- पुलिस और बीएसएससी के बीच दांव पेंच में फसा मामला

- पुलिस को शिकायत का इंतजार, बिहार कर्मचारी चयन आयोग बना रहा दूरी

- मामले की तह तक पहुंचे जांच तो टॉपर घोटाले से बड़ा मामला होगा उजागर

PATNA : सरकार खामोश हुई तो प्रदेश का बड़ा मामला दब जाएगा क्योंकि पर्चा लीक का मामला बीएसएससी और पटना पुलिस के बीच फस गया है। पुलिस को तहरीर का इंतजार है और बिहार कर्मचारी चयन आयोग के जिम्मेदार इससे भाग रहे हैं। ऐसे में सरकार की भूमिका अहम होगी जिसके निर्णय के बाद ही प्रदेश में टॉपर घोटाले की तरह दूसरा बड़ा मामला उजागर हो सकता है। पुलिस अफसरों का दावा तहरीर मिलने के बाद तह तक पहुंचने का है।

- अफसरों की चुप्पी खड़ा कर रही सवाल

बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के पूर्व पेपर आउट होने के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़ा कर रही है। सवाल ये है कि पुलिस के खुलासे के बाद जिम्मेदार अफसर क्यों नहीं आगे आ रहे हैं। अगर पुलिस और अन्य अफसर ऐसे ही मूक बने रहे तो ये मामला पूरी तरह से दब जाएगा। सवाल ये भी है कि इतने बड़े मामले में सुराग लगने के बाद भी सरकार की तरफ से कोई पहल क्यों नहीं हो रही है।

- भ् सवाल जिसका नहीं मिल रहा जवाब

- पुलिस को क्या है तहरीर का इंतजार

- स्वत: संज्ञान लेकर क्यों नहीं कर रही खुलासा

- पुलिस के खुलासे के बाद बीएसएससी के अफसर क्यों चुप हैं

- बीएसएससी पुलिस के सहयोग से काम करती तो बड़ा खुलासा हो सकता है

- मामला उजागर होने के बाद भी सरकार की तरफ से क्यों नहीं आया जांच का आदेश

-

- रैकेट को बचाने का प्लान तो नहीं

पटना पुलिस के खुलासे के बाद किसी बड़े अफसर का बीच में नहीं आना और जांच के लिए भी कोई निर्देश नहीं दिया जाना इस मामले में कई सवाल खड़ा कर रहा है। चर्चा तो ये भी हो रही है कि कहीं इस रैकेट में शामिल लोगों को बचाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है। ऐसी कई चर्चाएं हैं जिसे लेकर न सिर्फ पुलिस बल्कि बीएसएससी पर भी सवाल खड़ा किए जा रहे हैं।

- पुलिस की है जिम्मेदारी

बीएसएससी के पर्चा लीक मामले में पटना पुलिस के एसएसपी मनु महाराज का कहना है कि उन्हें तहरीर नहीं दी गई है। वह तहरीर के इंतजार में हैं। अगर नियम और पुलिस रेगुलेशन एक्ट की बात करें तो पुलिस को किसी तहरीर के इंतजार की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए वह स्वत: संज्ञान लेकर मामले की जांच कर सकती है। प्रदेश के एक सीनियर आईपीएस अफसर ने बताया कि पुलिस तहरीर की बात मामला टालने के लिए करती है। उसे किसी भी मामले में तहरीर की नहीं बस मामला संज्ञान में आने की जरुरत होती है।