-बजट में बिहार के लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा नहीं हुई

-उद्योग जगत के लिए ाी विशेष प्रावधान नहीं किए गए

PATNA: बुधवार को वर्ष ख्0क्7-क्8 का आम बजट संसद में पेश किया गया। जिसमें न बिहार और ही अन्य किसी राज्य के लिए विशेष प्रावधान या स्पेशल पैकेज दिया गया। बिहार के लिए बहुप्रतीक्षित स्पेशल पैकेज न मिलने का खेद उद्योग जगत और बिहार वासियों को भी है। बजट के ठीक बाद प्रतिक्रिया के तौर पर उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने इसे बिहार के लिए निराशाजनक बताया। हालांकि छोटे-छोटे प्रावधान जैसे एमएसएमई में एनुअल टर्नओवर भ्0 करोड़ तक की स्थिति में इनकम टैक्स को फ्0 प्रतिशत से घटाकर ख्भ् प्रतिशत करने जैसे छिटपुट प्रयास भी किया गया है। लेकिन उद्योगपतियों का कहना है कि फाइनेंस की मार झेल रहे उद्योगों को सहूलियतें बढ़ायी जानी चाहिए थी।

इफ्रॉस्ट्रक्चर सुधार सराहनीय

संसद में बजट पेश करने के बाद बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया आयी। अध्यक्ष रामलाल खेतान ने कहा कि कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार श्रृजन आदि पर ध्यान दिया जाना स्वागत योग्य है। इससे आर्थिक सामाजिक विकास होगा। लेकिन बिहार के परिप्रेक्ष्य में यह उत्साहवर्धक नहीं है। एसोसिएशन की ओर से बिहार को स्पेशल पैकेज की मांग की है। बिहार राष्ट्रीय स्तर पर औद्योगिक रूप से पिछड़ा है, इसे समतुल्य करने का प्रयास नहीं हुआ। वही, उपाध्यक्ष एकेपी सिन्हा ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने का प्रयास है। रेलवे का भी इफ्रास्ट्रक्चर में सुधार स्वागत योग्य है।

डिजीटाइजेशन पर फोकस

बीआईए के सीएसआर के चेयरमैन मनीष तिवारी ने कहा कि डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने से न केवल लेन-देन सुगम होगा बल्कि कम्प्यूटर आधारित कामकाज भी बढ़ेगा। इससे रोजगार का अवसर बढे़गा। इसके अलावा युवा उद्यमियों के लिए भी बजट के अच्छे प्रस्ताव है।

सैलरी क्लास को लाभ

बिहार चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने कहा कि यह विकास आधारित बजट है। इसमें आर्थिक और सामाजिक विकास पर ध्यान दिया गया है। विशेष तौर पर सैलरी क्लास वालों के लिए करों में कमी करने का लाभ भी मिलेगा। कृषि के क्षेत्र में भी किये गए प्रावधान विकास को बढ़ावा देंगे।

शिक्षा और स्वास्थ्य हाशिये पर

बजट पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के प्रमुख शिक्षाविद् प्रो। एनके चौधरी ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य की इसमें घोर अनदेखी की गई है। कहा कि सिर्फ घोषणाओं का अर्थ बदलाव या सुधार नहीं है। ठोस रणनीति और आज की समस्याओं के संदर्भ में नीति निर्धारण की दरकार है। इसका घोर अभाव है। ऑनलाइन कोर्सेज, एग्जाम कराने के लिए नेशनल टेस्टिंग बनाना आदि बातें दिखावटी और अप्रभावकारी होंगी। जबतक कि सभी के लिए शिक्षा को सुनिश्चित नहीं किया जाता है। सब कुछ बाजार पर छोड़ दिया गया है, यह अनुचित है। इसी प्रकार, स्वास्थ्य क्षेत्र पर मात्र क्.फ् प्रतिशत ही आवंटन है, जो कम से कम चार प्रतिशत होना चाहिए। कुलमिलाकर भारत मानव विकास सूचकांक में पिछड़ जाएगा।

नोटबंदी की भरपाई कैसे होगी

अर्थशास्त्री एवं आद्री के सदस्य सचिव, शैबाल गुप्ता ने कहा है नोटबंदी के फैसले के बाद बिहार जैसे राज्य को घाटा हुआ है। उसकी भरपाई के लिए क्या होगा, यह बजट में नहीं आया। आर्थिक सर्वे में यह बात आई है कि ग्रोथ घटा है जिसका असर टैक्स कलेक्शन पर पड़ेगा। ऐसे में बिहार को टैक्स रेवेन्यू कम मिलेगा। इस घाटे की भरपाई कहां से होगी? कहा कि बिहार को बजट में कुछ नहीं मिला। शैबाल गुप्ता ने कहा कि बजट में निजी निवेश को बढ़ाने की दिशा में कोई नीति नहीं दिख रही है।