तीन मौके इस साल से गिनेंगे, स्टेट कोटे पर रोष कायम

PATNA (4 Feb) : मेडिकल की तैयारी में लगे छात्रों के गुस्से के बाद सीबीएसई द्वारा आयोजित नीट परीक्षा के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। अब इसी साल से तीन चांस काउंट किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि जो छात्र इससे पहले एआइपीएमटी या नीट में बैठ चुके हैं, उनके प्रयासों को गिना नहीं जाएगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस बार की परीक्षा को पहला प्रयास माना जाएगा। इसके अलावा नए निर्देश के बाद सीबीएसई ने ऑनलाइन फार्म में भी बदलाव कर दिया है। इससे स्पष्ट है कि इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे ख्भ् वर्ष तक के सभी छात्र फार्म भर सकते हैं। वहीं ऑनलाइन आवेदन के लिए आधार नंबर को भी अनिवार्य कर दिया गया है।

स्टेट कोटा से छेड़छाड़ न हो

जानकारी हो कि छात्रों और कोचिंग संस्थानों के विरोध के बाद सीबीएसई ने जारी नोटिफिकेशन में उम्र सीमा और स्टेट कोटे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। उधर, गोल इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर विपिन कुमार ने मांग की है कि स्टेट कोटा यानि 8भ् प्रतिशत छात्रों कोटे के साथ छेड़छाड़ न हो। बिहार, यूपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों की व्यवस्था अलग है। इन राज्यों के अधिकांश छात्र ऐसे हैं जो कि क्वालिफाई कर सकते हैं। लेकिन ख्भ् की एज लिमिट करने से उनकी तैयारी अंतिम समय में बर्बाद हो जाएगी। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश को उम्र सीमा की बाध्यता नहीं रहना चाहिए। जानकारी हो कि नोटिफिकेशन में उम्र सीमा में बदलाव नहीं किया गया है।

तो डॉक्टरों की होगी कमी

नीट की व्यवस्था आने के बाद भी मेडिकल जगत में भावी डॉक्टरों को तैयार करने की दिशा में आमूल-चूल बदलाव नहीं हुआ है। आज भी मेधावी लेकिन गरीब छात्र इस प्रोफेशन में अपना करियर बनाने में असहज हैं। कारण यह है कि अब भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मनमानी बरकार है। फी लगातार बढ़ रहा है। दूसरी ओर जितना अपेक्षित था कि मेडिकल की सीटों में भारी इजाफा होगा, वह भी नहीं हुआ। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में बिहार एवं अन्य पिछड़े राज्यों में डॉक्टरों की कमी की समस्या से पार पाना मुश्किल होगा।

नीट का लाभ नहीं मिला

जिस उद्ेश्य के साथ नीट को नेशनल लेवल पर मेडिकल इंट्रेंस के लिए एक कॉमन एग्जाम के रूप में शुरू किया गया, उससे जो उम्मीद थी, वह अब तक नहीं मिला है। उलटे इसका नुकसान ही हुआ है। गोल इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर विपिन कुमार ने बताया कि जब नीट शुरू किया गया तो उस समय यह तय किया गया था कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फी मॉनिटरिंग की जाएगी। इससे सभी तबके के बच्चों को मेडिकल में करियर बनाने का मौका मिलेगा। लेकिन आज के समय में इन कॉलेजों का फी घटने की बजाय और बढ़ ही गया है।

अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है

भले ही मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के आंदोलन और कोचिंग संस्थानों के विरोध के बाद सीबीएसई ने नोटिफिकेशन में तीन चांस की बात को स्पष्ट किया है। लेकिन अभी भी कई छात्रों के बीच असमंजस का माहौल है। ऐसे में उन्हें भी काउंसलिंग की जरूरत है। वहीं, सोर्सेज बताते हैं कि अभी और नोटिफिकेशन आ सकता है, जिसमें एज और अन्य बातों को स्पष्ट हो।

- देश भर से दस लाख छात्र परीक्षा देंगे

- नए नियमों के तहत सामान्य वर्ग के लिए उम्र ख्भ् वर्ष रिजर्व कोटे के लिए फ्0 वर्ष तय की गई है

- सीबीएसई ने देश भर में परीक्षा केन्द्र के तौर पर क्भ्00 परीक्षा केन्द्र चुने हैं

- बीते साल नीट के लिए आठ लाख से अधिक उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया था

नीट में नया बदलाव ठीक है कि पहला मौका इसी साल से काउंट किया जाएगा। लेकिन यह मांग रहेगी कि तीन चांस को लगातार काउंट नहीं किया जाए। इसके साथ ही छात्रों के हितों की भी रक्षा की जाए।

- निलेश रंजन, डायरेक्टर मार्गदर्शन

सबसे बड़ी बात कायम है कि नए नोटिफिकेशन के बाद स्टेट कोटे यानि 8भ् प्रतिशत के साथ उम्र की बाध्यता को लागू नहीं किया जाए। इससे कई छात्रों के हितों की अनदेखी होगी। वे वंचित रह जाएंगे।

- बिपिन कुमार डायरेक्टर गोल