shambhukant.sinha@inext.co.in

PATNA : फ्0 जनवरी, ख्0क्7 को पटना यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। वाई सी सिम्हाद्रि रिटायर हो जाएंगे। लेकिन वे कई ऐसी बातों के लिए याद किए जाएंगे, जो संभवत: इनके पूर्ववर्ती वीसी के बारे में कभी नहीं कहा गया। छात्र, शिक्षक, कर्मचारी ही नहीं राजभवन से भी संवाद की बजाय त्वरित फैसले लोने के कारण हमेशा ही उन्हें याद रखा जाएगा। खासकर, हाल ही में नियुक्ति और स्थानांतरण का वीसी को अधिकार नहीं होने के बावजूद यह सब हो गया। राजभवन ने इस बाबत शो-कॉज भी किया था। यह तो एक बानगी भर है.आज आई नेक्स्ट कुछ ऐसे ही मामले को पेश कर रहा है जिनके कारण सिम्हाद्री हमेशा चर्चा में रहे

तेवर सख्त लेकिन काम ढीला

सिम्हाद्रि की पहचान न केवल एक अच्छे शिक्षक बल्कि एक अच्छे प्रशासक के तौर पर रही है। शायद यही वजह रही कि अपने पहले क्ब् महीने के टर्म (नवंबर ख्00म् से जनवरी ख्008 तक) में भी वे चर्चा में रहे। उन्होंने पीयू के हॉस्टल में अवैध कब्जे पर कड़ा रूख अख्तियार किया। लेकिन इसके बाद एक-एक कर ऐसी बातें होती चली गई कि विवाद में आने लगे। शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर भी विवाद गहराता रहा।

जीके पिल्लई को चार्ज दिया

सिम्हाद्रि ने डॉ जीके पिल्लई को इसी 9 जनवरी को डॉ संजय कुमार सिन्हा की जगह नया रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया। डॉ सिन्हा ने कुछ महीने पहले ही इस्तीफा दिया था। लेकिन पीयू प्रशासन ने मंजूर नहीं किया था। बाद में, राजभवन से भी उन्हें ही रजिस्ट्रार बनाये रखने की अधिसूचना जारी हुई थी। लेकिन अचानक उन्हें पद से हटाकर वीसी ने उन्हें विभाग में भेज दिया। इससे पहले डॉ। पिल्लई को रजिस्ट्रार का अतिरिक्त पद दिया गया है।

विवाद तो था पर चुप ही रहे

राजभवन ने वीसी द्वारा किसी भी स्थानांतरण और नियुक्ति पर रोक लगा रखी है। लेकिन सिम्हाद्रि ने इस नियम को दरकिनार करते हुए नए रजिस्ट्रार के मामले में मनमानी की। इस मामले में राजभवन की ओर से वीसी को शो-कॉज किया गया। बताया जाता है कि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ था। लेकिन इस फैसले के बाद न तो प्रो। पिल्लई और न ही डॉ सिन्हा ने कुछ कहा।

---------

इन कारणों से रहे वीसी चर्चा में

- रजिस्ट्रार डॉ। सिन्हा को राजभवन की अनुमति के बिना ही अचानक हटाने और पहले से प्रॉक्टर के पद पर कार्यरत प्रो। पिल्लई को अतिरिक्त चार्ज दे दिया।

- ऑर्ट कॉलेज छात्र मामले में स्टूडेंट्स से बिना बातचीत और जांच के 8 छात्रों को सस्पेंड कर दिया।

- छात्र जब बातचीत के लिए आये तो उनपर पुलिस को बल प्रयोग करने का आदेश दिया।

- शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों से भी संवाद के माध्यम से मामले को सुलझाने का प्रयास नहीं किया।

- एक नहीं कई बार राजभवन के नियमों और उनकी शक्ति क्षेत्र से आगे जाकर फैसला लिया।

- कार्यकाल के दौरान शिक्षकों का प्रमोशन का मामला भी गहराता रहा, इस दौरान कई शिक्षक रिटायर भी हो गए।

- अंग्रेजी के एचओडी शिवजतन ठाकुर सहित अन्य शिक्षकों को सस्पेंड किया।

- आर्ट कॉलेज के प्रिंसिपल चंद्रभूषण श्रीवास्तव के खिलाफ थाने में कई मामले दर्ज होने और बाद में आईजी (कमजोर वर्ग) की जांच रिपोर्ट में दोषी पाये जाने के बावजूद उन्हें न तो शो-कॉज और न ही सस्पेंड किया।

- मो। कैसर, लक्ष्मी प्रसाद सहित अन्य कर्मचारियों को उनका पक्ष जाने बिना सस्पेंड कर दिया।

-----------

विफल रहे इन मामलों में

-पीयू की ओर से समय पर कोई प्रपोजल तैयार नहीं होने से यूनिवर्सिटी का ऐतिहासिक शताब्दी समारोह विफल रहा।

- दो-दो कार्यकाल संभाल चुके सिम्हाद्रि ने कभी भी यूनिवर्सिटी के लिए नैक ग्रेडिंग के लिए प्रयास नहीं किया।

- यूनिवर्सिटी में विकास कार्य नहीं के बराबर हुआ।

- ऐतिहासिक यूनिवर्सिटी होने के बावजूद कालेजों में रिसर्च आदि का वातावरण और सुविधा दे पाने में विफल रहे।

- -------------

प्रो। सिम्हाद्रि ऐसे वीसी रहे हैं जो कह दिया गया वह कानून हो गया। वे प्राकृतिक न्याय में विश्वास नहीं रखते हैं। उम्मीद करते हैं कि अब पीयू को बेहतर वीसी मिलेगा।

- सुशील कुमार , राज्य सचिव एआइएसएफ

मैंने जो भी किया है, उसमें नियमों को हमेशा प्राथमिकता दी है। कानून के दायरे में रहकर काम किया हूं और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया हूं।

- प्रो। वाई सी सिम्हाद्रि , वीसी पीयू