PATNA: धरहरा में सुमित की ससुराल थी। सैटरडे की सुबह पत्नी नीलिका और बेटे प्रणीत के साथ बो¨रग रोड से ससुराल जा रहे थे। पांच मिनट में धरहरा पहुंचते इससे आधा किमी पहले ही रेलवे टै्रक पार करने के दौरान मौत ने गले लगा लिया। सुबह-सुबह घटना की खबर सुनकर पहले तो नीलिका के मायके वालों को विश्वास ही नहीं हुआ। ग्रामीण और स्वजन घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। बेटी, दामाद और नाती की मौत की खबर सुनते ही मां बेसुध हो गई।

फोन पर ही सुनाई दी चीखने की आवाज

सुमित के ससुर सुरेंद्र सिंह के आंखों के आंसू नहीं थम रहे थे। फफकते हुए उन्होंने बताया कि नाती प्रणीत कुमार कुछ दिनों से बोल रहा था नानाजी मुझे आपके पास आना है। मम्मा-पापा को आप बोलो मुझे आपके पास ले जाएं। यहां मुझे मन नहीं लग रहा। प्रणीत की जिद के बाद दामाद सुमित और बेटी नीलिका आ रही थी। बेटी पटना से चलने से पहले भी फोन की थी। रास्ते में भी मोबाइल से बातें कर रही थी। रेलवे ट्रैक पास करते समय भी मोबाइल से बातें कर रही थी। तभी बेटी के चीखने की आवाज सुनाई दी और जोरदार टक्कर की आवाज हुई। आशंका हुई। घर से जैसे ही बाहर निकला कई ग्रामीण भी पहुंच गए और ट्रेन से कार टकराने की बात कही। हादसे में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इतना सुनने के बाद यह समझते देर नहीं लगा और मैं घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़ा। रेल ट्रैक पर बेटी, दामाद और नाती का शव पड़ा था। इतना कहते ही वे फफक-फफक कर रो पड़े।

कहां चल गेलई छोटका बाबू

हर बार होश में आते ही नीलिका की मां पूछ रही थी कि हमर बेटी-दामाद, हमर छोटका बाबू प्रणीत कहां हई। लावा हमर सामने। अभी हमरा से बेटी बोलके हल कि हम आ गेली हे। पांच मिनट में घरे पहुंच जइवइ। अब तुरंते ई का हो गेल। पथराई आंखों से हर बात यह बोल कर नीलिका की मां बेहोश हो जा रही थी।