PATNA/ BIHARSHARIFF : डेंगू ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं इस बार मच्छरों ने एमसीडी की पेशानी भी बढ़ा दी है। कई इलाकों में डेंगू ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। वहीं सदर अस्पताल में खोले गए डेंगू वार्ड भगवान भरोसे चल रहा है। यहां जांच के नाम पर एक इंस्टुमेंट है। इसके अलावा इस रोग से संबंधित मरीजों का ब्लड सैम्पल लेकर पटना कनफर्मेंशन के लिए भेजा जाता है। यदि रिजल्ट पाजेटिव आया तो उसे तत्काल पटना रेफर कर दिया जाता है। चूंकि यहां पर ऐसे रोग के इलाज के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि सदर अस्पताल में बने डेंगू वार्ड की कई खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं जो खुले तौर पर मच्छर को आने का निमंत्रण दे रहा है। डेंगू रोग से लगातार प्रभावित हो रहे लोगों के प्रति स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम महकमा पूरी तरह से गंभीर नहीं हो रहा है। आज भी नगर निगम क्षेत्र के कई मोहल्ले व गलियों में गंदगी का अंबार लगा है। हर दिन फॉ¨गग और छिडकांव की बात होती है पर कहीं भी इस तरह का मूवमेंट शहर में नहीं देखा जा रहा है। यदि इस रोग के प्रति अब भी लोग गंभीर नहीं हुए तो यह रोग आगे जाकर काफी भयावह रूप ले लेगी और फिर इस पर काबू पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।

रोटेशन पर काम करती है मेडिकल टीम

डेंगू वार्ड में मरीजों के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है। कमरे की कुछ खिड़कियों के शीशे टूटे हैं उसे तत्काल मरम्मत करा दी जाएगी। इसके अलावा प्रभावित इलाकों में रोटेशन के आधार पर मेडिकल टीम लगातार सम्पर्क में है। जहां कहीं से भी इस रोग से संबंधित सूचना मिलती है वहां पर मेडिकल टीम तत्काल पहुंच जाती है।

डेंगू का फिर मिला एक और मरीज

डेंगू का कहर लगातार लोगों के लिए आफत बन कर टूट रही है। पुल चौक निवासी ब्भ् वर्षीय व्यवसाई गुड्डू रस्तोगी में भी डेंगू के लक्षण पाए गए हैं। नए इलाके में इस रोग के मरीज के मिलने से इस इलाके के लोग पूरी तरह से सहमें हुए हैं। प्राथमिक उपचार के बाद जांच में पाजिटिव पाए जाने पर उसे बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया है। इस रोग का सबसे ज्यादा कहर सिलाव प्रखंड के कड़ाह गांव व बिहारशरीफ नगर निगम के सालुगंज, कंटाही मोहल्ला में देखने को मिल रहा है। इस इलाके के लिए पूरी तरह से सहमें हैं।

स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से किसी प्रकार की कोताही नहीं बरत रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को भी इस रोग से बचने के लिए जागरूक होने की जरूरत है। साफ-सफाई व नियच्ति मच्छरदानी का सेवन करने से इस रोग से बचा जा सकता हच्। बच्चों पर विशेष रूप से एहतियात बरतने की जरूरत है।

- डा। सुबोध कुमार सिंह, सिविल सर्जन, नालंदा

डैंगू से बचने के उपाय

गर्मी के बाद बदलता मौसम बारिश की बूंदों की आहट के साथ आता है। इस बदलते मौसम में पनपता है च्डीज मच्छर जो अपने साथ फैलाता है डेंगू बुखार। और ये बुखार इतना खतरनाक हो सकता है कि मरीज़ की जान तक ले ले। गौरतलब है कि ये बुखार बारिश के मौसम में और बदलते मौसम में फैलता है। इस बीमारी की जड़ है च्डीज मच्छर.च्इसी मच्छर के काटने से डैंगू बुखार होता है। च्डीस मच्छर जमे हुए पानी - जैसे कूलर में जमा पानी, नालों में खड़ा पानी, सड़क पर जमा पानी वगैरह में पैदा होते हैं औऱ बढ़ते हैं। इसलिए घर में कूलर या अन्य जगहों पर पानी स्टोर करना बंद करने में समझदारी है।

डैंगू के लक्षण

डेंगू बुखार के लक्षण आम बुखार से थोड़े अलग होते हैं। बुखार बहुत तेज़ होता है। साथ में कमज़ोरी हो जाती है और चक्कर आते हैं। कई लोगों में चक्कर आने से बेहोशी भी देखी गई है। ऐसे में मुंह का स्वाद बदल जाता है और उल्टी भी आती है। सरदर्द, पीठ में दर्द और बदन दर्द भी होता है। कई लोगों को त्वचा पर रैशेज भी हो जाते हैं। अक्सर बुखार होने पर लोग घर पर क्रोसिन जैसी दवाओं से खुद ही अपना इलाज करते हैं। लेकिन, डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर थोड़ी देर भी भारी पड़ सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और प्लेटलेट्स काउंट चेक कराएं। डेंगू बुखार पाए जाने के बाद भी कई लोग घर में रहकर ही अपनी प्लेटलेट काउंट, ब्लड प्रेशर वगैरह नाप कर इलाज करना पसंद करते हैं।

तो तुरंत जाएं हॉस्पीटल

डॉक्टरों के मुताबिक घर में इलाज करते हुए कुछ खास चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए। अगर पानी पीने और कुछ भी खाने में दिक्कत हो और बार-बार उल्टी आए तो डीहाइड्रेशन का खतरा हो जाता है। ये लिवर एंजाइम्स में गड़बड़ी का सूचक होता है। प्लेटलेट्स के कम होने या ब्लड प्रेशर के कम होने या हीमाटाइट यानी खून का घनापन बढ़ने को भी खतरे की घंटी मानना चाहिए। साथ ही अगर खून आना शुरू हो जाए तो तुरंत अस्पताल ले जाना अनिवार्य हो जाता है।

मौसम में बदलाव डेंगू का कारण

मौसम में परिवर्तन होते ही डेंगू के मरीजों की संख्य लगातार बढ़ने लगती है। बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में अलग से वॉर्ड बनाए गए हैं जिससे इलाज में सावधानी बरती जा सके। डेंगू बुखार होने पर सफाई का ध्यान रखने की जरूरत होती है। इलाज में खून को बदलने की जरूरत आती है इसलिए अस्पताल में रहने से सुविधा होती है। ये बुखार हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन छच्टे बच्चों और बुजुगरें को ज्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है। साथ ही दिल की बीमारी के मरीज़ों का भी खास ख्याल रखने की ज़रूरत होती है। ये बुखार युवाओं में भी तेज़ी से फैलता है क्योंकि वो अलग-अलग जगह जाते हैं जिस वजह से उनका एक्सपोज़र ज्यादा होता है।