-बच्चे अभिभावकों की सहमति से जाते हैं, पर लौट नहीं पाते

द्दन्ङ्घन्/क्कन्ञ्जहृन्: जयपुर की चूड़ी और अन्य फैक्ट्रियों से बिहार के 68 बाल श्रमिकों को आजाद कराकर गुरुवार को अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस से गया लाया गया। सभी बच्चों को काम करवाने के लिए परिजनों को पैसे देकर एजेंट वहां लेकर गए थे। बच्चों से दिन-रात मजदूरी कराई जाती थी। बाल संरक्षण अधिकारी और लोकल पुलिस के सहयोग से सभी को आजाद कराया गया। बच्चों के रहने-खाने की व्यवस्था रेस्क्यू जंक्शन, बाल गृह और खुला आश्रय में की गई है।

अभिभावकों को सौंपा जाएगा

सभी को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। समिति के आदेश पर नालंदा के 5, जहानाबाद के 4 और मुजफ्फरपुर के 11 बाल श्रमिकों को संबंधित जिलों में भेज दिया गया है। अन्य को रेस्क्यू जंक्शन में रखा गया है। संस्था अध्यक्ष दीपक ने बताया कि संस्था में रखे गए बच्चों के परिजनों का

पता लगाकर और जांच रिपोर्ट समिति को प्रस्तुत करने के बाद उन्हें अभिभावकों को सौंपा जाएगा।

अपनी मर्जी से नहीं लौट पाते

ज्ञात हो कि एजेंट सक्रिय है, जो गरीबी का फायदा उठा कर अपने चंगुल में फंसाता है। बच्चे अभिभावकों की सहमति से भेजे जाते हैं, पर उनकी मर्जी से लौट नहीं पाते।

गया और मुजफ्फरपुर के हैं अधिक बच्चे

आजाद बच्चों में गया के 27, मुजफ्फरपुर के 11, समस्तीपुर के 6, सीतामढ़ी के 5, नालंदा के 5, जहानाबाद के 4, दरभंगा के 2, पटना के 2, मधुबनी का एक, औरंगाबाद का एक, जमुई का एक, मधेपुरा का एक और एक अज्ञात बच्चा है।

राजस्थान के जयपुर में चूड़ी, दरी और अन्य फैक्ट्रियों में चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर और स्थानीय पुलिस द्वारा रेस्क्यू किया गया। इसके बाद बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को सूचना दी गई। सभी बच्चों का पुनर्वास किया जाएगा। सरकार से मिलने वाली सुविधाएं भी दी जाएंगी।

-मो मीराउद्दीन, बाल संरक्षण अधिकारी