PATNA: पाटलीपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया में शनिवार को नेचुरल फैक्ट्री से लीक हुई अमोनिया गैस ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीसीबी)की पोल खोल दी है। इस हादसे के बाद आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो चौंकानेवाला सच सामने आया। पता चला कि नेचुरल्स डेयरी प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले एक साल से एयर-वाटर पॉल्यूशन का कंसेंट ही नहीं लिया है। वहीं दूसरी तरफ पिछले भ् वर्ष में बोर्ड ने एयर एक्ट के तहत पूरे बिहार में एक भी केस दर्ज नहीं किया है, जबकि सूबे में नेचुरल जैसे कई कारखाने हैं जो न केवल धड़ल्ले से चल रहे हैं बल्कि लोगों के जान से भी खेल रहे हैं।

कोई नहीं है देखने वाला

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल ख्0क्भ् में एयर (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट क्98ख् के तहत एक भी केस नहीं दर्ज किया गया है। जबकि पूरे देश में इस साल ब्8 मामले सामने आए लेकिन इनमें से बिहार से एक भी केस दर्ज नहीं किया गया। यह कानून इतना सख्त है कि साबित होने पर पॉल्यूशन फैलाने वाली इंडस्ट्री के मालिक को कम से कम डेढ़ साल की सजा होगी।

सख्त एक्ट को बना दिया सुस्त

इस एक्ट के तहत पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह निगरानी करे। लेकिन स्टाफ की कमी बताकर पॉल्यूशन फैलाने वाले फैक्ट्री पर निगरानी नहीं हो पाती। जिसका नतीजा शनिवार की शाम नेचुरल फैक्ट्री से गैस का रिसाव होना था। वहीं दूसरी ओर एक्ट में सजा का प्रावधान काफी सख्त है लेकिन निगरानी के अभाव में इस एक्ट को सुस्त बना दिया गया है। बिहार ही नहीं पूरे देश में इस एक्ट के तहत ख्0क्भ् में सिर्फ भ्0 केस दर्ज हुए हैं। इनमें से ब्ख् केस अकेले महाराष्ट्र से हैं।

कम हो रही जिंदगी

पटना में पॉल्यूशन का मामला और अधिक सेंसेटिव है। आई नेक्स्ट ने हाल ही में खुलासा किया कि पटना का एयर पॉल्यूशन दिल्ली से भी अधिक है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्ट दिसंबर में दिल्ली से भी ज्यादा रहा। हाल ही में हुए सर्वे में पता चला कि पटना के स्कूल के आसपास की एयर क्वालिटी भी 8 से 9 गुना अधिक खराब हो गई है। इससे बच्चों पर काफी खराब असर हो रहा है। जहरीली हवा से लोगों की सांसें कम हो रही है। उन्हें दमा, बीपी, कैंसर सहित कई गंभीर बीमारी होने का खतरा है।

पटना की हवा में ये घोल रहे जहर

- ट्रैफिक में धुंआ उड़ाती गाडि़यां।

- शहर के आसपास क्क् ईट भट्ठे।

- कंस्ट्रक्शन के लिए रेत ढ़ोने वाली ट्रक।

- नगर निगम के डंपिंग यार्ड में कचरा जलाने से।

- इंडस्ट्री से निकलने वाला धुंआ।

पीसीबी के मेंबर सेक्रेट्री एस चंद्रशेखर से सीधी बात

सवाल- साल ख्0क्भ् में एक भी केस एयर एक्ट के तहत दर्ज नहीं हुआ?

जवाब- मैं ख्0क्म् में आया तो पिछले साल की क्या स्थिति थी कह नहीं सकता।

सवाल- तो इस साल कारखानों पर केस दर्ज हुए हैं?

जवाब- हां। अब तक कई केस दर्ज हो चुके हैं। हमने कई फैक्ट्री बंद भी करवाई है।

सवाल- एयर एक्ट का पालन सख्ती से क्यों नहीं हो पाता है?

जवाब- कानून काफी सख्त है और हम किसी भी इंडस्ट्री को सीधे बंद नहीं कर सकते हैं। उनसे पहले एक्सप्लेनेशन मांगा जाता है। फैक्ट्री ने अगर कंसेंट नहीं लिया है तो कड़ी कार्रवाई होती है। पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाते हैं। हालांकि स्टाफ की कमी तो है ही।

यह कानून इतना सख्त है कि इसे तोड़ने वाले को मिनिमम डेढ़ साल की सजा होगी। जुर्माना भी हो सकता है। देश भर में इसके मामले दर्ज ही नहीं किए जाते हैं। दिल्ली, पटना, वाराणसी जैसे कई ऐसे शहर हैं जहां की हवा खराब ही होती जा ही है। जाहिर है पॉल्यूशन जमकर फैलाया जा रहा है। एनजीटी के दवाब पर महाराष्ट्र में पिछले साल कुछ मामले दर्ज हुए हैं।

- ऋत्विक दत्त, एडवोकेट और लाइफ संस्था के फाउंडर