होंने संदेह व्यक्त किया है कि हो सकता है कि अचानक से इंडस्ट्रियल सप्लाई से ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ी है। इसमें हो सकता है कि कुछ कान्टिमिनेशन हो गया हो। यदि ऐसे सिलेंडरों में आयरन का रस्ट रीच होने से म्यूकर माइकोसिस हो सकता है तो इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

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रविवार को नहीं मिली सूचना

ब्लैक फंगस महामारी घोषित हो चुकी है। लेकिन रविवार को प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने सीएम ऑफिस को इस संबंध में आए नए एडमिशन के बारे में कोई सूचना नहीं दी है। पटना की सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने कहा कि रविवार की शाम तक कोई सूचना नहीं मिली है। सोमवार से इस संबंध में सूचना दी जाएगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि सभी संबंधित प्राइवेट हॉस्पिटल को इस संबंध में सूचना दी गई है।