- नेट की तर्ज पर बीइटी से असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति का खुल सकता है रास्ता

-मात्र 30 प्रतिशत टीचिंग स्ट्रेंथ पर काम कर रहा है पीयू

PATNA: बिहार में यूनिवर्सिटी और कॉलेज स्तर पर लेक्चरर, प्रोफेसरों की भारी कमी के बावजूद इसके लिए कोई काम स्पष्ट रूप से नहीं हो सका है। यही वजह है कि यहां हजारों की संख्या में लेक्चरर और प्रोफेसर के पद रिक्त पड़े हैं। जबकि हर महीने कॉलेजों में ऐसे पद लगातार रिक्त पड़ रहे हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में खाली हुए करीब क्0 हजार पद रिक्त पड़े हैं। राज्य में ख्009 से पहले पीएचडी करने वाले करीब फ्भ् हजार अम्यर्थियों ने असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए आवेदन दिया था। लेकिन हाल ही में स्थानीयता के मामले को लेकर और अन्य पचड़े खड़े किये जाने के कारण यह रद्द हो गया।

सरकार की मंशा ही नहीं

लेक्चरर की नियुक्ति के मामले में पटना कालेज के पूर्व प्रिंसिपल प्रो। एनके चौधरी ने दो टूक कहा कि कहा कि सालों बीत जाने के बावजूद सरकार उच्च शिक्षा का स्तर नहीं उठा सकी है। नेट की तर्ज पर किसी संकल्पना को स्वीकार कर एक धोखा मात्र है। यहां हालत बेहद दयनीय है। यहां पीएचडी और नॉन पीएचडी का चक्कर समाप्त किया जाना चाहिए। इसके बाद ही इसके सरलीकरण की ओर बढ़ा जा सकता है। एक हाई स्टैंडर्ड का टेस्ट कराकर यूनिवर्सिटी में इनकी बहाली शीघ्र की जानी चाहिए।

नेट की तज पर राज्य लेगा पात्रता परीक्षा

हाल ही में नेट की तर्ज पर राज्य सरकार को राज्य पात्रता परीक्षा लेने का सुझाव दिया है। राज्य सरकार इसे लेकर मंथन कर रहा है। शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि फ्फ्म्ब् असिस्टेंट प्रोफेसरों की चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में रोक के बाद सरकार ने प्रदेश में बिहार पात्रता परीक्षा बीइटी: नेट या फिर ख्009 से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराने पर विचार कर रही है। शिक्षा विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। बाद में इसे सरकार और राजभवन स्तर पर ले जाया जाएगा।

भ्भ् हजार की नियुक्ति की होगी तैयारी

राज्य भर में करीब भ्भ् हजार पीएचडी होल्डर अभ्यर्थी हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालयों, कालेजों में खाली हुए करीब क्0 हजार पदों पर बहाली की जाए या फिर पूर्व के पदों पर बहाली हो। शिक्षा विभाग मंथन कर रहा है कि सभी भ्भ् हजार अभ्यर्थियों के लिए बिहार पात्रता परीक्षा का आयोजन किया जाए। इसमें पीएचडी होल्डर ही शामिल हो सकेंगे जो अभ्यर्थी बिहार पात्रता परीक्षा में सफल होंगे वे असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए योग्य होंगे। वहीं, विभाग यह भी तैयारी कर रहा है कि ख्009 के गाईडलाइन से पहले पीएचडी करने वाले जितने भी अभ्यर्थी हैं ,उनकी मेधा सूची तैयार की जाएगी। हर विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जितने पद होंगें इंटरव्यू के लिए उससे दस गुणा अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा। इसके बाद जिसके प्वाइंट ज्यादा होंगे उनकी नियुक्ति होगी।

कालेजों में कोर्से बढ़े, नहीं बढ़े लेक्चरर

यदि केवल पटना यूनिवर्सिटी की ही बात करें तो पता चलता है कि वोकेशनल कोर्सेज और सामान्य कोर्सेज में भी सीटें बढ़ी हैं लेकिन इसके मुकाबले शिक्षक नहीं बढ़े हैं। पटना यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) के महासचिव अनिल कुमार का कहना है कि यूनिवर्सिटी में सबसे महत्वपूर्ण कार्य पठन-पाठन होता है, शिक्षक इसकी धुरी हैं। वर्तमान में मात्र तीस से चालीस फीसदी स्ट्रेंथ पर काम हो रहा है। यह यूजीसी के मानकों के खिलाफ भी है। एक दिन में एक प्रोफेसर औसतन पांच क्लास ले रहा है। यह एक विकट स्थिति है।

कोट

सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है। यदि यहां सही मायने में यूनिवर्सिटी लेवल पर शिक्षकों की नियुक्ति करनी है तो हाई लेवल कमेटी गठित कर नियुक्ति पूरी करे। इस राज्य में पीएचडी और नॉन पीएचडी का की बाध्यता से उपर उठे।

- प्रो। एनके चौधरी ,पूर्व प्रिंसिपल पटना कालेज

कालजों में शिक्षण ही प्रमुख गतिविधि है। यह पूरी गतिविधि की धुरी में हैं। यदि इसी मामले पर इतना विलंब होगा तो जल्द ही स्थिति बेहद भयावह हो जाएंगे।

- अनिल कुमार, महासचिव पूटा