-दियारे में आयोजन के लिए लेनी होगी अनुमति

-डिजनीलैंड के लिए किसने दिया परमिशन

-तस्वीर मेरी है लेकिन आयोजन के बारे में नहीं पता

PATNA : शनिवार को पटना के गांधी घाट के नजदीक हुए नाव हादसे के बाद सोमवार को सूबे के मुखिया नीतीश कुमार आवाम के सामने आए। लोकसंवाद कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पतंगोत्सव के लिए जब पर्यटन विभाग ने अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों को दियारे में आमंत्रित किया था तो विभाग को चाहिए था कि लोगों को वहां ले जाने और फिर वापस ले आने का भी इंतजाम करे। मालूम हो कि नाव हादसे में ख्ब् लोगों की मौत हो गई। इसमें क्फ् लोग पटना जिले के थे, जबकि बाकी लोग अन्य जिले के थे। इस घटना के बाद सीएम ने आनन फानन में जांच दल गठित कर जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।

नियम की अनदेखी किसने की?

नीतीश कुमार ने कहा कि पतंगोत्ससव में पहुंचे लोगों को वहां से लाने की व्यवस्था की गई थी या नहीं। यह काम नौका दुर्घटना के लिए गठित जांच कमेटी देखेगी.क्योंकि पहले ही नियम है कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले नावों का परिचालन नहीं होना है। तो फिर सूर्यास्त के बाद नाव चलाने की किसने अनुमति दी? यह भी जांच का विषय है कि दियारे में कितने लोगों की ड्यूटी लगी थी और किसे क्या जिम्मेदारी दी गई थी?

आयोजन के लिए लेना होगा परमिशन

इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि आगे से दियारे में किसी भी तरह के आयोजन की अनुमति मुख्य सचिव के स्तर से लेनी होगी। इसके बगैर आयोजन नहीं होगा। इसके अलावे जांच में यह भी देखा जाएगा कि जिस जगह पर लोग नाव से चढ़ाये और उतारे जा रहे थे वहां कोई सरकारी इंतजाम था या नहीं। वहीं डिजनीलैंड लगाने की अनुमति किसने दी और उसके लिए कोई सुरक्षा इंतजाम किए गए या नहीं। अगर पूर्व से तय गाइडलाइन में परिवर्तन लाने की जरूरत होगी तो वह भी किया जाएगा।

मुझे नहीं पता था

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दियारे के पतंगोत्सव का आयोजन मेरे संज्ञान में नहीं था। वैसे भी एक तरफ प्रकाश पर्व के भव्य आयोजन और गया में कालचक्र पूजा को प्रशंसा मिली। वहीं एक चूक ने इस प्रशंसा को पृष्ठभूमि में धकेल दिया। इसलिए थोड़ी भी संवेदना है तो यह सोचिए कि मेरी क्या मन: स्थिति होगी। मेरी भावना को समझिए। आरोप लगाने से पहले पूरी स्थिति समझनी चाहिए।

अधिकारी पता करें किसने लगाई तस्वीर

पतंग उत्सव को लेकर छपे विज्ञापन के बारे में कहा कि यह बात सही है कि विज्ञापन में मेरी ही तस्वीर है। मैंने हादसे के बाद उसे देखा है। लेकिन यह बात सबको पता है कि किसी विज्ञापन में अगर मुख्यमंत्री की तस्वीर को ली जाती है तो उसके लिए यह प्रावधान है कि पहले मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमति लें। मैंने अपने अधिकारियों को कहा है कि पता लगाएं कि तस्वीर लेने के लिए अनुमति ली गई थी या नहीं।