-बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए खास इंतजाम, लेकिन रियल इस्टेट रिवाइवल नहीं

PATNA: बुधवार को पेश किए गए बजट में कई व्यवस्थाओं में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया है। चार लाख करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। भूमि अधिग्रहण में मुआवजा को कर मुक्तकर दिया गया है। छोटे शहरों में भी एयरपोर्ट बनाया जाएगा। ऐसी कई बातें हैं जो अच्छी है। लेकिन नोटबंदी के बाद से इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े लोगों को जो भारी नुकसान हुआ है और आगे भी उनकी मांगों पर विचार नहीं किए जाने से इसका समुचित और समयबद्ध रूप से लाभ नहीं मिल पाएगा। आई नेक्स्ट ने इस संबंध में विशेषज्ञ से बातचीत की। उन्होंने भी इसे सही बताया।

रियल इस्टेट में है गिरावट

नोटबंदी के बाद से सबसे अधिक गिरावट रियल इस्टेट में दर्ज की गई है। इसके बाद से बड़े स्तर पर कई बुकिंग और नए कंस्ट्रक्शन का काम रूक गया। अब बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए आस जगी है। लेकिन कई ऐसी बातें हैं जिस पर कभी विचार या प्रावधान न करने से इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की रफ्तार धीमी पड़ी है। इस बारे में बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन एनके ठाकुर ने बात की।

सस्ते ऋण की थी उम्मीद

चेयरमैन एनके ठाकुर ने कहा कि बजट में आवासीय ऋण को सस्ता और सुगम करने पर जोर दिया जाना चाहिए था। लेकिन इस पर कभी विचार नहीं किया गया। जब तक यह नहीं किया जाएगा, अर्फोडेबल घर की बात व्यवहारिक नहीं हो सकती है।

इक्यूपमेंट बैक बनाया जाए

इंफ्रास्ट्रक्चर में भरी-भरकम खर्च होता है और लागत राशि लंबे समय पर फंसा रहता है। इसमें भारी इक्यूपमेंट की खरीद करनी होती है। सिंगापुर में इंफ्रास्ट्रक्चर बैंक की व्यवस्था है। इसके तहत सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी और महंगे इक्यूपमेंट खरीदती है। एके ठाकुर ने कहा कि कंस्ट्रक्शन कंपनियां या संबंधित लोग इक्यूपमेंट रेंट पर लेते हैं और कंस्ट्रक्शन पूरा होने पर लौटा दिया जाता है। इससे लागत में कमी आती है। काम आसान होता है। यहां भी ऐसी व्यवस्था हो।

टूरिज्म कैपिटल करेगा मदद

बिहार पर्यटन की दृष्टि से बेहद मुफीद राज्य है। यहां ऐतिहासिक धरोहरों और लोक कलाओं की भरमार है। एनके ठाकुर ने कहा कि यह मांग लंबे अर्से से की जा रही है। यदि इसे घोषित किया जाता है तो अचानक से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई प्रस्ताव और कामकाज बढ़ेगा।

इंडस्ट्री का दर्जा तो मिले

बिहार में राष्ट्रीय औसत के लिहाज से इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ बहुत धीमा है। ऐसे में रियल इस्टेट से जुडे़ लोगों के सुझावों पर काम करने की जरूरत है। क्रेडाई के सेक्रेटरी जनरल सचिन चंद्रा ने कहा कि जब तक रीयल इस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा नहीं दिया जाता है, तब तक समस्याएं, विशेष रूप से फाइनेंस के सर्पोट को लेकर समस्याएं बरकरार रहेगी। अन्य उद्योग के लिए जहां लोन आठ से दस परसेंट होगा तो इसमें यह क्फ्-क्ब् परसेंट होता है। बिहार में समस्या अधिक है। यहां मास्टर प्लान व अन्य मुद्दे हावी हैं।

बजट में कई प्रस्ताव अच्छे हैं, इसके लिए चार लाख करोड़ रुपए आवंटित है। लेकिन इसका लाभ सभी तक सुनिश्चित करने के लिए सस्ता और सुगम ऋण उपल?ध कराना जरूरी है।

- एनके ठाकुर, चेयरमैन बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया

इंफ्रास्ट्रक्चर में कैपिटल कास्ट अधिक लगती है। इसके लिए इस हाउसिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को उद्योग का दर्जा मिले ताकि इस क्षेत्र में अपेक्षित ग्रोथ प्राप्त किया जा सके।

- सचिन चंद्रा, सेक्रेटरी जनरल क्रेडाई