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PATNA (28 Dec): गांधी मैदान इतिहास के पन्नों में मिनी पंजाब के रूप में दर्ज हो गया है। बात जब भी प्रकाश पर्व की होगी गांधी मैदान का नाम बिहार से लेकर देश के कोने कोने में गूंजेगा। बिहार को नई पहचान देने वाला कौन है और किस कलाकार ने ये इतिहास रचा है? आई नेक्स्ट आज पहली बार उस कलाकार को सामने लाने जा रहा है जिसकी कला ने पंजाब का मॉडल तैयार कर दिल जीत लिया है।

- बंगाल के संजय का नहीं कोई जोर

संजय मामती बंगाल के रहने वाले हैं और मॉडल तैयार करने में मास्टर हैं। उनके पास ऐसी टीम है जो एक नजर देखने के बाद कोई भी मॉडल तैयार कर सकती है। लेकिन संजय का कहना है कि वह पंजाब नहीं गए थे और न ही कभी पंजाब का मॉडल तैयार किया था। बिहार में जब गांधी मैदान में मिनी पंजाब बनाने का काम मिला तो उन्होंने इसे बड़ी चुनौती के रूप में लिया और तैयार हो गए। फ्म् लोगों की टीम लेकर वह पटना पहुंच गए और प्रशासन के साथ अन्य डिजाइनरों से पूछा कि वह कैसा मॉडल चाहते हैं। प्रशासन द्वारा बताया गया कि गांधी मैदान को पंजाब के रंग में रंगना है। वह तैयार हो गए और मॉडल बनाने में जुट गए।

- बस एक नजर देखा गुरु द्वारा और बना दिया मॉडल

संजय का कहना है कि उन्हें बताया गया कि समय कम है और इसमें पूरे पंजाब का लुक देना है। प्रशासन उन्हें पटना सिटी ले गया और वहां गुरु द्वारा दिखाया। इसके बाद उन्हें कहा गया कि क्00 प्रतिशत नहीं तो 7भ् प्रतिशत ऐसा ही मॉडल बनाना है। संजय के लिए ये बड़ी चुनौती थी। वह एक नजर देखने के बाद गांधी मैदान में मॉडल तैयार करने में जुट गए। ख्ख् दिनों में उन्होंने गुरु द्वारा का हूबहू मॉडल बनाकर तैयार कर दिया। बांस बल्ली और लकड़ी कपड़ा के साथ थर्माकोल से बनाया गया मॉडल आकर्षण का केंद्र हैं। संजय की टीम के हाथों तैयार मॉडल को देख पंजाब से आने वाले भी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। गांधी मैदान के बीचोबीच में बना मॉडल आकर्षण का केंद्र बना है।

- गांधी मैदान में हर जगह संजय के हाथों का जादू

गांधी मैदान में हर जगह संजय के हाथों का जादू दिख रहा है। सिख धर्म के निशान की बात हो या फिर पंजाबी भाषा में थर्माकोल के लेटर सब संजय के हाथों की कला है। ये देखते ही बन रही है। गांधी मैदान में संजय के हाथों की कला ही मिनी पंजाब का लुक दे रही है। आई नेक्स्ट से विशेष बातचीत के दौरान संजय ने बताया कि वह इसे चुनौती के रूप में लिए हैं और थोड़ा समय मिलता तो और बेहतर सजा देते फिर भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वह ऐसा मॉडल और सजावट कर रहे हैं जिसे लोग भूल नहीं पाएंगे। वह अंतिम समय तक गांधी मैदान को अपनी कलाओं से पंजाब जैसा लुक देने में लगे रहेंगे।

- बंगाल में है अलग पहचान

संजय का कहना है कि बंगाल में वह अपनी कला से हमेशा डिमांडेड रहते हैं। उनका कहना है कि वह अभी तक इतने बड़े प्रोजेक्ट पर काम नहीं किए थे इसलिए चुनौती लग रहा था। लेकिन अपनी कला और टीम पर काफी भरोसा था। इसलिए वह काम लिए और काफी हद तक वह कामयाब रहे हैं। वह इसके पहले कई बड़ी साइट शादी विवाह पार्टी और सेट बना चुके हैं। संजय का कहना है कि गांधी मैदान को न तो बिहार और पंजाब भूल पाएगा और न ही वह खुद इसे भूल पाएंगे।