- हुसैनाबाद के नबाब मंजूर हसन की बेटी कुमकुम 2010 में आई थीं पैतृक गांव

SHEKHPURA: हे गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो से फिल्मी करियर शुरू करने वाली हिंदी फिल्मों की चर्चित नायिका और शेखपुरा जिले की बेटी कुमकुम ने ट्यूजडे को मुंबई में अंतिम सांस ली। यह सूचना मिलते ही शेखपुरा में मायूसी छा गई। उनका असली नाम जेबुनिस्सा था। उनकी उम्र 86 साल थी। कुमकुम शेखपुरा शहर से सटे हुसैनाबाद गांव की रहने वाली थी। वह हुसैनाबाद के नवाब मंजूर हसन की बेटी थी।

नहीं भूली थी अपना बचपन

हुसैनाबाद के नबाब के पौत्र तथा कुमकुम के भतीजे सैयद अशद रजा ने बताया फूफी कुमकुम के निधन की सूचना आते ही पूरे एरिया में शोक की लहर दौड़ गई। कुमकुम अंतिम बार 10 साल पहले 2010 फरवरी में पैतृक घर हुसैनाबाद आई थीं। तब उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से अपनी फिल्मी कॅरियर की बातें साझा की थीं। बताया था कि कैसे फिल्मी दुनिया में संघर्ष करना पड़ा। मुंबई की व्यस्ततम दिनचर्या और फिल्मी दुनिया में उनकी उपस्थिति के बावजूद वे बिहार में बिताया अपना बचपन नहीं भूल सकतीं।

सौ फिल्मों में किया काम

उनके भतीजे अशद रजा ने बताया कि शुरू से अदाकारी की शौकीन थी। घर के बुजुर्ग बताते थे कि सज-संवरकर रहना उनका शौक था। गांव-देहात का माहौल और खानपान भी उन्हें लुभाता था। यहां आने पर बिहारी व्यंनजनों की डिमांड करती थीं। बिहार की खाने-पीने की मशहूर चीजें वे मुंबई से फोन कर मंगवाती थीं। अशद बताते हैं कि हुसैनाबाद में बचपन बीतने के बाद फूफी मुंबई चली गई तथा वहीं पढ़ाई पूरी करने के बाद हिंदी सिनेमा से जुड़ गईं। हे गंगा मइया तोहरे पियरी चढ़ाइबो से फिल्मी करियर शुरू करने वाली कुमकुम ने करीब सौ फिल्मों में काम किया था।

हे गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो से शुरुआत

फिल्म जगत से जुड़ने के बाद कुमकुम ने मुंबई में कार्यरत कोलकाता के इंजीनियर से शादी की। अपनी पहली फिल्म हे गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो में कुछ सीन हुसैनाबाद में भी फिल्माया गया था। 2010 में हुसैनाबाद आई कुमकुम ने गांव में खंडहर हो रहे अपने पूर्वज की विरासत को संरक्षित करने की घोषणा की थी। लेकिन जीते-जी वे यह काम नहीं कर पाई। भतीजे अशद राजा ने बताया फूफी कुमकुम कुछ महीने पहले दुबई गई थी। वहां से लौटने के बाद बीमार हो गई। ट्यूजडे को मुंबई के बांद्रा में उनका निधन हो गया। उनकी एक पुत्री है।

अजीमाबाद की कला से लगाव

कुमकुम की दादी का घर पटना सिटी के ¨सघी दालान में है। कुमकुम ने यहां काफी वक्त गुजारा। उन्हें अजीमाबाद की तहजीब और पटना सिटी की कला-संस्कृति से बेहद काफी लगाव था। कुमकुम का ननिहाल बनारस में है। 2010 में इन्हें खानदानी प्यार पटना सिटी खींच लाया था। वे अपने भतीजे तनवीरुल हसन खान के घर वे कई दिनों तक रहीं।