पटना (ब्यूरो)। पटना देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक है और यहां प्रदूषण कम करने के लिए ऐसे कई बातें है जिससे ग्रीन पटना की संकल्पना सच होती है। लेकिन इसकी राह में कांटे ही कांटे हैं। इनमें (कंप्रेस्ड नैचुरल गैस) सीएनजी का महंगा होना, किट मिलने में परेशानी और सीएनजी सŽिसडी नहीं मिलने की स्थिति आदि प्रमुख रूप से शामिल है। यह मामला पर्यावरण से जुड़ा है और आमलोगों से भी। क्योंकि जो लोग सीएनजी ऑटो से सफर कर रहे हैं, उन्हें भी अब अधिक किराया देने पड़ सकता है। जल्द ही इस मामले पर सीएनजी ऑटो चालकों की ओर से ऑटो किराए की समीक्षा की मांग रखी जाएगी। ऐसे में आम आदमी के जेब पर बोझ और बढ़ जाएगा। इसके अलावा, पेट्रोल और सीएनजी के बीच कम से रेट में 50 प्रतिशत या इससे अधिक का अंतर होता था, वह रेट बढऩे के बाद से बिगड़ चुका है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट इस मामले की पड़ताल की।

पटना में महंगा है सीएनजी

आखिर पटना में सीएनजी महंगा क्यों है? इस मामले पर सीएनजी के सबसे बड़े सप्लायर गेल के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पेट्रोल और सीएनजी के कंपोनेंट में अंतर है। पेट्रोल के रेट में भी एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर होता है जिसका कारण स्टेट में लगने वाला टैक्स है। जबकि सीएनजी के मामले में यह इसकी ढुलाई से

ज्यादा प्रभावित होता है।

पेट्रोल के बाद सीएनजी भी महंगा

इसकी कीमत तीन रूपये प्रति किलो बढ़ा दी गई है। पेट्रोल केबाद सीएनजी भी महंगा हो चुका है। पटना में सीएनजी की कीमत 69.97 था जो कि अब 72.96 रुपये प्रति किलो हो गई है। एक दूसरी समस्या यह भी है कि जिस प्रकार से सीएनजी की गाडिय़ां बढ़ रही है, उस तरीके से सीएनजी फीलिंग स्टेशन की संख्या नहीं बढ़ रही है। जानकारी हो कि लगभग 20 हजार सीएनजी ऑटो पटना की सड़कों पर दौड़ रही है। लेकिन इसके लिए समुचित फीलिंग स्टेशन की कमी है। एक अप्रैल से डीजल चालित ऑटो के शहरी क्षेत्र में रोक लगा दिए जाने के बाद से सीएनजी ऑटो की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है।

पटना जिले में 16 स्टेशन

पटना जिला में अभी 16 सीएनजी स्टेशन चल रहे हैं। एचपीसीएल के भूतनाथ स्थित बिंदेसारिया पेट्रोल पंप, परसा स्थित साई पेट्रोल पंप और बख्तियारपुर स्थित आइओसीएल के भागीरथ पेट्रोल पंप पर सीएनजी स्टेशन बनकर तैयार हो गए हैं। पटना जिले में गेल के शहरी क्षेत्र में नौ जबकि अन्य जगहों पर सात सीएनजी स्टेशन का संचालन किया जा रहा है।

समीक्षा की मांग

महानगर ऑटो चालक संघ के महासचिव, राजेश चौधरी ने कहा कि 31 मार्च के बाद डीजल गाडिय़ों को बंद कर दिया गया है। ऐसी परिस्थिति में ये सभी ऑटो चालक बेकार हो जाएंगे। सरकार द्वारा ऐसे ऑटो वालों को जीरो डाउनपेमेंट पर सीएनजी ऑटो उपलŽध कराया जाना चाहिए। ताकि ऐसे हजारों लोगों के समक्ष रोजगार संकट न हो। वहीं इस संबंध में गेल के जीएम कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन ज्योति कुमार ने बताया कि सीएनजी की कीमत तय करने में उसके सोर्स एरिया से डिस्टेंस मायने रखता है। जितनी दूरी बढ़ेगी, कीमत बढ़ेगा। इसके अलावा स्टेट का लोकल टैक्स भी इसमें एड होता है। इन सभी फैक्टर का इसकी कीमत पर असर होता है।

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