पीएमसीएच के गाईनी डिपार्टमेंट की स्थिति खराब, चारों ओर फैली है गंदगी

- संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा, फिर भी हो रही अनदेखी

- न नर्स ठीक से बात करती हैं, न कोई फैसिलिटीज ही मिलती

PATNA: पीएमसीएच का गाईनी वार्ड हमेशा प्रेगनेंट पेशेंट से ओवरलोडेड रहता है, पर यहां की हालत देख लगता है कि कब बाहर निकल जाएं। कारण-गंदगी, गर्मी और मूलभूत सुविधाओं की कमी। बाकी की कमी यहां के स्टाफ के अडि़यल रवैये से पूरा हो जाता है। जानकारी हो कि यहां पूरे बिहार से पेशेंट आते हैं, फिर भी इस कमी बेहतर करने का प्रयास नहीं किया गया। जच्चा-बच्चा दोनों ही संक्रमण के प्रति बहुत ही संवेदनशील होते हैं, पर यहां हर कदम पर इसकी इग्नोरेंस हैं। स्वास्थ्य क्या मौलिक अधिकार नहीं है।

बगल में नाले में बहता गंदा पानी

कॉरिडोर में गंदगी, गंदा नाला बहता हुआ और वहीं पर एक मां अपने नवजात को स्तनपान करा रही थी। लेबर वार्ड में कई बेड पर तो चादर ही नहीं थे। बददू इतनी कि पूछिए ही मत। पेशेंट्स पर पंखे कम थे और जो थे वे गर्मी से राहत दिलाने में नाकाफी थे। कुछ ऐसा ही हाल दिखा जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने यहां की स्थिति को जानने के मकसद से डिपार्टमेंट के अंदर जाकर देखा। इसकी तस्वीरें ऐसी है कि यहां प्रकाशित नहीं की जा सकती हैं। यह उस जगह का हाल है, जहां प्रतिदिन 25 से 40 बच्चे जन्म लेते हैं। जानकारी हो कि संक्रमण से कई महिलाओं की मौत भी हो जाती है।

हेपेटाइटिस व एचआईवी पेशेंट एक ही बेड पर

लेबर रूम में एक ही बेड पर तीन-तीन पेशेंट लेटी रहती हैं। बेड पर बॉडी फ्लूड के गिरते रहने से भी गंदगी बढ़ती रहती है। यहां की एक स्टाफ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां हेपेटाइटिस और एचआईवी के पेशेंट सभी एक ही बेड पर लेटी रहती हैं। जो गर्भवती महिला पूरी तरह से स्वस्थ हैं, वे यहां कभी भी गंभीर इंफेक्शन का शिकार हो सकती हैं। इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरीटेनोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बॉयलाजी की प्रेसिडेंट डॉ मंजू गीता मिश्रा ने बताया कि क्लीनलाइनेस और हाईजिन का प्रेगनेंसी के दौरान महत्व और अधिक होता है। ट्यूब या ओवरी में इनफेक्शन हो सकता है। स्किन में भी घाव आदि हो सकते हैं, इसलिए हॉस्पिटलों में सफाई बहुत जरूरी है।

अभी नहीं, बाद में आइएगा

आमतौर पर सरकारी अस्पताल में किसी पेशेंट को लौटाया नहीं जाता है। खासतौर पर जो रेग्युलर ट्रीटमेंट में हो, पर यहां ऐसा शायद नहीं है। गर्दनीाबाग निवासी चिंता देवी अपनी गर्भवती बहू गुडि़या देवी के साथ आयी थी, लेकिन तीन घंटे के इंतजार के बावजूद उसे किसी ने नहीं देखा। चिंता देवी ने बताया कि यहां की नर्से बहुत रुखे तरीके से बात करती हैं। आज डेट था, फिर भी कहा कि आप बाद में आइए। अगर यहां नहीं देखा जाना था, तो बुलाया ही क्यों। इधर, डिपार्टमेंट के अंदर ही आवारा कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है। ये कभी भी किसी बड़े हादसे का सबब बन सकते हैं। यह आलम गार्ड तैनाती के बावजूद है।

कोई है क्या, जो बताए

यहां के पूछताछ काउंटर का काउंटर बना है, लेकिन यहां कोई नहीं रहता है। यही वजह है कि लोगों को गार्ड या यहां मौजूद रिलेटिव से पूछताछ कर अपनी सुविधा के बारे में जानकारी लेना पड़ता है। दिन के करीब डेढ़ बजे की यह बात है। काउंटर पर कोई मौजूद नहीं था। बख्तियारपुर से आयी मंजुला देवी ने कहा कि यहां अल्ट्रासाउंड होगा या नहीं, यह जानकारी लेना था, लेकिन मौके पर कोई नहीं था तो एक पेशेंट के रिलेटिव से पूछी।

यहां तो ऐसी स्थिति है कि न डिलेवरी से पहले और न ही बाद में दवा मिलती है। यहां के स्टाफ भी हेल्प नहीं करते हैं। यही वजह है कि लोगों को परेशानी महसूस होती है।

- आरजू, मुजफ्फरपुर

तीन घंटे से अपनी बहू गुडि़या के साथ हूं। डेट भी दिया था दिखाने का, लेकिन यहां नर्स कह रही है बाद में आना। जब देखना ही नहीं था, तो क्यों बुलाया गया।

- चिंता देवी, गर्दनीबाग

यहां बहुत लापरवाही है। हॉस्पीटल को कोई सुधारना नहीं चाहता है। पीएमसीएच तो नाम का सरकारी है। यहां तो हर प्रकार की सुविधा में भी कोताही है। अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट चार दिन पर देते हैं।

- संजय सिंह, औरंगाबाद

सोचा था कि सूबे का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पीटल है यहां कम से कम दवा तो मिल ही जाएगी, पर वर्तमान हालात ऐसे बदतर होंगे पता नहीं था। वाइफ आभा देवी का ऑपरेशन कराना है।

संजीव कुमार, बाढ़

Expert says

पंखे की कमी को जल्द पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही जो खराब पड़े पंखे हैं, उसका मेनटेनेंस कराने का आदेश दिया गया है। फिलहाल चादरों की कमी है, समय लगेगा।

- डॉ लखींद्र प्रसाद, सुपरिंटेंडेंट पीएमसीएच

क्लीनलाइनेस और हाईजिन का प्रेग्नेंसी के दौरान महत्व और अधिक होता है। ट्यूब या ओवरी में इनफेक्शन हो सकता है। स्किन में भी घाव आदि हो सकते हैं। कपड़े हमेशा साफ-सुधरा होना चाहिए।

डॉ मंजू गीता मिश्रा, प्रेसिडेंट इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरीटेनोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बॉयलाजी