PATNA : गर्मी अभी शुरू भी नहीं हुई कि इसका असर दिखना शुरू हो गया है। मौसम के बदलाव के साथ मूड डिसऑर्डर की समस्या बढ़ने लगी है। मनोचिकित्सकों के यहां ऐसे पेशेंट्स की संख्या में अचानक वृद्धि हो गई है। इसमें सबसे अधिक ऐसे पेशेंट पहुंच रहे हैं जो शराबबंदी के बाद से परेशान हैं। डॉक्टरों का कहना है अत्याधिक थकावट और अधिक नींद आने के साथ ऐसी कई समस्याएं हैं जिससे मूड डिसऑर्डर का पता चलता है। डॉक्टरों की मानें तो पटना में ऐसे पेशेंट्स की संख्या भ्00 से भी अधिक है।

खास रीजन में मूड होता है ऑफ

डॉक्टरों का कहना है कि खास सीजन में मूड डिसऑर्डर के मामले आते हैं। जब मौसम बदलता है और ठंड से अचानक गर्मी आती है तो लोगों को ये परेशानी होने लगती है। इसे मेडिकल भाषा में सिजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर कहा जाता है।

खुद को असहाय समझने लगते हैं अधिकतर पेशेंट

मनोचिकित्सक का कहना है कि जिसे मूड डिसऑर्डर की परेशानी होती है वह खुद को काफी असहाय समझने लगता है। आशाहीनता के साथ कई मानसिक विकारों से ग्रसित हो जाता है। उसे लगता है कि न तो दुनिया में कोई उसका है और न ही वह दुनिया के लायक है। ऐसे में कभी-कभी नकारात्मक सोच के कारण घटनाएं भी हो जाती है।

मूड डिसऑर्डर के हैं कई कारण

मनोचिकित्सकों के मुताबिक मूड डिसऑर्डर के कई कारण है। इसमें न्यूरो केमिकल इनबैंलेंस प्रमुख कारण है। न्यूरो ट्रांसमीटर में गड़बड़ी भी आ जाती है। मूड डिसऑर्डर का इलाज पूरी तरह से संभव है यदि पीडि़त की सही समय पर काउंसिलिंग कराकर इलाज किया जाए। इसके लिए एंटी डिप्रेशन, लाइट थेरेपी के साथ अन्य कई विधा काफी उपयोगी है। रोगी को उचित उपचार मिलने पर समय से आराम मिल सकता है।

अकेलेपन के आदी

ऐसे पेशेंट लोगों के बीच नहीं रहना चाहते। वह एकांत वास के साथ लोगों से मिलना-जुलना नहीं पसंद करते हैं। खाना-पीना भी छोड़ देते हैं। लगातार वजन में भी गिरावट होने लगती है और बिना कारण चिंता से ग्रसित रहते है। नकारात्मक विचार आने से व्यक्ति खुद को खत्म कर लेने की भी सोच लेता है। डॉक्टरों के मुताबिक गरमी की शुरुआत में ऐसी बीमारियां अधिक होती है।

अचानक खुद से बात करने लगा

पटना के एक युवक के परिजन उस समय परेशान हो गए जब वह खुद से बात करने लगा। घर वालों से कटकर वह हमेशा अकेलापन ढूंढ़ता था। शराबबंदी के पहले तक वह काफी ठीक था लेकिन शराबबंदी के बाद से परेशान रहने लगा। उपचार से आराम मिला था लेकिन ठंड के बाद जैसे ही गर्मी आई उसकी परेशानी फिर बढ़ने लगी है।

जीने की इच्छा हो गई है खत्म

पटना की एक महिला एक सप्ताह से मनोचिकित्सक के यहां भर्ती है। अचानक उसकी जीने की इच्छा खम हो गई है और वह उल्टे-सीधे हरकत करने लगी हैं। परिजनों ने मनोचिकित्सक के यहां भर्ती कराया, अब दवा से कुछ आराम मिल रहा है। परिजनों का कहना है कि पहले ऐसी शिकायत नहीं थी मौसम बदलने के साथ परेशानी हो रही है।

म्भ् वर्ष की उम्र में मूड हुआ ऑफ

बुद्धा कॉलोनी के एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी भी मूड डिसऑर्डर से पीडि़त हैं। इससे पहले उन्हें कभी भी ऐसी शिकायत नहीं हुई लेकिन अब वह खुद से भी डरने लगे हैं। हर समय उन्हें भय रहता है और परिवार वालों पर भी भरोसा नहीं कर रहे हैं।

मौसम परिवर्तन में ऐसी समस्या आ जाती है। सिजनल मूड डिसआर्डर की समस्या से बचने के लिए खान-पान और माहौल पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। तनाव व काम के बोझ के साथ ऐसा माहौल बनाना चाहिए जो सेहत के लिए फायदेमंद हो।

- श्रेया , फिजियोलॉजिस्ट, हितैषी हैप्पीनेस होम