- प्रो। सुधीर कुमार श्रीवास्तव बने पटना यूनिवर्सिटी के अस्थाई वीसी

- सर्च कमेटी की अनुशंसा के बाद होगी स्थायी नियुक्ति

PATNA : लंबे समय तक विवादों में रहने के बाद जब पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो। वाइसी सिम्हाद्रि की विदाई के दूसरे दिन ही यूनिवर्सिटी को नया वीसी मिल गया। कुलाधिपति सह राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने राज्य के आठ विश्वविद्यालयों में अस्थायी तौर पर कुलपतियों की नियुक्ति कर दी है। पटना विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार प्रो। सुधीर कुमार श्रीवास्तव को दिया गया है। राजभवन सचिवालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। पीयू के कुलपति बने प्रो। डॉ। सुधीर श्रीवास्तव को एक साथ दो बड़े पद दिया गया है। पटना विवि के कुलपति के साथ पटना सायंस कॉलेज के प्रिंसिपल भी बन गए हैं। एक ही दिन दोनों पद मिले हैं। यहां के प्रिंसिपल डॉ। एम एन सिन्हा रिटायर हो गए। उनके अलावा सूबे के अन्य 7 विवि पर भी नए वीसी की नियुक्ति हुई है।

शाम 7 बजे तक खाली थी वीसी की कुर्सी

राजभवन में कागजी प्रक्रिया में काफी वक्त लगा। शाम सात बजे नोटिफिकेशन के बाद प्रो। श्रीवास्तव को यह पद मिला। वे बुधवार को कुर्सी पर बैठेंगे। बहुत दिनों के बाद ऐसा मौका आया है जब पटना यूनिवर्सिटी में लंबे वक्त तक सेवा देने वाले को वीसी का पद मिला है। इससे पहले दूसरे स्थानों से आकर वीसी पद संभालते थे। इस बात से वहां के कर्मचारियों में काफी उत्साह है। वीसी बनने पर पटना कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल प्रो। एनके चौधरी, कूटा महासचिव डॉ। अनिल कुमार सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों ने पद संभालने की बधाई दी।

प्रो। सुधीर श्रीवास्तव के चैलेंज

- पटना यूनिवर्सिटी का एकेडमिक स्टैंडर्ड काफी खराब हुई है। सिम्हाद्रि के कार्यकाल में यूनिवर्सिटी कई मोर्चे पर पिछड़ी है।

- पटना यूनिवर्सिटी के हॉस्टल पर असमाजिक तत्वों का कब्जा है। यहां आए दिन बमबाजी होती रहती है। स्टूडेंट्स को इस समस्या से निजात दिलाना।

- एकेडमिक कैलेंडर के तहत जो वोकेशनल कोर्स पिछड़ रहे हैं। उन्हें शुरू कराना।

- शिक्षकों का प्रमोशन काफी वर्षों से अटका है, इसे दुरुस्त करना।

- पटना यूनिवर्सिटी का इंफ्रस्ट्रक्चर को ठीक करने की चुनौती।

पहले क्यों नहीं चुन लिया वीसी

सरकार का नजरिया उच्च शिक्षा को लेकर विरोधाभाषी है, यह वीसी के सिलेक्शन में देरी से साबित होता है। पूर्व वीसी के रिटायरमेंट का समय नजदीक आते देखकर भी सरकार ने सर्च कमेटी का गठन नहीं किया था। लिहाजा प्रभारी वीसी की नियुक्ति करनी पड़ी। प्रभारी के तौर पर उन्हें प्रशासनिक काम करने में काफी दिक्कतें आएंगी। अगर समय रहते सर्च कमेटी गठित होती तो आज इस कुर्सी पर प्रभारी वीसी को नहीं बिठाना पड़ता।

अन्य विवि को मिले ये वीसी

-बीआर अंबेदकर विवि, मुजफ्फरपुर- प्रो। रवींद्र कुमार वर्मा रवि

- मगध विवि- प्रो। कुसुम कुमारी

- एलएन मिथिला विवि, दरभंगा- प्रो। राजकिशोर झा

- तिलकामांझी भागलपुर विवि- प्रो। क्षेमेंद्र कुमार

- कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि- प्रो। विद्याधर मिश्रा

- मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विवि- प्रो। रमेश चंद्र

- नालंदा खुला विवि- प्रो। शिवकांत झा