-शाश्वत ने अपना बायोडाटा दिखाते हुए पीके पर लगाया डाटा बेचने का का आरोप

PATNA: राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके घिरते हुए नजर आ रहे हैं। उन पर एफआइआर और मुकदमा कर चर्चा में आए कांग्रेस के सक्रिय सदस्य शाश्वत गौतम ने शुक्रवार को मीडिया के सामने अपना 'बायोडाटा' दिखाया। साथ ही पीके की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यूनाइटेड स्टेट के डाटा बेस में काम करने का पीके का दावा फर्जी है। वे युवाओं के आइकन हैं और बिहार के यूथ को यह जानने का हक है कि उन्होंने कब और कितने साल में डिग्रियां प्राप्त की हैं।

यूथ के साथ कर रहे फर्जीवाड़ा

शाश्वत ने कहा कि पीके आज भी युवाओं के साथ फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। अभियान से जोड़ने के नाम पर युवाओं से उनके पर्सनल डिटेल, फोन नंबर ले रहे हैं। इस डिटेल डाटा को बेचने का धंधा कर रहे हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी विश्वसनीयता नहीं है। बिहार के युवा के साथ राजनीतिक दलों को भी उनसे दूर रहना चाहिए।

ओसामा ने पहुंचाया आइडिया

शाश्वत ने आरोप लगाया कि पीके ने उनका आइडिया, लोगो और कंटेंट की चोरी की है। 'बिहार की बात' के नाम से जिस अभियान को वे शुरू करने वाले थे, प्रशांत ने 'बात बिहार की' के नाम से लांच कर दिया है। उनका ये पूरा आइडिया कभी सहयोगी रहे ओसामा खुर्शीद ने पीके तक पहुंचा दिया। इस तरह से शाश्वत के अनुसार वे एक ऐसा राजनीतिक-सामाजिक अभियान चलाने वाले हैं जो बिहार के लोगों के लिए नीतिगत और जमीनी स्तर पर आधार का काम करे। साथ ह इससे बिहार का विकास हो।

जनता के सामने लाएंगे सच

उन्होंने कहा कि बिना किसी नेता के चेहरे के वे आंकड़ों के जरिए बिहार का सच जनता के सामने लाएंगे। इसका प्रभाव निश्चित रूप से लोगों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रभाव का फायदा अगर कांग्रेस को मिले तो एतराज नहीं। अभी तो आंकड़ों की बात न कांग्रेस करती है, न ही जदयू। चाहता हूं कि बिहार के राजनीतिक दलों को आंकड़ों की समझ हो।

यह कुछ नहीं प्रसिद्धि के लिए शरारत है : पीके

इधर, एक दिन पहले प्रशांत किशोर ने आरोपों को खारिज करते हुए ट्वीट किया था कि 'यह कुछ नहीं, बल्कि एक व्यक्तिद्वारा अपने दो मिनट की प्रसिद्धि हासिल करने के लिए किया गया दावा व शरारत है, और कुछ नहीं। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को पूरी तरह से और तेजी से इस मामले की जांच करनी चाहिए ताकि सार्वजनिक तौर पर सच्चाई सबके सामने आ सके.'