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PATNA : पटना यूनिवर्सिटी स्थापना के सौ साल बाद भी नैक की मान्यता के लिए जरूरी कदम उठाने में विफल रहा है। नैक ग्रेडिंग कराने के लिए पहला चरण है यूजीसी की वेबसाइट पर सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) को अपलोड करना। लेकिन इस दिशा में सकारात्मक प्रयास नहीं होने की वजह से नियमों के मुताबिक भविष्य में यूजीसी अनुदान देना बंद कर सकता है। यह आलम तब है जब यूनिवर्सिटी के पास नैक असेसर एवं एक्सपर्ट फैकल्टी में ही मौजूद हैं।

एक ऑफिस तक नहीं

नियमों के मुताबिक नैक के लिए यूनिवर्सिटी में एक ऑफिस होना चाहिए, जो केवल नैक के असेसमेंट और उससे जुड़ी प्राथमिकताओं के बारे में लगातार यूजीसी से संवाद स्थापित करे, लेकिन पीयू में इसकी व्यवस्था सालों बाद भी नहीं की गई है। इससे पहले पीयू के पूर्व वीसी प्रो। वाईसी सिम्हाद्रि ने इस प्रकार के प्रपोजल को अनसुना कर दिया था।

गंभीर आर्थिक संकट में डूब सकता है पीयू

यदि यूजीसी का अनुदान मिलना बंद हो जाए यूनिवर्सिटी को तो इस परिस्थिति में यह गंभीर आर्थिक संकट में डूब जाएगा। पीयू को अपनी आय पर ही निर्भर रहना पड़ेगा, जो कि बेहद कम है। उधर, लड़कियों की फीस माफ करने से पीयू पर इसका भी बोझ बढ़ रहा है। वोकेशनल कोर्स की राशि भी माफ है। यानि अपने बलबूते पीयू को सभी प्रकार के खर्चे चलाने होंगे। ऐसे में यह गंभीर आर्थिक संकट में घिर सकता है।

हिसाब देना भी है बाकी

यदि पीयू मार्च से पहले तक उपलब्ध अनुदान राशि को खर्च करने में अक्षम रहता है तो यह यह लैप्स हो जाएगा। इसके बाद पीयू का अनुदान बंद हो सकता है। इसका कारण है कि पांच करोड़ रूपये के अनुदान का यूटिलाइजेशन यूजीसी को नहीं भेजा गया है। जबकि अभी यूनिवर्सिटी को सात करोड रूपये और मांगकर खर्च करना है। यह सब पीयू के लचर प्रशासनिक रवैये और डेवलपमेंट वर्क की अनदेखी की वजह से हो रहा है। हद है कि पूर्व वीसी प्रो। वाई सी सिम्हाद्रि के कार्याकाल में क्क्वीं पंचवर्षीय योजना की तीन करोड़ रूपये की राशि दो बाद एक्सटेंशन के बाद भी लैप्स हो गया है। अब यही हाल क्ख्वीं पंचवर्षीय योजना का होने वाला है।

साल भर से सुस्ती

जानकारी हो कि पीयू में नैक की टीम गठित है। लेकिन साल भर से नैक से संबंधित कोई कार्यक्रम नहीं आयोजित किया गया है। उधर, जब भी प्रशासन से जानकारी मांगी जाती है कि एसएसआर का क्या हुआ तो वे जल्द ही इसे वेबसाइट पर अपलोड़ करने की बात करते हैं। लेकिन अब तक यह काम पेंडिंग है।

रूसा का फंड भी बंद!

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत भी मिलने वाली राशि पीयू को बंद हो सकता है। नियमों के मुताबिक यह राशि केवल नैक ग्रेडिंग प्राप्त यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को ही मिलेगा। इस संदर्भ में यदि कुछ ठोस नहीं किया गया तो पीयू को रूसा का फंड भविष्य में बंद ही माना जाएगा। इस प्रकार के लिस्ट में अन्य कई कॉलेज भी हैं, जिसका फंड बंद हो जाएगा। ये वैसे कॉलेज हैं जिसे नैक की मान्यता या तो मिली नहीं, या फिर मिली है, तो इसकी अवधि समाप्त हो गई है।

राज्य सरकार का अनुदान नहीं

राज्य सरकार पहले पीयू को कंटीजेंसी ग्रांट देती थी। यह चार दशक पुरानी बात है। वर्तमान में राज्य सरकार मात्र शिक्षकों के वेतन के लिए ही राशि देती है। जबकि हॉस्टल और कॉलेजों के रेनोवेशन का काम बिहार एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन द्वारा किया जाता है। पीजी की पढ़ाई भी यूजीसी के फंड से ही होता है।