PATNA : ब्0 साल की उम्र में भ्00 से अधिक डूबते लोगों को बचाने वाला गोताखोर दो जून की रोटी के लिए मारा-मारा फिर रहा है। वह पेट की आग बुझाने को परेशान है। कारण है कि प्रशासन भी उसकी तलाश तब करता है जब घटना हो जाती है। हम बात कर रहे हैं गोताखोर जोगी सहनी की जो जान जोखिम में डालकर लोगों की जिंदगी बचाता है.मंगलवार को आई नेक्स्ट से बातचीत में जोगी ने बताया कि सरकार थोड़ा भी ध्यान देती तो ऐसे हादसों में लोगों को बचाने के लिए हमलोग ही काफी होते। फिर भी हम गोताखोर खुश रहते हैं। क्योंकि पेट की आग बुझाने से बड़ी बात है किसी को नई जिंदगी देना।

साहब को नहीं रहती फिक्र

जोगी सहनी का कहना है कि वह और उनके भाई राजेंद्र सहनी लोगों की जान बचाने के लिए हमेशा एनआईटी घाट के पास रहते हैं। मकर संक्रांति के पूर्व में भी नाव का हादसा हुआ था लेकिन वह मौके पर मौजूद थे जिससे अधिक से अधिक लोगों की जान बचा ली गई थी। उनका कहना है कि सरकार ध्यान नहीं दे रही है जिससे गोताखोर अब इस काम से दूर हो रहे हैं। अब ऐसे गोताखोर कम है जो बिना लाइफ जैकेट के पूरा नदीं खंगाल ले। इसके बाद भी नाव हादसा में भी गोताखोरों ने ही लोगों की जान बचाई है।

मौत से जीत गया, लेकिन साहब के सवालों ने डराया

क्या आपने नाव को डूबते देखा है? क्योंकि नाव तो दिख ही नहीं रही है। कहां डूबी है? सामने खड़ा एक डरा और सहमा युवक, जिसने काफी करीब से मकर सक्रांति के दिन अपनी मौत को देखा था। उससे इस तरह के बेतुके सवाल पूछे गए थे। सवाल पूछने वाले थे पटना में पोस्टेड एक पुलिस अधिकारी। वो भी डीएसपी पोस्ट को होल्ड करते हैं। पुलिस सोर्स की मानें तो पुलिस अधिकारी का सवाल सुन गंगा नदी से जान बचाकर आया डरा-सहमा युवक भी दंग रह गया। उसे ये समझ में नहीं आ रहा था कि डीएसपी साहब के सवालों का वो क्या जवाब दे। ये वाक्या एनआईटी घाट की है। पुलिस सोर्स की मानें तो युवक को गंगा नदी से बचाया गया था।

वहां मौजूद हर कोई था दंग

सोर्स बताते हैं कि जिस वक्त युवक को बचा कर लाया गया था। उस दौरान एनआईटी घाट पर लोगों की काफी भीड़ जमा हो गई थी। युवक बहुत ही नर्वस था। उसी बीच डीएसपी साहब वहां पहुंचे थे। जैसे ही उन्होंने सवाल पूछना शुरू किया, वहां मौजूद हर कोई दंग रह गया।

पुलिस वालों को भी नहीं भा रहे थे सवाल

जिस तरीके से डीएसपी साहब सवाल पूछ रहे थे, उससे ये लग रहा था कि मानों वहां कुछ हुआ ही नहीं। पुलिस सोर्स बताते हैं कि उस दौरान का जो माहौल था, वो बहुत ही सेंसेटिव था। ऐसे में माहौल में डीएसपी साहब के सवाल वहां मौजूद पुलिस वालों को भी नहीं भा रहे थे। उन्हें भी बहुत अजीब लग रहा था।