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PATNA : महाभारत काल में अर्जुन की आवाज पर सुभद्रा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदने का गुर सीख लिया था। लेकिन जमाना बदल गया है और अब डॉक्टर इंजेक्शन से गर्भ में पल रहे बच्चे को कलयुग का अभिमन्यु बनाने का दावा कर रहे हैं। एक से नौ माह तक के डोज में बच्चों को एक्स्ट्रा ब्रिलियंट बनाने का दावा करने वाले डॉक्टरों का तर्क है कि गर्भ में पल रहे शिशु पर दवाओं का तेजी से असर होता है। इन दावों में कितनी सच्चाई ये तो नहीं पता लेकिन, आलम यह है कि अब गर्भवती महिलाएं भी ऐसी सूई और दवाई के लिए खुद डिमांड कर रही हैं। हालांकि कुछ डॉक्टर ऐसे दावों को खोखला बताते हैं बिना जांच के देना खतरा बताते हैं।

हार्ट के इंजेक्शन का इस्तेमाल

डाक्टरों के मुताबिक गर्भ में शिशुओं को एक्स्ट्रा ब्रिलियंट बनाने के लिए जिस इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है वह मुख्य रूप से हार्ट पेशेंट के लिए होता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह जीवन रक्षक इंजेक्शन है जिसका सीधा असर मनुष्य के मस्तिष्क पर होता है। गर्भ में पल रहे बच्चों को ऐसे इंजेक्शन देने से उनकी बौद्धिक क्षमता के साथ शारीरिक विकास भी तेजी से होता है।

महंगा नहीं है दवाओं का डोज

डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चों को एक्स्ट्रा ब्रिलियंट बनाने वाले इंजेक्शन में हेप्रिन, बेप्रिन और केप्रिन सहित अन्य कई कंपनियों की दवाएं होती हैं। इसका डोज महंगा नहीं होता। हेप्रिन इंजेक्शन की कीमत मात्र क्फ्म् रुपए है जो मरीज को ढाई दिन तक लगाया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक इसका डोज एक माह से लेकर नौ माह तक है। अब मां बाप के ऊपर है कि वह कितने दिनों का डोज बच्चे को देना चाहते हैं। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट न तो मां पर पड़ता है और न ही गर्भ में पल रहे बच्चे पर। इससे शिशुओं में ग्रोथ बहुत अच्छी होती है।

डॉक्टरों की केस स्टडी

इंजेक्शन से बच्चों को एक्स्ट्रा ब्रिलियंट बनाने को लेकर जब शहर की प्रतिष्ठित महिला रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय से केस स्टडी पर बात की गई तो उन्होंने नाम व पता गोपनीय रखते हुई कई ऐसे परिवार का नाम लिया जहां दवाओं के असर से बच्चे सामन्य से अधिक एक्टिव हैं। उनका कहना है कि उनके अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं को वह सलाह देती हैं कि इंजेक्शन का इस्तेमाल कर वह गर्भ में पल रहे शिशु को एक्टिव करें। कुछ डॉक्टर ऐसे इंजेक्शन को नार्मल बताते हैं और इसके इस्तेमाल को लेकर भी बहुत आवश्यकता नहीं बताते हैं। हालांकि यह इंजेक्शन खून को पतला करने के साथ उसमें जमे थक्कों का कम करने का काम करता है।

गर्भवती महिलाओं को हेप्रिन इंजेक्शन देने से उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वह दिमाग से लेकर शारीरिक रूप से भी काफी एक्टिव हो जाते हैं। ऐसा कई महिलाओं में प्रयोग के तौर

पर देखा भी गया है। इजेक्शन के बाद बच्चे सामन्य बच्चों की अपेक्षा अधिक एक्टिव होते हैं। गर्भवती महिलाओं को इसके लिए सलाह भी दी जाती है।

- डॉ सारिका राय, वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ

गर्भवती महिलाओं को ये इजेक्शन शिशुओं की सांस लेने की क्रिया सही रखने के साथ अन्य कई समस्याओं को सॉल्व करने के लिए दिया जाता है। ये बेसिकली खून को पतला करने का काम करता है जो बच्चों के लिए जरुरी है। इसके इस्तेमाल से बच्चों के दिमाग और उनके शारीरिक विकास पर प्रभाव नहीं पड़ता है।

- डॉ अजीत कुमार सिंह, वंश टेस्ट टयूब बेबी सेंटर

इंजेक्शन से बच्चों के दिमाग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ये उन महिलाओं को दिया जाता है जिसके ख्-फ् बच्चे नुकसान हो गए होते हैं। इंजेक्शन देने के पहले गर्भवती महिलाओं को एंटी

फास्फोलिपिड और एंटी सिंड्रोंम की जांच कराने के बाद ही इस इंजेक्शन को दिया जाता है।

-डॉ मंजू गीता मिश्रा, वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ